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टैनिंग क्या है? - What Is Tanning?
टैनिंग क्या है, यह समझने के लिए आपको अपनी स्किन पर नजर डालनी होगी। शरीर के कुछ भाग जैसे चेहरा, हाथ, गर्दन वगैरह उन हिस्सों के मुकाबले ज्यादा गहरे रंग के होते हैं, जो सीधे धूप के संपर्क में नहीं आते। इसी को टैनिंग के रूप में देखा जाता है। टैनिंग वह प्रक्रिया है, जिसमें सूर्य के संपर्क में आने के बाद त्वचा का रंग (मेलेनिन) बढ़ जाता है। इससे त्वचा में कालापन आ जाता है। ऐसा इसलिए होता है, क्योंंकि हमारी त्वचा धूप से बचने के लिए प्रतिक्रिया करती है। इसी की वजह से रंग गहरा हो जाता है।
इसे आप यूं भी समझ सकते हैं कि टैन एक संकेत है कि आपकी त्वचा खुद को सूरज की पराबैंगनी (यूवी) विकिरण से बचाने की कोशिश कर रही है। यह त्वचा के खराब होने का संकेत है, अच्छे स्वास्थ्य का नहीं। बहुत से लोग मानते हैं कि टैन होने से उनकी त्वचा को सनबर्न और यूवी क्षति से सुरक्षा मिलती है, जबकि हकीकत में टैन, सनबर्न के खिलाफ बहुत कम सुरक्षा प्रदान करता है। [1]
टैनिंग के लक्षण - Symptoms Of Tanning
टैनिंग की वजह अगर सनबर्न है, तो त्वचा में जलने के दर्द का एहसास होता है और शरीर भी गर्म महसूस होने लगता है।
अगर सनबर्न हुआ है, तो शुरुआत में इसके लक्षण दिखाई नहीं देते। सनबर्न का पूरा असर दिखने में 6 से 48 घंटे का समय लग सकता है।
उसके बाद ही पता चलता कि कितनी त्वचा पर असर हुआ है और प्रभावित जगह पर लाल या गहरे रंग के एक परत बन जाती है।
वहीं, सूर्य की रोशनी में ज्यादा देर रहने से भी त्वचा टैन यानी गहरे रंग में बदल जाती है।
अगर आप लगातार दो दिन सूर्य की सीधी रोशनी में देर तक वक्त गुजारते हैं, तो त्वचा गहरे रंग के टोन में बदलने लगती है।
त्वचा टैन होने के कारण - Causes Of Skin Tan
त्वचा के टैन होने का पहला कारण है सनबर्न। जब सूर्य की यूवी किरणें आपकी त्वचा तक पहुंचती हैं, तो वे एपिडर्मिस में कोशिकाओं को नुकसान पहुंचाती हैं। इसकी प्रतिक्रिया में, आपकी प्रतिरक्षा प्रणाली प्रभावित क्षेत्रों में रक्त के प्रवाह को बढ़ाती है। बढ़े हुए रक्त प्रवाह की वजह से सनबर्न वाली जगह पर त्वचा लाल होने लगती है। त्वचा को छूने पर वहां गर्म महसूस होता है। क्षतिग्रस्त त्वचा कोशिकाएं, केमिकल भी रिलीज करती हैं।
त्वचा टैन होने का दूसरा कारण है ज्यादा देर तक सूर्य के संपर्क में रहना, जिसे सन टैन भी कहते हैं। इसमें एक बार जब त्वचा यूवी विकिरण के संपर्क में आती है, तो त्वचा, मेलेनिन के उत्पादन को बढ़ाती है, ताकि ज्यादा नुकसान नहीं हो। मेलेनिन वही रंगद्रव्य है जो आपके बालों, आंखों और त्वचा को रंग देता है। मेलेनिन में बढ़ोतरी से त्वचा का रंग अगले 48 घंटों में काला हो सकता है। [2]
टैन के प्रकार - Types Of Tan
त्वचा के रंग और आपकी स्किन टाइप के आधार पर कई प्रकार के टैन होते हैं।
इसका सबसे ज्यादा असर गेहुएं, सांवले और काली त्वचा वाले लोगों में दिखाई देता है।
जिनकी त्वचा एकदम पीली-सफेद है, वह सूर्य की रोशनी में आते ही जलने लगती है, लेकिन उनमें टैनिंग नहीं उभरती है।
सफेद और हल्की पीली त्वचा वालों पर भी बहुत कम टैन दिखाई देता है। इसके बाद पीली, गेहुएं, सांवले और काली त्वचा वाले लोगों में टैन दिखाई देता है।
टैन हटाने के उपचार - Tan Removal Treatments
टैन हटाने के कई उपचार इन दिनों इस्तेमाल किए जा रहे हैं। अगर आपकी त्वचा भी धूप में ज्यादा देर रहने की वजह से टैन हो गई है, तो आप भी अपने डॉक्टर की सलाह लेकर इनमें कोई एक उपचार आजमा सकते हैं।
1. एक्सफोलिएशन - Exfoliation
एक्सफोलिएशन आपकी त्वचा की बाहरी परत से मृत त्वचा कोशिकाओं को हटाने की प्रक्रिया है। लेकिन अगर इसे ठीक से नहीं किया गया तो यह नुकसान भी कर सकता है। अगर आप टैन को हटाने के लिए एक्सफोलिएट का उपचार चुनते हैं, तो इसे सुरक्षित रूप से करना महत्वपूर्ण है, ताकि यह आपकी त्वचा को नुकसान न पहुंचाए। इसके उपचार से पहले यह जानना जरूरी है कि आपकी त्वचा के हिसाब से एक्सफोलिएशन की कौन सी विधि इस्तेमाल करनी चाहिए।
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लेजर ट्रीटमेंट में त्वचा के इलाज के लिए लेजर एनर्जी का उपयोग करते हैं। इसकी मदद से टैन के अलावा झुर्रियों का इलाज भी किया जा सकता है। यह ट्रीटमेंट रोशनी को लेजर के जरिए त्वचा के उस हिस्से पर डाला जाता है, जहां टैन कम करना हो। लेजर त्वचा की कोशिकाओं को गर्म करता है, ताकि वो फट जाएं और नई कोशिकाओं के लिए रास्ता बने और त्वचा की टैनिंग खत्म हो जाए।
क्योंकि इसमें सर्जरी शब्द जुड़ा है, तो बहुत से लोगों को लगता है कि लेजर ट्रीटमेंट में मरीज को बेहोश किया जाता है, जबकि ऐसा नहीं है। लेजर ट्रीटमेंट की सफलता काफी हद तक इस पर भी निर्भर करती है कि आपकी त्वचा कितनी क्षतिग्रस्त है। इस ट्रीटमेंट के बाद त्वचा को नमी और धूप से बचाकर रखना होता है। साथ ही डॉक्टर के बताए निर्देशों के हिसाब से स्किन की केयर की जाती है। [4]
3. केमिकल पील - Chemical Peels
केमिकल पील को केम एक्सफोलिएशन या डर्मापीलिंग के रूप में भी जाना जाता है। इसमें त्वचा की टैनिंग को कम करने के लिए केमिकल का उपयोग किया जाता है। इस ट्रीटमेंट में स्किन पर एक रासायनिक घोल लगाया जाता है, जिससे त्वचा की परतों पर असर होता है और वह अपनी जगह से हट जाती हैं। इसके बाद नई और जवां त्वचा सामने आती है, जो साफ, बिना झुर्रियों वाली और चिकनी होती है।
केमिकल पील का ट्रीटमेंट सभी प्रकार की त्वचा पर किया जा सकता है। हालांकि, अगर आपकी स्किन गहरे रंग की है, तो ट्रीटमेंट के बाद उसके काले पड़ने की संभावना बनी रहती है। इस स्थिति को पोस्ट-इंफ्लेमेटरी हाइपरपिग्मेंटेशन कहा जाता है। इस ट्रीटमेंट को बिना डॉक्टरी सलाह के नहीं लिया जाना चाहिए। [5]
4. ब्लीचिंग - Bleaching
ब्लीच का मतलब ही है रंग हटाना। यह चेहरे पर मेलेनिन की मात्रा को कम करता है। लेकिन इसके नुकसान भी हैं। क्योंकि ब्लीच में केमिकल की हाई डोज इस्तेमाल होती है, इसलिए बहुत से लोगों को इसके साइड इफेक्ट भी देखने पड़ते हैं। इसके मुकाबले प्राकृतिक ब्लीच बेहतर हैं। जैसे नींबू एक प्राकृतिक ब्लीचिंग तत्व है, जो त्वचा से टैन को हटाने में कारगर है। बेसन और दूध का उपयोग भी कर सकते हैं। इनके परिणाम देर से जरूर मिलते हैं, लेकिन त्वचा को कोई नुकसान नहीं होता।
Apurva Srivastav
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