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- जानें दोनों का इतिहास...
न्यूज़क्रेडिट; अमरउजाला
Independence Day 2022: इस साल भारत अपना 76वां स्वतंत्रता दिवस का पर्व मनाने की तैयारी कर रहा है। देश को आजाद हुए 75 साल पूरे हो चुके हैं। इस मौके पर देश में 'आजादी का अमृत महोत्सव' की थीम पर जश्न मनाया जा रहा है। 15 अगस्त 1949 में देश ब्रिटिश सरकार की गुलामी से आजाद हुआ था। आजादी के बाद से इस दिन को स्वतंत्रता दिवस के तौर पर मनाया जाता है। लाल किले, विधानसभा से लेकर देश के सरकारी कार्यालयों तक में भारत का राष्ट्रीय ध्वज फहराया जाता है। परेड निकाली जाती है। स्वतंत्रता दिवस को राष्ट्रीय पर्व घोषित किया गया। हालांकि देश में कई अन्य राष्ट्रीय पर्व भी मनाए जाते हैं। 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस के तौर पर मनाया जाता है। यह भी देश का एक राष्ट्रीय पर्व है। कई लोगों में 15 अगस्त और 26 जनवरी को लेकर अलग अलग धारणाएं हैं। इन दोनों तारीखों और गणतंत्र दिवस व स्वतंत्रता दिवस को लेकर भी लोगों के मन में कई सवाल होते हैं। इन्हीं सवालों और इन दोनों राष्ट्रीय दिवस को लेकर असमंजस को दूर करने के लिए यहां 26 जनवरी और 15 अगस्त के बीच के अंतर को बताया जा रहा है। अगली स्लाइड्स में जानिए गणतंत्र दिवस और स्वतंत्रता दिवस में क्या अंतर है।
स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस का इतिहास
तारीखों के मुताबिक दोनों के इतिहास को समझकर अंतर किया जा सकता है। 15 अगस्त 1947 को हिंदुस्तान अंग्रेजों की गुलामी से आजाद हुआ था। इसलिए इस दिन को भारत के स्वतंत्रता दिवस के तौर पर हर साल मनाया जाता है।
वहीं देश की आजादी के लगभग तीसरे साल में यानी 26 जनवरी 1950 को भारत में संविधान लागू हुआ था। इसलिए इस दिन गणतंत्र दिवस मनाया जाता है। संविधान लागू होने के बाद भारत एक संप्रभु राष्ट्र बन गया। इसका असर यह हुआ कि भारत एक गणतांत्रिक देश बन गया जो कि किसी बाहरी देश के फैसलों और आदेशों को मानने के लिए बाध्य नहीं रह गया। साथ ही भारत के आंतरिक मामलों में कोई अन्य देश दखल भी नहीं दे सकता है।
तिरंगा फहराने का अंतर
भले ही 15 अगस्त और 26 जनवरी दोनों ही राष्ट्रीय पर्व हैं लेकिन इन्हें मनाने के तरीके में अंतर होता है। 15 अगस्त और 26 जनवरी को पूरे देश में ध्वजारोहण होता है। स्वतंत्रता दिवस के मौके पर झंडे को नीचे से रस्सी के जरिए खींचकर फहराया जाता है। इसे ध्वजारोहण कहते हैं।
लेकिन 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस के मौके पर तिरंगा ऊपर ही बंधा होता है। उसे पूरा खोलकर फहराया जाता है। इसे झंडा फहराना कहते हैं। संविधान में इसका जिक्र कहते हुए इस प्रक्रिया को फ्लैग अनफर्लिंग कहा गया।
15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस के मौके पर देश के प्रधानमंत्री ध्वजारोहण करते हैं। उस समय तक देश का संविधान लागू नहीं हुआ था। ऐसे में देश का नेतृत्व प्रधानमंत्री के हाथों में था। इसलिए ध्वजारोहण प्रधानमंत्री द्वारा तब से अब तक किए जाने की परंपरा है।
26 जनवरी को भारत में संविधान लागू हो गया। संविधान के मुताबिक, देश का संवैधानिक प्रमुख राष्ट्रपति होता है। इसलिए 26 जनवरी को राष्ट्रपति तिरंगा फहराते हैं। राष्ट्रपति इस दिन देश के नाम अपना संदेश भी जारी करते हैं।
15 अगस्त के दिन ध्वजारोहण और 26 जनवरी को तिरंगा फहराने का एक अंतर जगह का भी होता है। स्वतंत्रता दिवस के मौके पर प्रधानमंत्री लाल किले से ध्वजारोहण करते हैं। जिसमें नीचे से रस्सी खींचकर तिरंगा फहराते हैं। जबकि 26 जनवरी के मौके पर राष्ट्रपति लाल किले से नहीं बल्कि दिल्ली के राजपथ पर तिरंगा झंडा फहराते हैं।