लाइफ स्टाइल

5 प्वाइंट्स में जानिए दुनियाभर का हाल, अध्ययन में दावा- ऐसे लोगों में गंभीर जटिलताओं का खतरा अधिक

Admin4
10 Aug 2022 10:43 AM GMT
5 प्वाइंट्स में जानिए दुनियाभर का हाल, अध्ययन में दावा- ऐसे लोगों में गंभीर जटिलताओं का खतरा अधिक
x

न्यूज़क्रेडिट; अमरउजाला

कोरोना महामारी के साथ जिस गति से मंकीपॉक्स का संक्रमण भी दुनियाभर में तेजी से बढ़ता जा रहा है, यह निश्चित ही डराने वाला है। अध्ययनों में कोरोना की तुलना में भले ही मंकीपॉक्स को गंभीर समस्याकारक न माना जाता रहा हो, पर जिस गति से यह फैल रहा है वह विशेषज्ञों के लिए चिंता का कारण बना हुआ है। मंकीपॉक्स से देश में अबतक नौ लोगों को संक्रमित पाया जा चुका है जिसमें से एक की मौत हो गई है। संक्रमण के लेकर लोगों के मन में अब भी कई सारे सवाल हैं, जैसे इस संक्रमण को कितना खतरनाक माना है, किस आयु वाले लोगों में इसका खतरा अधिक होता है और क्या यह कोरोना की तरह कोई एक नई महामारी का कारण बन सकता है?

मंकीपॉक्स का खतरा किन लोगों में अधिक होता है, इस बारे में जानने के लिए अध्ययन कर रही शोधकर्ताओं की टीम ने बड़ा दावा किया है। वैज्ञानिकों का मानना है कि स्वस्थ वयस्कों की तुलना में मंकीपॉक्स से जुड़ी जटिलताएं बच्चों, गर्भवती और इम्यूनो कॉम्प्रोमाइज लोगों में अधिक देखी जा रही है। शोधकर्ताओं का कहना है कि ऐसे लोगों में संक्रमण की स्थिति में मृत्युदर का भी खतरा अधिक हो सकता है। आइए आगे इस बारे में विस्तार से समझने की कोशिश करते हैं।.

जर्नल द लैंसेट, चाइल्ड एंड एडोलसेंट हेल्थ में प्रकाशित इस अध्ययन में वैज्ञानिकों ने बताया कि संक्रमितों में से कुछ के मामले एसिम्टोमैटिक भी देखे जा रहे हैं, यह भी समस्याओं का कारक हो सकता है। वैज्ञानिकों का कहना है कि चेचक के टीके मंकीपॉक्स संक्रमण के खिलाफ अच्छी सुरक्षा प्रदान करते हैं, इसका उपयोग प्री-एक्सपोज़र या पोस्ट-एक्सपोज़र प्रोफिलैक्सिस (बीमारी को रोकने के लिए की गई कार्रवाई) के लिए किया जा सकता है। अपने जोखिम कारकों को समझते हुए सभी लोगों को इससे बचाव के उपाय करते रहने चाहिए।

मंकीपॉक्स संक्रमण के बढ़ते मामलों की रोकथाम पर जोर देते हुए विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की मुख्य वैज्ञानिक डॉ. सौम्या स्वामीनाथन कहती हैं, कई देशों में यह संक्रमण तेजी से बढ़ रहा है, इसे शुरुआती स्तर पर ही रोकने की आवश्यकता है। हमें भविष्य में मंकीपॉक्स को नियंत्रित करने के लिए प्रभावी टीकों की आवश्यकता हो सकती है। हम सिर्फ यहीं तक सीमित न रहें, भविष्य में इस तरह के कई अन्य जूनोटिक संक्रमण का भी जोखिम हो सकता है जिसको लेकर अभी से तैयार रहने की आवश्यकता है। मंकीपॉक्स से बचाव और टीकाकरण को बढ़ावा देने पर विशेष रूप से काम करने की आवश्यकता है।

स्वास्थ्य मंत्रालय ने अपने दिशानिर्देशों में कहा कि मंकीपॉक्स आमतौर पर दो से चार सप्ताह तक रहने वाला सेल्फ-लिमिटेज संक्रमण है, यह बहुत जानलेवा नहीं है। आमतौर पर बच्चों में गंभीर मामलों का खतरा अधिक देखा जा रहा है। मंकीपॉक्स के कारण मृत्यदर 0 से 11% तक रहा है हालांकि छोटे बच्चों को लेकर विशेष सावधानी बरतते रहने की आवश्यकता है।

जिन लोगों में संक्रमण की पुष्टि होती है उन्हें तुरंत आइसोलेट करने की आवश्यकता है। जटिलताओं की निगरानी और उपचार के माध्यम से संक्रमण को ठीक किया जा सकता है।

मंकीपॉक्स का संक्रमण दुनिया के ज्यादातर देशों को अपनी चपेट में ले चुका है। आइए कुछ प्वाइंट्स में समझते हैं कि अब तक इसकी वैश्विक स्थिति कैसी है?

भारत में अब तक कुल 9 मामले सामने आए हैं जिसमें 4 मामले दिल्ली और शेष पांच केरल से हैं।

देश में A.2 स्ट्रेन का पता चला है जो पिछले साल अमेरिका में देखा गया था। वैज्ञानिक इसे ज्यादा खतरनाक नहीं मान रहे हैं।

डब्ल्यूएचओ ने हाल ही में मंकीपॉक्स के बढ़ते संक्रमण को देखते हुए वैश्विक स्वास्थ्य आपातकाल घोषित किया है।

दुनिया के 87 से अधिक देशों से संक्रमण के 28 हजार से अधिक मामले सामने आ चुके हैं।

अमेरिका की बाइडेन सरकार ने देश में बढ़ते खतरे को देखते हुए पब्लिक हेल्थ एमरजेंसी घोषित कर दिया है।

अमेरिका ने मंकीपॉक्स वैक्सीन इंजेक्शन की आपूर्ति को बढ़ावा देने के लिए वैकल्पिक इंजेक्शन को प्रस्तावित किया है।

अस्वीकरण: अमर उजाला की हेल्थ एवं फिटनेस कैटेगरी में प्रकाशित सभी लेख डॉक्टर, विशेषज्ञों व अकादमिक संस्थानों से बातचीत के आधार पर तैयार किए जाते हैं। लेख में उल्लेखित तथ्यों व सूचनाओं को अमर उजाला के पेशेवर पत्रकारों द्वारा जांचा व परखा गया है। इस लेख को तैयार करते समय सभी तरह के निर्देशों का पालन किया गया है। संबंधित लेख पाठक की जानकारी व जागरूकता बढ़ाने के लिए तैयार किया गया है। अमर उजाला लेख में प्रदत्त जानकारी व सूचना को लेकर किसी तरह का दावा नहीं करता है और न ही जिम्मेदारी लेता है। उपरोक्त लेख में उल्लेखित संबंधित बीमारी के बारे में अधिक जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से परामर्श लें।

Next Story