लाइफ स्टाइल

40 की उम्र के बाद खुद को फिट रखना हैं एक बड़ी चुनौती

Kajal Dubey
3 July 2023 1:12 PM GMT
40 की उम्र के बाद खुद को फिट रखना हैं एक बड़ी चुनौती
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आज के समय में खुद को फिट रखना एक बहुत ही चुनौतीपूर्ण कार्य हो गया है, खासकर, महिलाओं के लिए जब आप 40+ ग्रुप में शामिल होने जा रही हैं। 40 की उम्र के बाद दिल की बीमारी, मधुमेह, ब्लड प्रेशर, किडनी और लिवर संबंधी बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। ऐसे में सेहत पर विशेष ध्यान देने की जरुरत पड़ती है। इसमें सही दिनचर्या का पालन, रोजाना योग और एक्सरसाइज जरूर करें। साथ ही अपने आहार पर भी ध्यान देना बेहद जरुरी है। आज इस कड़ी में हम आपको ऐसे ही आहार के बारे में बताए जा रहे हैं जिन्हें महिलाएं 40 की उम्र के बाद डाइट में शामिल कर अपनी सेहत का ख्याल रख सकती हैं।
डाइट में एड करें फाइबर को
शरीर को हेल्दी रखने के लिए हमें प्रोटीन, विटामिन और मिनरल्स के अलावा फाइबर की जरूरत भी होती है। फाइबर कोलस्ट्रॉल और ग्लूकोज के स्तर को कम करने में मदद करता है। साथ ही यह भोजन को पाचन प्रणाली से निकलने में मदद करने के साथ-साथ जरूरी मात्रा में मल निकाल कर शरीर को स्वस्थ्य बनाता है। डाइट में फाइबर की कमी कब्ज का कारण बन सकती है। कब्ज होने पर व्यक्ति को मलत्याग करने में परेशानी, गैस और एसिडिटी होने लगती है। ऐसे में अगर कई दिनों तक कब्ज की समस्या बनी रहे, तो पाइल्स भी हो सकती है। आपको कभी भी खाने की क्रेविंग हो तो आपको फाइबर का सेवन करना चाहिए। अलसी, बादाम, अनार, सूखा अंजीर, गेहूं का चोकर, बाजरा, राई का आटा, राजमा, दाल, गाजर और चुकंदर में प्रचुर मात्रा में फाइबर पाया जाता है। स्वास्थ्य विशेषज्ञ इसे रोजाना की डाइट में शामिल करने की सलाह देते हैं।
xफ्लैक्स सीड्स
फ्लैक्स सीड्स यानी अलसी के बीज ओमेगा 3 से भरपूर होते हैं। अलसी के बीज का सेवन हमें कब्ज, डायबिटीज, हाई कोलेस्ट्रॉल, हृदय रोग, कैंसर और कई अन्य बीमारियों से बचाता हैं। अलसी के बीज को आप सुबह में खाली पेट गरम पानी में 1 चम्मच मिलाकर पी सकते हैं। यह बहुत ज्यादा लाभकारी होता है। इस तरीके से खाने से फैट तेजी से घटता है। आप इसका रोजाना नियमित रूप से सेवन करते हैं तो इसमें मौजूद अल्फा लाइनोइक अर्थाराइटिस, अस्थमा, डायबिटीज जैसी बीमारियों के खतरे से बचाता है। अलसी को विभिन्न तरीकों से दैनिक आहार में शामिल किया जा सकता है। आप अलसी के बीजों को पीसकर और स्मूदी, मिल्कशेक जैसे पेय में या बेकरी उत्पादों के लिए एक घटक के रूप में इस्तेमाल कर सकते हैं। साबुत अलसी के बीज या अलसी के तेल का उपयोग भोजन के पूरक के रूप में भी किया जा सकता है।
कैल्शियम
कैल्शियम एक महत्वपूर्ण मिनरल है जो हमारी शरीर की हड्डियों और दांतों के स्वास्थ्य को बनाए रखने में मदद मदद करता है। साथ ही यह हमारे दिल और शरीर की अन्य मांसपेशियों के समुचित कार्य के लिए भी आवश्यक है। 40 साल के बाद शरीर में कैल्शियम की मात्रा कम हो जाती है। खासकर यह समस्या महिलाओं में ज्यादा देखने को मिलती हैं, क्योंकि प्रेग्नेंसी के बाद महिलाओं में कैल्शियम की कमी होना आम बात है। मेनोपॉज के दौरान कैल्शियम विशेष रूप से जरूरी होता है क्योंकि एस्ट्रोजेन लेवल में कमी से हड्डियों के नुकसान में तेजी आ सकती है। मेनोपॉज के दौरान महिलाओं के लिए डेयरी प्रोडक्ट का सेवन बिल्कुल जरूरी है। इसके लिए अपनी डाइट में रागी, छोले, अंडे, दूध, दही, पनीर, आंवला आदि को अपनी डाइट में शामिल करना चाहिए। कैल्शियम का सबसे अच्छा स्त्रोत दूध को माना जाता है। एक गिलास दूध में करीब 300 ग्राम कैल्शियम होता है।
डाइट में एड करें प्रोटीन
मानव शरीर द्वारा विकास और रखरखाव के लिए प्रोटीन आवश्यक पोषक तत्व है। पानी के अलावा, प्रोटीन शरीर में सबसे प्रचुर मात्रा में अणु होते हैं। प्रोटीन शरीर की सभी कोशिकाओं में पाया जा सकता है और शरीर में सभी कोशिकाओं का प्रमुख संरचनात्मक घटक है, विशेष रूप से मांसपेशी। इसमें शरीर के अंग, बाल और त्वचा भी शामिल हैं। प्रोटीन की कमी से मानसिक स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ता है। इससे कमजोरी, थकान, मूड स्विंग, बार-बार बीमारी जैसी समस्या दिखने लगती है। इसके अलावा कहीं भी सूजन होने लगती है जो जल्दी भरती नहीं। बार-बार भूख लगती है। इसके लिए प्रोटीन रिच फ़ूड्स का सेवन करें जैसे रामदाना के बीज, मूंगफली, हरी मूंग दाल, चना, पनीर, सत्तू, सोयाबीन, अंडा और कीवी का सेवन कर सकते हैं। साथ ही सब्जियों की बात करे तो आप मटर, ब्रोकली, पालक, बीन्स और फूलगोभी को भी अपनी डाइट में शामिल कर सकते हैं।
अच्छे फैट्स को डाइट में शामिल करें
40 की उम्र के बाद कोलेस्ट्रॉल लेवल सबसे पहले बढ़ने लगता है। इसके अलावा आपको प्री-डायबिटीज, मोटापे, हाइपरटेंशन का खतरा भी बना रहता है। ऐसे में इन समस्याओं से बचने के लिए आपको तय करना होगा कि आपको क्या खाना है और डाइट में किन चीजों का सेवन अवॉइड करना है, ऐसी चीजों का सेवन न करें जिनमें ट्रांस फैट्स की मात्रा ज्यादा हो। आपको अपनी डाइट में हेल्दी फैट्स यानि मोनोअनसैचुरेटेड फैट और पॉलीअनसेचुरेटेड फैट को शामिल करना चाहिए। हेल्दी फैट्स के लिए आप एवोकाडो, ऑलिव ऑयल, फैटी फिश, पनीर और नट्स और सीड्स को शामिल कर सकते हैं। साथ ही आप डार्क चॉकलेट, अंडे, नारियल और दही जैसे फूड्स में भी गुड फैट मौजूद होता है। अच्‍छे फैट पर ध्यान देना और ट्रांस और संतृप्त फैट से बचना बहुत जरूरी है।
फल और सब्जियां
फलों और सब्जियों से विभिन्न प्रकार के विटामिन, खनिज और फाइटोकैमिकल्स प्राप्त होते हैं। इससे शरीर को रोगों से बचाव के लिए आवश्यक ऊर्जा प्राप्त होती है। जैसे-जैसे महिलाओं की उम्र बढ़ती हैं उनका मेटाबॉलिज्म धीमा हो जाता है। जिससे आपको वजन बढ़ने लगता है, लेकिन कम कैलोरी हाई फाइबर फल और सब्जियां खाने से आपका बढ़ता वजन कंट्रोल में रहता है और आपको हेल्दी रहने में भी मदद करता है। फल और सब्जियां खाने से आवश्यक मिनरल्स और विटामिन मिलते हैं, जो हमारी शक्ति और स्वास्थ्य को बढ़ाने के साथ-साथ आपको सेलुलर स्वास्थ्य को भी दुरुस्त रखने में मदद करते हैं। हेल्दी मेटाबॉलिज्म और मांसपेशियों का सही तरीके से काम करना भी आपके इम्यूनिट सिस्टम को कहीं न कहीं बूस्ट करने का काम करता है। पर्याप्त मात्रा में फल और सब्जियां खाने से आपको न सिर्फ हेल्दी लाइफस्टाइल को फॉलो करने में मदद मिलती है बल्कि आप पूरा दिन एनर्जेटिक और फिट भी रह सकते हैं। रोजाना फल और सब्जियों का सेवन करने से व्यक्ति का मूड बेहतर होता है और आपको भावनात्मक रूप से खुशी का अहसास होता है क्योंकि इनमें से एक हैप्पी हार्मोन रिलीज होता है, जो आपके मूड पर पॉजिटिव प्रतिक्रिया छोड़ने का का करता है। पर्याप्त फल और सब्जियां खाने से आपके मूड के लिए जिम्मेदार मस्तिष्क के कार्यों में सुधार होता है।
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