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लाइफ स्टाइल
स्वाद का सफ़रनामा, पेट के बैक्टीरिया खत्म करता है जूफा
Manish Sahu
20 July 2023 6:29 PM GMT
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लाइफस्टाइल: आज हम आपको एक एक ऐसी जड़ी के बारे में जानकारी दे रहे हैं, जिसका इतिहास बेहद प्राचीन के साथ रोचक भी है और भोजन में मसाले के साथ उसका उपयोग किया जाता है. इसका नाम है जूफा. यह एक तरह से पुदीने का विकल्प है, लेकिन विशेषताएं कुछ अलग हैं. यह भोजन में खुशबू तो भरता ही है, शरीर को संक्रमण से भी बचाता है. जूफा की अन्य विशेषता यह है कि यह पेट में पैदा होने वाले बैक्टिरिया को भी खत्म करने में मदद करता है. इसका इतिहास बेहद प्राचीन है. भारत में यह पहाड़ी इलाकों में खूब पैदा होता है.
आहार में खुशबू व स्वाद भर देता है
जूफा मिंट परिवार का एक पौधा है. देश के पहाड़ी इलाकों में यह खूब उगता है और इसकी वहां मांग भी है. खाद्य पदार्थ बेचने वाली ऑनलाइन कंपनियों पर यह आसानी से उपलब्ध है और ऑर्डर पर यह घर तक पहुंचा दिया जाता है. जूफा सदाबहार पौधा है और कुछ देशों में इसे पवित्र पौधा भी माना जाता है. इसके पत्ते पुदीने जैसे ही नजर आते हैं और इसके फूल छोटे, नीले रंग की आभा से युक्त मनभावक खुशबू लिए हुए होते हैं. आहार में इसका प्रयोग कई तरह से किया जाता है. सब्जियों में इसकी ताजी कटी हुई या सूखी पत्तियों को चुटकी भर डाल दिया जाए तो यह अलग तरह का स्वाद तो भर ही देगा, साथ ही खुशबू भी बिखेर देगा.
पहाड़ी क्षेत्रों में इसकी पत्तियों को सूखाकर रख लिया जाता है और पूरे साल उसे आवश्यकतानुसार भोजन में डाला जाता है. इसकी ताजी पत्तियों को शरबत या चाय में डालकर आनंद लिया जा सकता है. मीट, चिकन या फिश को मैरिनेड करने के लिए इसकी पत्तियों का खूब इस्तेमाल होता है. इसे सॉस या सूप में भी डाला जाता है. कुछ देशों में तो शराब में खुशबू भरने के लिए इसकी पत्तियों और फूलों को मिलाया जाता है. सलाद में भी इसका खूब उपयोग होता है. जूफा की खुशबू इतनी मादक और भीनी है कि कुछ देशों के किसान मधुमक्खियों को आकर्षित करने के लिए रेडीमेड छत्ते में इसकी पत्तियों को रगड़ देते हैं. इसके फूलों का शहद भी बेहद पौष्टिक माना जाता है. पुराने समय में घरों की हवा को स्वच्छ रखने के लिए भी इसकी पत्तियां आँर फूलों को रखने का प्रचलन रहा है.
जूफा का इतिहास बेहद पुराना है. भारत के विशेष क्षेत्रों में इसकी खपत अधिक है, लेकिन कुछ देशों में यह भोजन का अनिवार्य अंग है. भारतीय मसाला बोर्ड की जानकारी के अनुसार जूफा दक्षिणी यूरोप और एशिया के समशीतोष्ण क्षेत्रों का मूल निवासी है. इसकी खेती यूरोप विशेषकर दक्षिणी फ्रांस में की जाती है. भारत में यह हिमालय में पाया जाता है और कश्मीर में इसकी खेती की जाती है. बोर्ड के अनुसार जूफा का उपयोग मसाले के रूप में और औषधि के रूप में भी किया जाता है. यह उत्तेजक, वातनाशक और कफनाशक है और इसका उपयोग सर्दी, खांसी, रक्त जमाव और फेफड़ों की शिकायतों में किया जाता है. फूड हिस्टोरियन मसाला प्रोद्योगिकी के विशेषज्ञ जीवन सिंह प्रुथी ने अपनी पुस्तक में जूफी की उत्पत्ति भूमध्यसागर के आसपास के इलाकों में एक जंगली पौधे के रूप में की है. उनका कहना है कि यूरोप, विशेषकर दक्षिण फ्रांस में इसकी खेती सुगंधित तेल के लिए की जाती है. भारत में कश्मीर के बारामूला इलाके में यह सबसे अधिक उगता है. इसका स्वाद गर्म, तीखा और कुछ कड़वा होता है और इसका उपयोग मसाले की तरह किया जाता है.
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Manish Sahu
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