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जनता से रिश्ता वेबडेस्क | नर्वस होना या घबराना एक सहज मानवीय प्रक्रिया है, जो परिस्थितजन्य हो सकती है। यानी कि विपरीत परिस्थितियों में इन समस्याओं का होना सामान्य है। परीक्षा को लेकर, बीमारी के इलाज या किसी और भावनात्मक स्थिति में नर्वसनेस होना आम है। कई बच्चों को नई लोगों से मिलने में भी घबराहट होती है जोकि बड़े होने पर ठीक भी हो जाती है। पर यह समस्या अलार्मिंग तब हो जाती है जब यह नर्वसनेस आपको अक्सर ही परेशान करने लग जाती है।
रोजमर्रा की बातचीत या अपनी बात को रखने में डर लगने की समस्या, ऐसा लगना जैसे लोग हर बात पर आपको जज करेंगे, अगर आप इस तरह की समस्याओं से परेशान हैं तो ये एक प्रकार के मानसिक विकार का संकेत माना जाता है, इसे सोशल एंग्जाइटी डिसऑर्डर (एसएडी) या सोशल फोबिया कहा जाता है। इस समस्या के कारण आपकी क्वालिटी ऑफ लाइफ पर भी नकारात्मक असर हो सकता है।
आइए सोशल फोबिया की इस समस्या के बारे में समझते हैं।सोशल एंग्जाइटी डिसऑर्डर एक क्रोनिक मानसिक स्वास्थ्य की समस्या हो सकती है, यह किसी को भी हो सकता है। सामान्य चिंता-घबराहट के विपरीत, एसएडी विकार में डर, चिंता और नकारात्मकता का जोखिम अधिक होता है। यह रिश्तों, दैनिक दिनचर्या, कामकाज, स्कूल या अन्य गतिविधियों में बाधा डाल सकती है। सोशल फोबिया आम तौर पर मध्य-किशोरावस्था में शुरू होता है, हालांकि यह कभी-कभी छोटे बच्चों में भी हो सकता है।
कुछ प्रकार की स्थितियां और संकेतों के माध्यम से इसका अंदाजा लगाया जा सकता है कि किसी को सोशल एंग्जाइटी डिसऑर्डर तो नहीं है। अगर ऐसे लक्षण दिख रहे हों तो इसे एक संकेत के तौर पर देखा जाना चाहिए।
उन स्थितियों से डरना जिनमें आपको नकारात्मक रूप से आंका जा सकता है।
अजनबियों के साथ बातचीत करने में डर लगना।
डर लगना कि दूसरे यह नोटिस करेंगे कि आप चिंतित दिख रहे हैं।
शारीरिक लक्षण- जैसे कि शरमाना, किसी को देखकर पसीना आना, कांपना या कर्कश आवाज होना।
शर्मिंदगी के डर से लोगों से बातें करने या बोलने से बचना।
उन स्थितियों से बचना जहां आप पर लोगों का ध्यान केंद्रित हो सकता है।