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माचा शॉट्स, लैट्स और डिज़र्ट की लोकप्रियता के कारण ग्रीन टी पीनेवाले धीरे-धीरे ही सही लेकिन माचा टी की तरफ़ बढ़ रहे हैं. “माचा टी उसी चाय की पत्तियों का इस्तेमाल करके बनाया जाता है, जिनका सेवन हम वर्षों से करते आ रहे है, फिर चाहे व ब्लैक टी या फिर ग्रीन टी. फ़र्क सिर्फ़ इतना है कि पत्तियों को तोड़ने से पहले, पौधों को कुछ हफ़्तों के लिए छांव में रखा जाता है”. धारिणी कृष्णन, सलाहकार आहार विशेषज्ञ, चेन्नई बताती हैं कि “दूसरी चाय बनाने के बाद पत्ती हटा दी जाती है और बचे पानी का सेवन किया जाता है, लेकिन माचा टी के साथ ऐसा नहीं है. माचा टी तैयार करने के लिए पत्तियों को तनों से अलग कर दिया जाता है और फिर उन्हें उबाल व सुखाकर महीन पाउडर तैयार किया जाता है. कृष्णन कहती हैं कि “इस पाउडर को पानी में डालने के बाद उसे छानने की ज़रूरत नहीं पड़ती है, क्योंकि वह पानी में आसानी से घुल जाता है. इस चाय का सेवन टी सेरेमनीज़ में वो भी बहुत कम लोग करते थे, लेकिन अब इसे अन्य चाय की तरह की महत्व दिया जा रहा है.”
हेल्दी टी की दुनिया में एक और चाय अपी जगह बना रही है और वह है माचा टी. आपने ट्राय किया?
माचा टी बनाने की विधि
लगभग 150 मिली पानी में एक टीस्पून पत्ती के पाउडर को मिलाएं.
इसे तब तक फेंटें जब तक इसमें झाग न बन जाए.
जो लोग कुछ और एडवेंचरेस करना चाहते हैं , वे इसे हलवा, स्मूदी और मिठाइयों में आजमा सकते हैं.
यह सुनिश्चित करना बहुत ज़रूरी है कि इसे अधिक मात्रा में नहीं लें.
माचा टी के फ़ायदे
फ़ायदे में पहला ऐंटीऑक्सिडेंट शामिल हैं, जो रोगों की रोकथाम के लिए आवश्यक घटक है. ग्रीन टी की तुलना में, माचा टी में एक ऐंटीऑक्सिडेंट एपिगैलोकैटेचिन 3-ओ-गैलेट (ईजीसीजी) की मात्रा काफ़ी अधिक होती है. माचा टी पर केवल कुछ शोध अध्ययन उपलब्ध हैं. प्रारंभिक शोध से पता चलता है कि तेज़ चलने से पहले इसे लेने से यह फ़ैट को छोटे भागों में तोड़ने का काम करती है, जिससे वज़न करने में मदद मिलती है. इसके अलावा, माचा टी में ग्रीन टी के सेवन से जुड़े सभी फ़ायदे मौजूद हैं, जैसे बुजुर्गों में संज्ञानात्मक गिरावट (कॉग्नेटिव डिक्लाइन) को कम करना, तथाकथित ख़राब कोलेस्टेरॉल या एलडीएल कोलेस्टेरॉल को कम करना और यह प्रोस्टेट कैंसर की रोकथाम में भी प्रभावी रूप से काम करती है.
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Image: Shutterstock
कम करें माचा टी का सेवन
स्वास्थ्यवर्धक चीज़ों का सेवन भी हमें सीमित मात्रा में करना चाहिए, जिसमें माचा टी भी शामिल है. आप रोज़ाना लगभग 3 कप माचा टी का सेवन कर सकते हैं, जिसे रेग्युलर टी या कॉफ़ी से बदला जा सकता है.
चाय की पत्तियां मिट्टी में जितने भी खनिज मौजूद होते हैं, उन्हें सोख लेती हैं. जब आप इनका अधिक मात्रा में सेवन करते हैं तो ये आपके स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डालती हैं. गर्भवती और स्तनपान करानेवाली महिलाओं के साथ-साथ बच्चों को भी इस चाय का सेवन नहीं करना चाहिए.
सोया
सोया में सैचुरेटेड फ़ैट की काफ़ी कम मात्रा होती है, जिसके कारण यह कोलेस्टेरॉल कम करने में सहायक है. इसमें पाए जानेवाले ख़ास तरह के प्रोटीन कोलेस्टेरॉल को रेग्युलेट करने में मदद करते हैं. कई शोधों में यह बात सामने आई है कि रोज़ाना के खानपान में 15 ग्राम सोया शामिल करके लगभग 6% तक कोलेस्टेरॉल कम किया जा सकता है.
बार्ली (जौ)
सेहत से भरे इस अनाज में बीटा ग्लूकैन नामक एक सोल्यूबल फ़ाइबर होता है. जब हम बीटा ग्लूकैन खाते हैं तब यह पेट में जाकर एक ख़ास तरह के जेल में बदल जाता है, जो आंत में कोलेस्टेरॉल को बांधकर रखता है. कोलेस्टेरॉल को रक्त द्वारा अवशोषित करने से रोकता है. डायटीशियन्स रोज़ाना के खानपान में लगभग 3 ग्राम बीटा ग्लूकैन लेने की सलाह देते है. बार्ली की तरह ही दूसरी खानपान की चीज़ें, जिनमें बीटा ग्लूकैन हो, उन्हें अपनी डायट में शामिल करके आप प्रभावी ढंग से कोलेस्टेरॉल को कम कर सकते हैं.
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