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आमतौर पर 12 से 14 वर्ष की उम्र में पीरियड्स की शुरुआत होती है, जो 45 से लेकर 50 वर्ष की उम्र तक, महिलाओं के साथ हर महीने बनी रहती है. पीरियड्स महिलाओं में होनेवाली एक सामान्य शारीरिक प्रक्रिया है, जो गर्भावस्था के साथ-साथ उनकी बेहतर सेहत का भी प्रमाणपत्र है. वैसे आमतौर पर पीरियड की अवधि तीन से सात दिन के बीच होती है. सामान्य और स्वस्थ पीरियड 25 से 35 दिन के अंतराल पर आता है. यदि आपका पीरियड दो या तीन महीनों पर आता है, तो आपको तुरंत गायनाकोलॉजिस्ट से मिलकर इस बारे में चर्चा करनी चाहिए. दरअस्ल, आजकल की भागती-दौड़ती ज़िंदगी में कई बार हम पीरियड्स के मिस होने पर भी इस पर ध्यान नहीं देते. जिसकी वजह से आगे चलकर कंसीव करने में दिक़्क़त, पीसीओडी, पीसीओएस जैसी कई गंभीर समस्याओं का सामना करना पड़ता है. अनियमित पीरियड्स इस बात का सिग्नल होते हैं कि महिला को ओवेरियन सिस्ट, थायरॉइड या पीसीओएस की समस्या है.
इंटर मेंस्ट्रुअल ब्लीडिंग है ख़तरनाक
अनियमित पीरियड के कारणों का पता लगाकर इसका इलाज किया जाना चाहिए. अनियमित पीरियड में सबसे बुरा होता है, इंटर मेंस्ट्रुअल ब्लीडिंग. यह इमर्जेंसी कॉन्ट्रासेप्टिव पिल्स के इस्तेमाल की वजह से हो सकता है. इंटर मेंस्ट्रुअल ब्लीडिंग की जांच के लिए अल्ट्रासाउंड किया जाता है, क्योंकि इनमें ओवेरियन सिस्ट से लेकर यूट्रस के घातक कैंसर तक का संकेत छुपा हो सकता है.
मामूली ब्लीडिंग होना
बहुत कम ब्लीडिंग होने पर ख़ुश होने के बजाय तुरंत डॉक्टर से मिलें. क्योंकि पीरियड्स के दौरान बेहद कम या ना के बराबर ब्लीडिंग होना होना भी एक समस्या ही है. इसका मतलब यह भी होता है, कि आपके शरीर में पोषक तत्वों की मात्रा बहुत कम है. या आपके शरीर में विटामिन या पोषण की कमी है.
बहुत ज़्यादा क्लॉटिंग
पीरियड्स के दौरान थोड़े-बहुत थक्के यानी मेन्स्ट्रु अल क्लॉट्स निकलना आम है. लेकिन इनकी मात्रा ज़्यादा होना, आकार में बहुत बड़ा होना चिंता का विषय हो सकता है. यह फ़ाइब्रॉइड्स, ट्यूमर इत्यादि होने का संकेत हो सकता है. इसलिए समय रहते ही इसकी जांच कराएं और एक्स्पर्ट की मदद लें.
फ़ाइब्रॉइड्स से पीरियड में होता है तेज़ दर्द
सामान्य पीरियड में पहले या दूसरे दिन दर्द होता है, लेकिन यदि दर्द ज़्यादा है तो यह फ़ाइब्रॉइड्स या इंडोमेट्रियोसिस की वजह से हो सकता है. इंडोमोट्रियोसिस एक ऐसी बीमारी है, जिससे गर्भाशय की बाहरी लाइनिंग के टिशू में असामान्य ग्रोथ होने लगता है. जो सिस्ट या घाव में बदलकर असहनीय दर्द का कारण बन जाता है. आमतौर पर फ़ाइब्रॉइड्स की वजह से पेट में भारीपन महसूस होता है और बार-बार टॉइलेट लगती है.
साफ़-सफ़ाई पर दें ध्यान
इसमें कोई शक़ नहीं कि पीरियड्स के दौरान आपको पर्सनल हाइजीन का ज़्यादा ख़्याल रखना चाहिए. इससे ना केवल आपकी सेहत पर असर पड़ता है, बल्कि आप कई तरह की बीमारी जैसे यूटीआई जैसे इन्फ़ेक्शन्स से भी बच सकती हैं.
हार्मोनल बदलाव की वजह से होता है पीएमएस
ज़्यादातर मामलों में पीरियड्स के दौरान मूड स्विंग, सीने में दर्द, या डिप्रेशन-सा महसूस होता है. यह प्रीमेन्स्ट्रुअल सिंड्रोम है, जिसे पीएमएस कहते हैं. पीएमएस के असर को स्वस्थ जीवनशैली अपनाकर, व्यायाम करके कम किया जा सकता है.
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