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लम्बे समय से कमर दर्द को कर रहे नज़र अंदाज़ तो क्र रहे है भोत बड़ी गलती

Kajal Dubey
28 April 2023 1:17 PM GMT
लम्बे समय से कमर दर्द को कर रहे  नज़र अंदाज़ तो क्र रहे है भोत बड़ी गलती
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महिलाओं द्वारा अक्सर कमर के दर्द को रोज़ाना का दर्द मानकर नज़रअंदाज़ कर दिया जाता है, पर आपको जानकर बड़ा धक्का लग सकता है कि यह दर्द उन्हें एंकिलॉजिंग स्‍पॉन्डिलाइटिस (एएस) नामक बीमारी की सौगात दे सकता है. आम धारणा यह है कि एंकिलॉजिंग स्‍पॉन्डिलाइटिस (एएस) पुरुषों की बीमारी है. पर इससे जुड़े शोध महिलाओं को भी इसके शिकार की जद में आने की गवाही देते हैं.

क्या है एंकिलॉजिंग स्‍पॉन्डिलाइटिस (एएस) और क्यों यह महिलाओं के लिए बन रहा है ख़तरनाक?
एंकिलॉजिंग स्‍पॉन्डिलाइटिस (एएस) ऐसी बीमारी है जिसमें सबसे पहले कमर में दर्द होता है. और इसकी डरावनी बात यह है कि यह बीमारी 20 से 30 वर्ष की उम्र में भी हो सकती है. यह बीमारी प्रत्येक 500 में से एक वयस्क को होती है, यह एक अपरिवर्तनीय, इफ़्लैमेटरी और ऑटोइम्‍यून स्थिति है, जिसमें रीढ़ की हड्डियां आपस में जुड़ जाती हैं. एएस का वास्तविक कारण अब भी अज्ञात है, हालांकि विशेषज्ञों का मानना है कि एएस के अधिकांश रोगियों में एक जीन एचएलए-बी27 कॉमन होता है. एएस के कारण शरीर के विभिन्न अंगों (कमर, नितंब और जांघ आदि) में स्थायी दर्द, अकड़न और सूजन होती है, ख़ासकर सुबह के समय या लंबे समय तक बैठने के बाद.
आमतौर पर जिन लोगों में इस बीमारी की शुरुआत होती है, वे दर्द से बचने के लिए पेन किलर्स और पेन रिलीफ़ क़ीम्स लगाते रहते हैं. पर बीतते साल के साथ रीढ़ की हड्डियों की स्थिति और बुरी होती जाती है. और एक दिन आता है, जब मरीज़ का उठ पाना भी मुश्क़िल हो जाता है. इस बीमारी के बारे में कहते हैं कि यह पुरुषों की बीमारी है. यही कारण है कि अक्सर पुरुषों को लगातार कमर दर्द की समस्या रहने पर एंकिलॉजिंग स्‍पॉन्डिलाइटिस का परीक्षण कराया जाता है. इसके चलते पुरुषों में यह बीमारी 3 साल की देरी से डिटेक्ट हो जाती है. पर महिलाओं में यह देरी औसतन 10 साल हो जाती है. इतना समय काफ़ी है मामले को ख़राब करने के लिए. महिला रोगियों के उपचार की शुरुआत होने तक उनकी रीढ़ की हड्डियां जुड़ने लगती हैं और झुक जाती हैं.

बीमारी पुरुषों की कही जाती है, पर प्रभावित महिलाओं को अधिक करती है!
विश्व में एएस रोगियों के पुरुष-महिला अनुपात की बात करें तो यह 3:1 या 2:1 है. हालांकि यह अलग-अलग संस्‍कृति के लोगों में अलग-अलग होता है. पुरुषों की तुलना में, महिला एएस रोगियों को अधिक थकान का अनुभव होता है और उनमें काम न कर पाने की भी शिकायत आती है. यही नहीं, थोड़े समय के बाद उन्‍हें सोराइसिस होने की भी ख़तरा रहता है. एएस की महिला रोगियों को सोरायटिक आर्थराइटिस भी हो सकता है, साथ ही पेरिफ़ेरल और सर्वाइकल जॉइंट्स में सूजन और जलन भी होती है. यह पुरुषों से एकदम विपरीत है, जिन्हें आमतौर पर कमर के निचले हिस्‍से में दर्द होता है, ख़ासकर शुरुआती वर्षों में.
एएस की महिला रोगियों में इसका देर से पता चलना या ग़लत रोग समझा जाना आम है. इसके लक्षणों को अक्‍सर नज़रअंदाज़ किया जाता है और उन्हें जीवनशैली या तनाव के कारण उत्पन्न कमर दर्द मान लिया जाता है, जिससे इस रोग का पता चलने में बहुत देर हो जाती है. एएस को अक्सर रीढ़ का कोई दूसरा रोग समझ लिया जाता है, जैसे स्पाइनल ऑस्टियोआर्थराइटिस, स्लिप्ड डिस्क और सबसे आमतौर पर फ़ाइब्रोमाएल्जिया, जो कि पुराने दर्द वाला रोग है. एक अध्ययन में पता चला कि एएस से पीड़ित होने वाली 21% महिलाओं को शुरुआत में फ़ाइब्रोमाएल्जिया बताया गया था.

एंकिलॉजिंग स्‍पॉन्डिलाइटिस (एएस) के प्रमुख लक्षण
* सुबह उठते ही कमर में दर्द और जोड़ों में अकड़न, जो दवा लेने के बावजूद 90 दिनों तक रहे, यह कमर के आम दर्द जैसा नहीं है, जो शारीरिक गतिविधि में बढ़ जाता है और आराम करने पर घट जाता है.
* कमर, जोड़ों, नितंबों, कूल्हों और जांघ के पीछे अचानक तेज़ दर्द उठना.
* इसकी शुरुआत 40 साल की उम्र के पहले होती है. गुज़रते वर्षों के साथ यह रोग कई गुना बढ़ जाता है.
* एएस में एक्‍सरसाइज़ से सुधार होता है और आराम करने से स्थिति ख़राब हो जाती है.
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क्या है इसके उपचार और रोकथाम का तरीक़ा?
एएस के महिला और पुरुष रोगियों के लिए उपचार विकल्प और प्रोटोकॉल एक जैसे हैं, एनएसएआईडी और फ़िज़ियोथेरैपी उपचार की पहली लाइन हैं. एंकिलॉजिंग स्‍पॉन्डिलाइटिस के उपचार में काफ़ी प्रगति हुई है, ख़ासकर उन रोगियों के लिए, जिन्हें थेरैपी की पहली लाइन से फ़ायदा नहीं होता है. सबसे उन्नत उपचार है बायोलॉजिक्स का विकास. बायोलॉजिक्स केवल पिछले 15 से 20 वर्षों से मौजूद हैं. यह दवा की ऐसी श्रेणी है, जो प्रतिरोधक तंत्र के ख़ास हिस्सों पर लक्ष्य रखती है. एएस में प्रतिरोधक तंत्र तेज़ी से काम करता है और स्वस्थ कोशिकाओं पर हमला कर देता है. इसलिए प्रतिरोधक तंत्र को नियंत्रण में रखना एंकिलॉजिंग स्‍पॉन्डिलाइटिस पर नियंत्रण की कुंजी है. बायोलॉजिक्स ने ऐसे समय में एएस की वृद्धि रोकने में मदद की है, जब दूसरे सभी उपचार विफल हो गए.
यह दवाएं महिलाओं के मासिक धर्म या रजोनिवृत्ति में दखल नहीं देती हैं और रिसर्च स्‍टडीज़ में इनकी लंबी अवधि की सुरक्षा स्थापित हुई है. हालांकि, एएस के उपचार में कुछ दवाएं गर्भावस्था और स्तनपान को प्रभावित कर सकती हैं. दवाओं के साथ, रूमैटोलॉजिस्ट्स रोज़ एक्‍सरसाइज़ करने और बैलेंस्‍ड डाइट लेने की सलाह देते हैं, ताकि आपकी सेहत बेहतर हो और वज़न नियंत्रित रहे. सही समय पर एएस का पता चलने से महिलां इन आदतों को जल्दी अपना सकती हैं और अपने जीवन को बेहतर बना सकती हैं.
मेडिकल एक्‍सपर्ट एएस के लक्षणों का अनुभव कर रहे मरीज़ों और ख़ासकर महिलाओं को रूमैटोलॉजिस्ट के साथ नियमित संपर्क में रहने की सलाह देते हैं. साथ ही उपचार करने वाले डॉक्‍टर को इस स्थिति के जल्‍द से जल्‍द पता लगाने और उपचार के लिए लक्षणों पर नज़र रखनी चाहिए. महामारी के प्रकोप ने एएस के कई रोगियों के समय पर कंसल्टेशन और उपचार में बाधा उत्पन्न की है. हालांकि अब सुरक्षा उपायों, सामाजिक दूरी और रूमैटोलॉजिस्ट के साथ प्री-अपॉइंटमेन्ट द्वारा रोगी कंसल्टेशन के लिए डॉक्टर के पास जा सकते हैं और उनकी सलाह के अनुसार टेलीकंसल्टेशन भी कर सकते हैं.
एंकिलॉजिंग स्‍पॉन्डिलाइटिस (एएस) को जल्द डायग्नोस करना इसलिए भी ज़रूरी है, क्योंकि कई वर्षों तक महिलाओं में एएस का पता नहीं चलने से रीढ़ की हड्डियों की संरचना क्षतिग्रस्त हो सकती है और विकलांगता आ सकती है. रूमैटोलॉजिस्ट्स कमर में तेज़ दर्द वाली महिलाओं को सलाह देते हैं कि वे लक्षणों पर ध्यान दें. वे महिलाओं को इसे केवल ख़राब जीवनशैली से संबंधित दर्द नहीं समझने के लिए प्रोत्साहित करते हैं.
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