लाइफ स्टाइल

पहचानें इन संकेतों से बोन की डेंसिटी कम तो नहीं हो रही

Manish Sahu
18 July 2023 3:43 PM GMT
पहचानें इन संकेतों से बोन की डेंसिटी कम तो नहीं हो रही
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लाइफस्टाइल: हड्डियां सिर्फ शरीर को एक संरचना ही प्रदान नहीं करती हैं, बल्कि विभिन्न अंगों के लिए सेफगार्ड की तरह काम करना, मांसपेशियों को बनाए रखना और कैल्शियम का भंडारण जैसे कार्य भी हड्डियों द्वारा ही किए जाते हैं। इसलिए, शरीर के विभिन्न अंगों की तरह हड्डियों का ख्याल रखना बेहद आवश्यक होता है। यह बच्चों से लेकर बूढ़ो तक के लिए जरूरी है। हालांकि, महिलाओं को अपनी बोन हेल्थ का विशेष रूप से ख्याल रखना होता है। दरअसल, 30 साल की उम्र के बाद महिलाओं की बोन डेंसिटी कम होने लगती है। जिसके कारण उनकी हड्डियां कमजोर हो जाती हैं और उन्हें कई तरह की स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करना पड़ता है। आपको शायद पता ना हो, लेकिन भारत में लगभग 46 मिलियन महिलाएं ऑस्टियोपोरोसिस से पीड़ित है। यह एक ऐसी स्थिति है, जिसके कारण हड्डियां कमजोर हो जाती हैं।
महिलाओं में ऑस्टियोपोरोसिस और ऑस्टियोपीनिया का खतरा अधिक होता है क्योंकि महिलाओं की हड्डियां पुरुषों की तुलना में थोड़ी अधिक कॉम्पैक्ट और कम मोटी होती हैं। इतना ही नहीं, मेनोपॉज के बाद उनकी हड्डियों पर गहरा असर पड़ता है क्योंकि हार्मोन स्राव का स्तर कम हो जाता है, जो हड्डियों को सहारा देने में मदद करता है। हालांकि, अगर महिला समय रहते बोन डेंसिटी के लॉस होने के कुछ संकेतों को समझें और अपने खानपान व लाइफस्टाइल में बदलाव करें तो इससे इस समस्या से काफी हद तक बचाव किया जा सकता है। तो चलिए आज इस लेख में हम आपको महिलाओं में बोन डेंसिटी लॉस होने के कुछ लक्षणों के बारे में बता रहे है बार-बार हड्डी टूटना हड्डी में दरारें और फ्रैक्चर, कई मामलों में, शुरुआती संकेत हैं कि जो महिला ऑस्टियोपोरोसिस से पीड़ित हैं।
आमतौर पर, यह समस्या हड्डियों की डेंसिटी कम होने होने के कारण होती है। इस स्थिति में मामूली रूप से गिरने या चोट लगने पर महिला को गंभीर हड्डी की चोट का सामना करना पड़ सकता है, जो अमूमन कलाई, कूल्हे या बैक पर हो सकती है। पीठ के निचले हिस्से में दर्द होना अगर आपको बार-बार पीठ दर्द का अनुभव होता है, तो यह मूल लक्षणों में से एक हो सकता है क्योंकि रीढ़ की हड्डियां कमजोर हो जाती हैं। जिसके कारण हड्डियां सामान्य दबाव को संभालने में विफल हो जाती हैं। यह महिलाओं में बहुत आम है, खासकर 30 साल की उम्र के बाद, हड्डियों के स्वास्थ्य पर असर डालना शुरू हो जाती है। पॉश्चर में बदलाव कमजोर हड्डियों का प्रभाव महिलाओं के बॉडी पॉश्चर पर पड़ता है, क्योंकि रीढ़ (कशेरुक) उस बिंदु तक कमजोर हो सकती है जहां कोलेस्प हो जाती है, जिसके परिणामस्वरूप महिलाओं का पॉश्चर बदल जाता है।
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