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बच्चों की त्वचा की नमी को बनाए रखना बहुत ज़रूरी होता. यही कारण है कि बच्चे के जन्म के बाद के शुरुआती दो-तीन महीनों में उन्हें रोज़ाना स्नान कराना और उनकी तेल
मालिश करना बहुत ही अहम होता है.
आमतौर पर भारतीय घरों में नवजात बच्चों की मालिश के लिए मालिशवाली बाई को नियुक्त किया जाता है. हां, दादियों-नानियों का भी पसंदीदा काम होता है बच्चों की मालिश करना. तो बच्चों को तेल लगाकर हल्के हाथ से मसाज करने पर बच्चों को अच्छी नींद भी आती है.
अभी लॉकडाउन और कोरोना के तेज़ी से बढ़ रहे मामलों के चलते अगर आपको मालिश करने के लिए बाई नहीं मिल पा रही हो तो आप इन कुछ सावधानियों के साथ बच्चे की वृद्धि के लिए ज़रूरी मसाज ख़ुद भी कर सकती हैं.
आइए जानें, वो कौन-सी पांच बातें हैं, जिनका ध्यान आपको ज़रूर रखना चाहिए. इसके पहले एक बात और… अगर आप इस बात को लेकर कन्फ़्यूज़ हैं कि आपको मालिश के लिए किस तेल का इस्तेमाल करना चाहिए तो बता दें कि आमतौर पर तिल का तेल, ऑलिव ऑयल, सरसों व नारियल के तेल को मालिश के लिए एकदम उपयुक्त समझा जाता है. आप अपने हिसाब से चुनाव कर लें. चलिए अब पांच टिप्स की बात कर लेते हैं.
टिप नंबर 1: हमें सबसे पहले तेल का पैच टेस्ट करना चाहिए. यानी बच्चे के शरीर के एक हिस्से पर थोड़ी-सी जगह पर तेल लगाकर देखना चाहिए. अगर तेल लगाई हुई जगह पर किसी तरह के रैशेज़ डेवलप हो रहे हों तो समझिए यह तेल बच्चे की त्वचा पर सूट नहीं कर रहा है. आपको तुरंत तेल बदल देना चाहिए.
टिप नंबर 2: चूंकि आमतौर पर तेल को हल्का गर्म करके बच्चे की त्वचा पर लगाया जाता है. तो बच्चे के शरीर पर तेल लगाने से पहले थोड़ा-सा तेल अपने हाथ पर लगाकर देख लें कहीं यह बहुत गरम तो नहीं. तेल बहुत ही हल्का गर्म होना चाहिए, ज़्यादा गर्म तेल से बच्चे की त्वचा को नुक़सान पहुंच जाता है.
टिप नंबर 3: तेल को बच्चे के पेट पर हल्के-से उड़ेल कर हल्के हाथों से मसाज करना शुरू कर दें. अधिक ताक़त लगाकर मसाज कभी न करें. इससे बच्चे को फ़ायदा छोड़ नुक़सान ही होनेवाला है. वैसे भी आपको पता ही होगा कि बच्चों की हड्डियां बड़ी नाज़ुक होती हैं.
टिप नंबर 4: इस बात का ख़्याल हमेशा रखें कि मसाज बेशक बहुत ज़रूरी है, पर उससे भी कहीं ज़रूरी है आपके बच्चे का कंफ़र्ट. अगर मसाज करने के बाद या उस दौरान बच्चा असहज महसूस करता हो तो बेहतर होगा कि उसके थोड़ा और बड़ा होने तक मसाज न ही करें.
टिप नंबर 5: बच्चे के सोने-जागने की साइकिल को ध्यान में रखते हुए उसकी मालिश का समय तय करें. आमतौर पर मसाज के बाद बच्चे अच्छी नींद लेते हैं. तो सुबह जब बच्चा उठे तब उसकी मालिश कर दें. मालिश करने के बाद वह सो जाएगा और जब वह उठे तो उसे स्नान करा दें. इस तरह वह बिल्कुल फ्रेश हो जाएगा.
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