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कोविड-19 के संक्रमण ने हमें प्रकृति से दोबारा जोड़ दिया है. अब हम ईकोफ्रेंडली लिविंग की बात करने लगे हैं. हम अपनी जीवनशैली को पर्यावरण के अनुकूल बनाने की कोशिश करने लगे हैं, जो कि इस वक़्त की नज़ाकत को समझते हुए बेहद ज़रूरी भी है. उम्मीद करते हैं कि इस महामारी की समाप्ति के बाद भी लोग अपनी इस बदली हुई जीवनशैली पर क़ायम रहेंगे. यदि आपने भी अपने आप को पर्यावरण के अनुकूल बनाने का फ़ैसला कर ही लिया है तो अपने घर के इन रोज़ाना किए जानेवाले कामों को करने का ढंग बदल दें, इससे वह बदलाव जल्दी आ जाएगा, जिसकी आप उम्मीद लगाए बैठे हैं. तो पढ़िए घर के रोज़ाना के कामों को करते हुए आप कैसे ईको फ्रेंडली रह सकते हैं.
प्राकृतिक क्लीनर्स का इस्तेमाल करें
जब आप घर के लिए क्लीनर्स यानी लॉन्ड्री डिटर्जेंट, साबुन आदि ख़रीद रहे हों तो पैक के लेबल को पढ़ना न भूलें. साफ़-सफ़ाई के लिए ऐसी चीज़ें ख़रीदें, जिनमें केमिकल्स कम से कम हों. बेहतर होगा कि आप प्राकृतिक इन्ग्रीडिएंट्स वाले प्रॉडक्ट्स ही ख़रीदें. ऐसा करना न केवल आपकी सेहत के लिए अच्छा होगा, बल्कि पर्यावरण में ज़हरीले केमिकल्स भी नहीं फैलेंगे.
साफ़-सफ़ाई के लिए आप किचन में उपलब्ध आम चीज़ों का भी इस्तेमाल कर सकती हैं, जैसे-विनेगर (सिरका), बेकिंग सोडा, नींबू का रस आदि. ये चीज़ें बेहद प्रभावशाली क्लीनिंग एजेंट्स हैं. सबसे बड़ी बात ये प्राकृतिक हैं.
कपड़े के पोंछे का इस्तेमाल करें
आदि पोंछने के लिए पेपर नैपकिन्स का इस्तेमाल बंद कर दें. इसका सबसे बड़ा कारण तो यह है कि पेपर नैपकिन्स सिंगल यूज़ वाली होती हैं. वहीं स्पंज में बैक्टीरिया के जमा होने की संभावना होती है. फेंकने के बाद इनका विघटन भी नहीं होता. बजाय इसके कपड़े के पोंछे को प्राथमिकता दें. पहली बात तो वे साफ़-सफ़ाई को आसान बनाते हैं और दूसरी बात उनमें जर्म्स के जमा होने की संभावना न के बराबर होती है. गंदा होने पर आप उन्हें धोकर दोबारा यूज़ कर सकती हैं.
और दूसरी छोटी-छोटी सावधानियां, जो आएंगी काम
ऊपर सुझाए गए दो उपायों के अलावा आप अपनी जीवनशैली में इन छोटे-छोटे बदलावों को शामिल करके पर्यावरण को बचाने की मुहिम में अपने हिस्से का योगदान दे सकती हैं.
-इस्तरी करने के लिए: कपड़ों को धोकर सुखाने के बाद उन्हें गोल-मोल गट्ठर बनाकर न रखें, बजाय इसके हैंगर में रखें. इस तरह कपड़े सुखाने या सूखने के बाद उन्हें रखने से, उनपर ज़्यादा क्रीज़ नहीं पड़ते. इस्तरी करते समय मेहनत भी कम लगती है और बिजली की भी बचत होती है.
-डिशवॉशर और वॉशिंग मशीन के लिए: आप इन उपकरणों का इस्तेमाल तभी करें, जब आपके पास ख़ूब सारे बर्तन हो जाएं या ढेर सारे कपड़े जमा हो जाएं. इससे आप बिजली और पानी दोनों की ही बचत कर सकती हैं. जहां तक संभव हो इन कामों के लिए ठंडे पानी का ही इस्तेमाल करें.
-खाना बनाने के लिए: सब्ज़ियों को पानी के नल के नीचे धोने के बजाय एक बड़े से बर्तन में पानी भरकर उसमें धोएं. इससे पानी कम ख़र्च होगा. खाना बनाते समय बर्तनों का ग़ैरज़रूरी इस्तेमाल न करें. इससे बर्तन बढ़ेंगे, उन्हें धोने की मेहनत बढ़ेगी. ज़्यादा पानी लगेगा. डिटर्जेंट अधिक ख़र्च होगा. खाने की जो चीज़ें बच जाएं, उन्हें फेंकने के बजाय फ्रिज में स्टोर करके रखें. हां, स्टोर करने से पहले यह ध्यान रखें कि वो चीज़ें कमरे के तापमान पर आएं.
-वैक्युम क्लीनिंग के लिए: डस्ट कलेक्टर को नियमित रूप से साफ़ करें, इससे वैक्युम क्लीनर को इस्तेमाल करने में आसानी होगी.
-पौधों को पानी देने के लिए: पास्ता बॉइल करने, सब्ज़ियों को उबालने या चावल बनाने के लिए इस्तेमाल पानी को ठंडा करने के बाद पौधों में डालें. यह एक पंथ दो काज वाली बात को साबित कर देगा.
-कार धोने के लिए: पानी का पाइप इस्तेमाल करने के बजाय बाल्टी के पानी से कार को धोएं. इससे आप पानी के अपव्यय को कम कर सकती हैं.
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