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यदि आप घर बैठे निवेश करने का आसान तरीक़ा तलाश रही हैं और गोल्ड व एफ़डी के अलावा अन्य सुरक्षित विकल्पों को खंगाल रही हैं, तो यह आलेख आप ही के लिए है. हम बता रहे हैं, कुछ कम जोखिम और अच्छे रिटर्न्स देनेवाले बेहतरीन निवेश विकल्प, जिसके लिए आपको बहुत ज़्यादा जानकारी भी नहीं जुटानी होगी.
लखनऊ की 37 वर्षीया आराधना का कपड़ों का एक स्टोर है. आराधना को स्टोर खोले तीन साल हो गए. स्टोर के साथ उनका एक ब्यूटी पार्लर भी है. अपनी निवेश योजनाओं के बारे में वे बताती हैं,“मुझे पता है कि अगर ख़ुद की सेविंग न हो तो कितनी परेशानी होती है. मैं नियम से रुपए सेव करती हूं. जब ठीक-ठाक रक़म इकट्ठा हो जाती है, तो उन रुपयों से सोने की कोई चीज़ बनवा लेती हूं. सोने का दाम तो बढ़ते ही रहता है. इंश्योरेंस में भी कुछ रुपए डाल रखे हैं, तो उसकी क़िस्त में भी कुछ रुपए एक तरफ़ सेव हो जाते हैं. इनके अलावा बैंक में एफ़डी भी कर रखी है.” आराधना को सेविंग के इन तौर-तरीक़ों की सलाह स्टोर पर आने वाली महिलाओं ने दी है.
मुंबई के फ़ाइनैंशियल कंसल्टेंट विष्णु बरनवाल ने आराधना के सेविंग्स के इन तरीक़ों के बारे में बताया,“ये तरीक़े बहुत ही पारंपरिक हैं. दुनिया बहुत आगे बढ़ चुकी है. आज महिलाएं ख़ुद के फ़ैसले लेने में पहले से कहीं ज़्यादा आज़ाद हैं. पर उनके निवेश का पैटर्न कुछ और ही कहानी बयां करता है. ज़्यादातर महिलाएं नई चीज़ों में निवेश करने से हिचकिचाती हैं. मेरी राय में उन्हें संतुलित निवेश की तरफ़ बढ़ना चाहिए. आज का ज़माना रुपयों से रुपए कमाने का है. रुपयों को तिजोरी में बंद करके रखने का नहीं!”
पारंपरिक निवेश के तरीक़े
जोखिम लेने और कोई नई चीज़ आज़माने की प्रेरणा हमें अपने इर्द-गिर्द से ही मिलती है. आराधना के मामले में भी यही बात लागू होती है. बैंक में एफ़डी करा ली, बीमा ले लिया और सोना भी ले लिया. इस सोने का चाहे ख़ुद इस्तेमाल करें या अपने पास यूं ही रखें. सच बात तो ये है कि निवेश के लिए आज पहले के मुक़ाबले कहीं ज़्यादा अच्छे विकल्प हैं. स्टैंडर्ड ऐंड पुअर के ग्लोबल सर्वे रिपोर्ट के मुताबिक़ दक्षिण एशियाई देशों में 25% से भी कम वयस्क ऐसे हैं जो फ़ाइनैंशियली लिटरेट हैं. दुनिया की आबादी का एक बड़ा हिस्सा भारत में रहता है और इसके बावजूद 75% से भी ज़्यादा लोगों को इससे जुड़ी बुनियादी बातों के बारे में भी नहीं पता. महिलाओं के मामले में स्थिति और भी ख़राब है. इन सबके बीच एक सवाल यह भी उठता है कि क्या वजह है, जो महिलाएं निवेश के पारंपरिक तरीक़ों से हटकर निवेश करने से कतराती हैं? सबसे बड़ी वजह जो उभरकर सामने आती है, वह है कि निवेश के दूसरे विकल्पों को समझने के लिए थोड़ा वक़्त चाहिए होता है. पारंपरिक तरीक़ों वाले निवेश की तुलना में इन्हें समझने के लिए इसके बारे में थोड़ा-सा पढ़ना पड़ता है. यही वजह है कि बहुत-सी महिलाएं इन तरीक़ों से आंख चुराती हैं. इसलिए हम पारंपरिक निवेश तरीक़ों की पड़ताल करके पता कर रहे हैं कि क्या आज भी यह निवेश के अच्छे विकल्प हैं.
सोना: जानकार सोने को ‘डेड एसेट’ मानते हैं. भारत में सोने को आख़िरी उम्मीद के तौर पर रखा जाता है. बहुत ही कम मामलों में होता है कि लोग सोने को बेचते हों. बशर्ते आप हर जगह से हताश न हो गए हों. सोने से मिलने वाला रिटर्न भी आकर्षक नहीं होता और न ही टैक्स में छूट मिलती है. मेकिंग चार्जेस के नाम पर होने वाला ख़र्च अलग. अपने निजी इस्तेमाल के लिए सोने की चीज़ें ख़रीदने में कोई बुराई नहीं है, पर इससे निवेश के नाम पर दिल्लगी न करें तो बेहतर है.
सोना ख़रीदने से बेहतर है गोल्ड ईटीएफ़ में निवेश करना. अगर बीआईएस हॉलमार्क वाला सोना न हो तो एक तरफ़ उसकी शुद्धता की टेंशन और दूसरी तरह महंगा मेकिंग चार्ज. गोल्ड ईटीएफ़ को डिजिटल गोल्ड मान सकती हैं.
इंश्योरेंस: सोने के बाद यह दूसरी ऐसी चीज़ है, जिसमें महिलाएं पारंपरिक तौर पर निवेश करती हैं. इंश्योरेंस लेने के वक़्त कंपनी के एजेंट्स की लच्छेदार भाषा में भला कौन नहीं फंस जाता. पर याद रखें इंश्योरेंस का मतलब इंश्योरेंस है, निवेश नहीं. इसका मकसद अपनी चीज़ों को आने वाले दिनों में जोखिम से बचाने का बंदोबस्त करना है, कमाई करना नहीं. इसके अलावा अगर आप पॉलिसी को बीच में ही सरेंडर करती हैं, तो ज़ुर्माने के तौर पर अच्छी-ख़ासी रक़म चुकानी पड़ सकती है. हमारी सलाह है कि इंश्योरेंस ज़रूर लें, पर अपनी ज़रूरत के मुताबिक़ रिस्क कवर करने के लिए, रुपए कमाने के लिए नहीं.
बैंक एफ़डी: अपने रुपयों को बैंक में फ़िक्स्ड डिपॉज़िट खाता खुलवाकर सुरक्षित रखने का काम हममें से बहुत लोगों ने किया होगा या करना ज़रूर चाहते होंगे. इस बात में कोई शक़ नहीं कि यह सुरक्षित होता है, पर हम सेविंग की, नहीं निवेश की बात कर रहे हैं. अगर आज के समय में इस पर मिलने वाला ब्याज देखें तो यह मुश्क़िल से 8% सालाना है. यह बाक़ी विकल्पों के मुक़ाबले बहुत कम है.
ज़्यादा मुनाफ़ा देनेवाले तरीक़े
आप सोच रही होंगी कि आख़िर करें तो क्या करें. अपने रुपए कहीं भी इन्वेस्ट करने से पहले अपने 2-3 महीनों के ख़र्च चलाने के लिए कुछ रुपए अलग से रख लें. आप निवेश को सेविंग के साथ जोड़कर देख सकती हैं. मसलन अगर आप अगले साल कुछ ख़रीदना चाहती हैं तो आपकी रणनीति अलग होगी और अगर आप तीन साल बाद कुछ करना चाहती हैं तो उसके लिए योजना अलग होगी. आइए जानें कि ऐसे कौन-से विकल्प हैं जहां आप निवेश कर सकती हैं-
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