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त्यौहारों पर मिठाई की खपत बहुत बढ़ जाती है. इस खपत को पूरा करने के लिए बहुत से बेईमान मिठाई निर्माता नकली मेवा बनाकर करते हैं. यह घातक और जानलेवा हो सकता है. थोड़ी-सी सावधानी से आप इससे बच सकते हैं. आइए जानते हैं वो तरीक़े, जिनसे आप मिलावटी और शुद्ध मावा में आसानी-से फ़र्क़ कर सकें.
कैसे बनाया जाता है मिलावटी मावा?
मिलावटी मावा बनाने में रिफ़ाइंड या वेजिटेबल ऑयल मिलाया जाता है. इसके अलावा रसायन, आलू, शकरकंदी का प्रयोग भी किया जाता है. इस समय सिंथेटिक दूध भी बड़े पैमाने पर बनाया जाता है. जिसमें डिटर्जेंट पाउडर, तरल जेल, चिकनाहट लाने के लिए रिफ़ाइंड व मोबिल ऑयल एवं एसेंस पाउडर डाला जाता है. कई बार यूरिया के घोल में पाउडर व मोबिल डालकर भी सिंथेटिक दूध तैयार किया जाता है. इसमें थोड़ा असली दूध मिलाकर सोख्ता काग़ज़ डाला जाता है. फिर इसी से नकली मावा तैयार किया जाता है.
कितना नुक़सानदेह होता है मिलावटी मावा?
मिलावटी मावा आपकी किडनी व लिवर को ख़राब कर सकता है. संक्रमण पैदा कर सकता है. इसके साथ ही सिर दर्द, पेट दर्द व त्वचा रोग हो सकते हैं. पेट ख़राब होने और आंतों में संक्रमण होने की भी संभावना होती है.
कैसे करें मिलावट की पहचान?
* मावा का सैम्पल लेकर इसे टिकिया का आकार दें और इसमें आयोडीन टिंचर की दो बूंदें डाल दें. पांच मिनट तक इसे यथावत रहने दें. थोड़ी देर में आयोडीन टिंचर के प्रभाव से मावे का रंग बदलने लगेगा. यदि मावा काला पड़ जाता है तो इसका मतलब है इसमें मिलावट है, और यदि आयोडीन टिंचर का रंग केसरिया ही बना रहता है तो मावा में किसी तरह की मिलावट नहीं है. मावा की शुद्धता की जांच करने का यह सबसे आसान तरीक़ा है. यदि मावा में मैदा मिली है तो भी वह आयोडीन टिंचर से काला पड़ जाएगा.
* यदि मावा सफ़ेद या हल्के पीले रंग का है तो वह मिलावटी हो सकता है.
* सूंघने पर मिलावटी मावे की ख़ुशबू अजीब-सी महसूस होती है, जबकि असली मावा की महक बहुत अच्छी होती है.
* हाथ से रगड़ने पर असली मावा घी छोड़ता है इसकी महक से असली-नकली की पहचान हो जाती है.
* चखकर देखने पर असली मावा का स्वाद अच्छा लगता है, नकली होने पर यह कड़वा या अजीब स्वाद वाला लग सकता है.
* नकली मावा पानी में आसानी से नहीं घुलता.
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