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लाइफ स्टाइल
कीटो डाइट फॉलो करने के दौरान होने वाले डायरिया को कैसे करे ठीक
Apurva Srivastav
1 May 2023 5:54 PM GMT
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वजन कम करने की जर्नी में डाइट के अलावा कई चीजें शामिल होती हैं। जिसमें एक्सरसाइज, कैलोरी डेफिसिट और अनुशासन का अहम रोल होता है। ऐसी ही एक डाइट है जिसमें व्यक्ति को अपने खाने पर विशेष रूप से फोकस करना होता है और वो है कीटो डाइट। कीटो डाइट कई लोगों की पसंदीदा डाइट होती है। आपने कई एक्सपर्ट और सेलिब्रिटीज को इसके बारे में सुझाव देते सुना होगा। लेकिन इससे पहले कि आप इसे अपनी फिटनेस जर्नी में शामिल करें, आपको पता होना चाहिए कि कीटो डाइट से कई हेल्थ प्रॉब्लम्स हो सकती हैं जिसमें से एक है डायरिया। यदि आप कीटो डाइट का पालन करते हैं तो आपको कब्ज की समस्या हो सकती है। कीटो डाइट एक हेल्दी डाइट प्रक्रिया है लेकिन लंबे समय तक इसे फॉलो करना नुकसानदायक हो सकता है। चलिए जानते हैं कीटो डाइट फॉलो करने के दौरान होने वाले डायरिया से कैसे निपटें।
क्या है कीटो डाइट
केटोजेनिक डाइट या कीटो डाइट एक डायट्री थेरेपी है जो उन सभी खाद्य पदार्थों के बारे में है जिनमें अत्यधिक फैट, कम कार्बोहाइड्रेट और प्रोटीन की पर्याप्त मात्रा होती है। ये शरीर का मेटाबॉलिज्म बढ़ाकर और भूख कम करके वजन घटाने में मदद करता है।
कीटो डाइट और डायरिया
कीटो डाइट का सामान्य साइड इफेक्ट है जिसके बारे में आपको पता होना चाहिए। कीटो डाइट से डायरिया हो सकता है। जैसे ही आपका शरीर कई डाइट को एक्सेप्ट करता है, तो आपको दस्त और पेट की समस्या हो सकती है। कई बार ये समस्या गंभीर हो सकती है जो डायरिया को बढ़ावा देती है।
कीटो डायरिया के कारण
हाई फैट
लिवर फैट को पचाने के लिए पित्त का उत्पादन करता है और बहुत अधिक फैट वाले भोजन के लिए लिवर को अधिक पित्त उत्पादित करने की आवश्यकता होती है। पित्त का अधिक उत्पादन डाइजेस्टिव सिस्टम को कमजोर बनाता है जिससे दस्त की समस्या हो सकती है।
आर्टिफीशियल मिठास
जो लोग कीटो डाइट को फॉलो करते हैं उनके शरीर में अधिक मात्रा में शुगर अल्कोहल और आर्टिफीशियल मिठास हो सकती है। अधिक मात्रा में आर्टिफीशियल मिठास लेने से लेक्सेटिव इफेक्ट हो सकता है जिसके परिणामस्वरूप दस्त हो सकते हैं।
कीटो डाइट का शरीर पर प्रभाव
कीटो डाइट को फॉलो करने से शरीर में कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, विटामिन ए, डी, के, कैल्शियम, फॉस्फोरम और सोडियम जैसे पोषक तत्वों की कमी होने लगती है। इससे कुछ ही दिनों में भूख, प्यास, चिड़चिड़ापन, कब्ज, सिरदर्द और ब्रेन फॉग जैसी समस्याएं उत्पन्न होने लगती हैं।
डेयरी प्रोडक्ट में कमी करें
सभी डेयरी प्रोडक्ट फैट में हाई होते हैं और यदि आप इस डाइट का पालन कर रहे हैं तो आप सामान्य से अधिक मात्रा में इनका सेवन कर रहे हैं। जिस वजह से दस्त और सूजन जैसे लक्षण हो सकते हैं।
अधिक फाइबर का सेवन करें
फाइबर से कब्ज या डायरिया से राहत मिलती है, इसलिए फाइबर से भरपूर खाद्य पदार्थ जैसे खीरा, फूलगोभी और गोभी का सेवन करें।
हाइड्रेटेड रहें
डायरिया में पानी बहुत मदद करता है। यदि आप डायरिया से पीडि़त हैं तो तरल पदार्थों को अपनाना महत्वपूर्ण है। इन तरल पदार्थों और खोए हुए इलेक्ट्रोलाइट्स को पानी और शुगर फ्री इलेक्ट्रोलाइट पेय से बदला जा सकता है।
प्रीबायोटिक्स और प्रोबायोटिक्स
कीटो डाइट का पालन करते समय प्रोबायोटिक्स और प्रीबायोटिक्स में हाई फूड खाने से गट बैक्टीरिया के विकास में मदद मिल सकती है। इसके अलावा ये गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल साइड इफेक्ट्स को कम करने में भी सहायक हो सकता है।
फर्मेंटेड खाना खाएं
डाइजेस्टिव सिस्टम को सुधारने और मजबूत बनाने के लिए आप फर्मेंटेड फूड का सेवन करें। डाइट में आप डोसा, इडली और किम्ची जैसे व्यंजन शामिल कर सकते हैं।
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