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आमतौर पर बाज़ार में मिलने वाले रंगों में कैमिकल्स मौजूद होते हैं,
होली यानी रंगों का त्योहार बस अब एक हफ्ता ही दूर है। इस बार होली को पिछले दो-तीन साल के मुकाबले कुछ ज्यादा धूम से भी मनाया जाएगा।
होली देश के बड़े त्योहारों में से एक है, इसलिए इस मौके पर जश्न तो बनता ही है। रंगों के इस त्योहार में बाजार में भी तरह-तरह के रंग बिकते हैं। हालांकि, रंगों को खरीदते वक्त कुछ बातों का ख्याल रखें, जैसे कि वे हर्बल हों, ताकि आपको नुकसान न हो।
आमतौर पर बाज़ार में मिलने वाले रंगों में कैमिकल्स मौजूद होते हैं, जो स्किन और बालों को काफी नुकसान पहुंचा सकते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि यह नुकसान सिर्फ बालों और त्वचा तक ही सीमित नहीं है। आपको यह जानकर हैरानी होगी लेकिन होली के यह रंग शरीर के कई अंगों को प्रभावित कर सकते हैं।
सेहत को कैसे नुकसान करता है होली का रंग?
मुंबई के ग्लोबल हॉस्पिटल में आंतरिक चिकित्सा की वरिष्ठ सलाहकार, डॉ. मंजूषा अग्रवाल का कहना है, "होली के मौके पर आपको बाज़ार में पेस्ट, सूखे रंग, गीले रंग जैसे कई विकल्प मिल जाएंगे। बाजार में ज्यादातर ऐसे रंग मिलते हैं, जिनमें केमिकल्स की मात्रा काफी होती है। लेकिन फिर ये सस्ते और पक्के होते हैं, इसलिए ज़्यादातर लोग इन्हीं को खरीदते हैं। ये रंग न सिर्फ आपकी त्वचा बल्कि शरीर के कई अंगों को भी नुकसान पहुंचाते हैं। इसके अलावा मेटैलिक पेस्ट का भी खूब उपयोग होता है। सिल्वर, गोल्डन और काले रंग के मेटैलिक पेस्ट आपने खूब देखे होंगे। इनसे आंखों में एलर्जी, गंभीर मामलों में अंधापन, स्किन में जलन, स्किन कैंसर और कई बार किडनी फेलियर जैसे समस्या भी कई बार देखी गई हैं। इसमें कोई शक नहीं कि इन रंगों को हर कोई खरीदता है, लेकिन इनके हानिकारक प्रभावों को देखते हुए उपयोग से बचना चाहिए।"
होली के रंग किस-किस तरह पहुंचाते हैं सेहत को नुकसान
मुंबई के मसीना अस्पताल में सलाहकार पल्मोनोलॉजिस्ट, डॉ. सुशील जैन ने बताया कि होली के रंग किस तरह शरीर को नुकसान पहुंचा सकते हैं:
स्किन एलर्जी का कारण बनते हैं: होली के केमिकल युक्त रंगों से त्वचा पर एलर्जी होना आम है। इसके अलावा चकत्ते या जलन पैदा हो सकती है।
आंखों का इन्फेक्शन: रंगों में कई तरह के केमिकल्स का उपयोग किया जाता है। अगर यह आंख में घुस गया तो इससे रेटिना को भी नुकसान पहुंच सकता है। इसके अलावा आंखों का संक्रमण भी हो सकता है। रंग की वजह से आंखों में रेडनेस हो सकती है, जो आगे चलकर कन्जंगक्टीवाइटिस और यहां तक कि अंधेपन का कारण भी बन सकती है।
कार्सिनोजेनिक: रंगों में मौजूद रसायन त्वचा के कैंसर के साथ-साथ किसी भी अन्य आंतरिक कैंसर का कारण भी बन सकता है।
किडनी को नुकसान: होली के रंग में लेड ऑक्साइड भी मिलाया जाता है। इसकी वजह से किडनी को नुकसान और यहां तक किडनी फेलियर भी हो सकता है।
अस्थमा: होली के रंगों में क्रोमियम होता है, जो सांस के ज़रिए फेफड़ों में पहुंच जाता है और ब्रोन्कियल अस्थमा का कारण बन सकता है। रसायन फेफड़ों में प्रवेश करता है और श्वसन वायुमार्ग को अवरुद्ध करता है।
हड्डियों पर असर: जब छोटे बच्चे होली के दौरान रंगों में भारी मात्रा में कैडमियम के संपर्क में आते हैं, तो यह हड्डियों के निर्माण को बाधित करना शुरू कर देता है और हड्डियों को कमज़ोर कर सकता है।
निमोनिया: रंगों जब सांस के जरिए आपके फेफड़ों में पहुंच जाता है, तो इससे फेफड़ों से जुड़ी बीमारी हो सकती है। खासतौर पर बच्चों में।
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Apurva Srivastav
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