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हाई ब्लड प्रेशर आज के समय की बड़ी समस्या बनती जा रही हैं जिससे बुजुर्ग तो क्या युवा आबादी भी अछूती नहीं हैं। हाई ब्लड प्रेशर को उच्च रक्तचाप या हाइपरटेंशन के नाम से भी जाना जाता हैं। दुनिया की करीब 26 प्रतिशत आबादी हाई ब्लड प्रेशर की पीड़ा सहन कर रही है। हाई ब्लड प्रेशर को नजरअंदाज करना तकलीफदेह हो सकता हैं क्योंकि यह कई अन्य बीमारियों का कारण बनता हैं। ऐसे में एक स्वस्थ आहार का सेवन और नियमित व्यायाम हाई ब्लड प्रेशर को नियंत्रित करने में मदद कर सकता है। ऐसे में आप योगासन की मदद भी ले सकते हैं। आज इस कड़ी में हम आपको कुछ योगासन की जानकारी देने जा रहे हैं जिनका अभ्यास करके रक्तचाप की समस्या को कंट्रोल करने में मदद मिल सकती है। आइये जानते हैं इनके बारे में...
सेतुबंधासन
यह आसन न केवल ब्लड प्रेशर को प्रभावी ढंग से कम करता है, बल्कि गठिया के दर्द से राहत दिलाने और मांसपेशियों को मजबूत बनाने के लिए बेहतर है। पीठ के बल सीधे लेटकर आसन की शुरुआत करें। घुटनों और कोहनियों को मोड़ें। पैरों को फर्श पर कूल्हों के पास और अपने हाथों को सिर के दोनों तरफ मजबूती से रखें। दोनों हाथों और पैरों को जमीन पर सहारा देते हुए धीरे-धीरे अपने शरीर को हवा में उठाने की कोशिश करें। देखें कि इस समय आपका शरीर ब्रिज के समान बन जाएगा। इसी मुद्रा में 20-30 सेकंड के लिए रहें। अब धीरे-धीरे शरीर को पहले जैसी मुद्रा में वापस लाएं।
बालासन
हाइपरटेंशन के मरीजों के लिए चाइल्ड पोज फायदेमंद होता है। ये हाई ब्लड प्रेशर को कंट्रोल करने में मदद करता है। इसके लिए सबसे पहले किसी स्वच्छ वातावरण में दरी अथवा चटाई बिछा लें। अब सूर्य की ओर मुखकर अपने पैरों को मोड़कर वज्रासन मुद्रा में बैठ जाएं। इसके बाद सांस लेते वक्त अपने दोनों हाथों को ऊपर ले जाएं। जबकि सांस छोड़ते समय आगे की तरफ झुकें। यह क्रम तब तक जारी रखें। जब तक आपकी हथेलियां ज़मीन को न छू जाएं। इसके बाद अपने सिर को ज़मीन पर टिका दें। इस मुद्रा में आने के बाद शरीर को अनवरत छोड़ दें और आराम महसूस करें। सांस लें और सांस छोड़ें। हालांकि, सांस आराम से लें। इसमें कोई जल्दबाजी न करें। इस मुद्रा में 1 से 3 मिनट तक रह सकते हैं। इसे रोजाना कम से कम 5 बार जरूर करना चाहिए।
वीरासन
वीरासन सबसे ज़्यादा फायदेमंद माना जाता है, क्योकि कोई भी योग जिसमे सांस लेना शामिल है, वह हाई बीपी वालों के लिए अच्छा ही होता है। वीरासन करने से बीपी कंट्रोल में रहता है, नर्वस सिस्टम सही रहता है और तनाव काफी हद्द तक कम हो जाता है। इसके लिए जमीन पर घुटनों के बल बैठें। दोनों हाथों को घुटनों पर रखें। अपने हिप्स को एड़ियों के बीच में रखें और घुटनों के बीच दूरी को कम करें। नाभि को अंदर की ओर खीचें। कुछ समय ऐसे ही रहें 30 सेकंड बाद आराम करें।
सुखासन
ये एक लोकप्रिय योग आसन है। जो सांस को नियंत्रित करता है। ये मुद्रा आपके दिमाग को शांत करती है और तनाव को कम करके हाई ब्लड प्रेशर से राहत देती है। सुखासन योग का अभ्यास काफी सरल है जिसे कोई भी कर सकता है। नियमित रूप से इस योगासन की आदत डालकर आप लाभ प्राप्त कर सकते हैं। इस योग का अभ्यास करने के लिए सबसे पहले दोनों पैरों को क्रॉस करते शांत अवस्था में बैठ जाइए। रीढ़ की हड्डी को सीधा करते हुए कंधों को तानकर रखें। इस अवस्था में लंबी सांस भरें और छोड़ें। शरीर को सीधा रखने पर विशेष ध्यान दें। अपनी क्षमतानुसार रोजाना इस योग का अभ्यास करने की आदत बनाएं।
उत्तानासन
उत्तानासन या आगे की ओर झुकी मुद्रा में यह आसन करने से आपके नर्वस सिस्टम को शांत और हेल्दी बनाए रखने में मदद मिलती है। इस आसन से घुटने के पीछे की नसें और पेट की मसल्स में स्ट्रेच आता है। इसके लिए योग मैट पर सीधे खड़े हो जाएं और दोनों हाथों को हिप्स पर रखें। सांस अंदर खींचते हुए कमर को मोड़ते हुए आगे की झुकें। हिप्स और टेलबोन को हल्का सा पीछे की ओर ले जाएं। इस दौरान संतुलन बनाए रखें। अपने हाथों से टखने को पीछे की ओर से पकड़ें। आपके पैर एक-दूसरे की सीधी रेखा में रहेंगे। आपका सीना पैर के ऊपर छूता रहेगा। सीने की हड्डियों और प्यूबिस के बीच चौड़ा स्पेस रहेगा। इस दौरान जांघों को भीतर की तरफ दबाने का प्रयास करें और शरीर को एड़ी के बल स्थिर बनाए रखें। सिर को नीचे की तरफ झुकाएं और टांगों के बीच से झांककर देखें। इस स्थिति में 15-30 तक बने रहें और धीरे-धीरे प्रारंभिक स्थिति में आएं। अब सांस को भीतर की ओर खींचे और हाथों को हिप्स पर रखें। धीरे-धीरे ऊपर की तरफ उठें और सामान्य होकर खड़े हो जाएं।
भुजंगासन
ये मुद्रा ब्लड सर्कुलेशन और ऑक्सीजन में सुधार करती है। ये मुद्रा तनाव से भी छुटकारा दिलाती है और हृदय को स्वस्थ रखने में मदद करती है। भुजंगासन योग को करने के लिए सबसे पहले जमीन पर लेट जाएं और अपनी हथेलियों को फर्श पर कंधे की चौड़ाई से अलग रखें। अपने निचले शरीर को जमीन पर रखते हुए श्वास लें और अपनी छाती को फर्श से उठाते हुए छत की ओर देखें। सांस छोड़ते हुए अपने शरीर को फर्श पर दोबारा लेकर आएं। इस तरह आप इस योग का एक चक्र पूरा करेंगे। आप अपनी क्षमतानुसार इस योग के तीन से पांच चक्र पूरे कर सकते हैं।
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