लाइफ स्टाइल

12 साल के संघर्ष के बाद भरेंगी सपनों की उड़ान, पहली आदिवासी एयर होस्टेस बनी गोपिका गोविंद

Admin4
13 Sep 2022 7:05 PM GMT
12 साल के संघर्ष के बाद भरेंगी सपनों की उड़ान, पहली आदिवासी एयर होस्टेस बनी गोपिका गोविंद
x

हम में से हर किसी का कोई ना कोई सपना जरूर होता है. वह भविष्य में क्या करना चाहता है, क्या बनना चाहता है. अपने ख्वाब को पूरा करने के लिए वह कोशिश भी करता है. हालांकि, सपने देखना आसान है, लेकिन उन्हें पूरा करना उतना ही मुश्किल होता है. केरल की एक बेटी ने बचपन में एयर होस्टेस बनने का ख्वाब देखा और जब उसे साकार किया तो ये न सिर्फ उसकी, बल्कि पूरे राज्य की उपलब्धि बन गयी. इस लड़की का नाम है गोपिका गोविंद. गोपिका केरल की पहली आदिवासी महिला हैं, जो एयर होस्टेस बनी हैं. उनकी कामयाबी उन लड़कियों के लिए मिसाल बन गयी है, जो अपने जीवन में कुछ कर गुजरने की ख्वाहिश रखती हैं.

केरल की पहली आदिवासी एयर होस्टेस

केरल की पहली आदिवासी एयर होस्टेस बनने वाली गोपिका गोविंद का जन्म वर्ष 1998 में अलाकोडे स्थित एसटी कॉलोनी वाकुन कुडी में एक अनुसूचित जनजाति (एसटी) करीमबाला समुदाय में हुआ था. उनके पिता का नाम पी गोविंदन और मां विजी हैं. आर्थिक हालात खराब होने से उनका पूरा बचपन काफी गरीबी और अभाव में बीता. बावजूद इसके उनके माता-पिता शिक्षा के महत्व को बखूबी समझते थे. लिहाजा, वे अक्सर अपनी बेटी को पढ़ने के लिए प्रेरित करते रहते थे. साथ ही उन्होेंने बेटी को कामयाब बनने के लिए हरसंभव मदद भी की. गोपिका का छुटपन और फिर स्कूल-कॉलेज लाइफ बहुत कलरफुल नहीं था. जैसा कि ज्यादातर आदिवासी लड़कियों के साथ होता है, लेकिन अपनी मेहनत और लगन से उन्होंने एयर होस्टेस बनने के इस सपने को आखिरकार साकार किया.

12 साल की उम्र में देखा एयर होस्टेस बनने का ख्वाब

गोपिका ने जब एयर होस्टेस बनने का ख्वाब संजोया था, उस समय वह आठवीं कक्षा की छात्रा थीं और उनकी उम्र महज 12 वर्ष की थी. हालांकि, केरल के एक आिदवासी समुदाय से ताल्लुक रखने वाली गोपिका के लिए ऐसा सपना देखना बहुत बड़ी बात थी. वे कहती हैं-'जब मैं छोटी थी, तब एक बार मेरे छत के ऊपर से हवाई जहाज गुजरा और उसी दिन से मैं सपना देखने लगी कि एक-न-एक दिन मैं भी हवाई जहाज में सफर जरूर करूंगी. इसके बाद से ही मैं हवा में उड़ने का सपना देखने लगी. मैं जब भी आसमान में हवाई जहाज को उड़ते देखती, तो काफी उत्साहित महसूस करती थी.' इस तरह गोपिका ने अपने बचपन के सपने को यूं ही हमेशा संजो कर रखा और इसके बारे में किसी को भी जानकारी नहीं दी. बड़ी होने के बाद एयर होस्टेस के ख्वाब को पूरा करने के लिए उन्होंने इसके बारे में जानकारी एकत्रित करने में जुट गयीं. जांच-पड़ताल करने पर उन्हें मालूम हुआ कि इस कोर्स को पूरा करने में काफी अधिक खर्चा आयेगा. उन्होंने देखा कि उनका परिवार इसका खर्च उठाने में सक्षम नहीं है. ऐसे में वह एक पल के लिए इस सपने को छोड़ने का मन बना डाली.

टूटने वाला था बचपन का सपना, पर हिम्मत नहीं हारी

कहते हैं कि अगर मन में कुछ करने का दृढ़ निश्चय हो, तो उसे पूरा करने में यदि एक दरवाजा बंद होता है, तो दूसरा खुल जाता है. 24 वर्षीया गोपिका के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ. उन्होंने जब अपने सपने को छोड़ना चाहा, तो उसी दौरान उन्हें जानकारी मिली कि अनुसूचित जाति की लड़कियों की शिक्षा के लिए केरल सरकार की तरफ से अनुदान दिया जाता है. उस वक्त वह कन्नूर के एसएन कॉलेज में एमएससी केमिस्ट्री की पढ़ाई कर रही थीं. उसके बाद गोपिका ने आइएटीए कस्टमर सर्विस केयर से डिप्लोमा का कोर्स पूरा किया और फिर वायानाड स्थित ड्रीम स्काई एवियेशन ट्रेनिंग अकेडमी में एडमिशन लेकर पढ़ाई शुरू कर दी. चूंकि, राज्य सरकार की तरफ से अनुसूचित जाति लड़कियों को शिक्षा के लिए अनुदान दिया जाता है, इसलिए गोपिका को भी सरकार की ओर से एक लाख रुपये की सहायता राशि मुहैया करायी गयी, जिससे उनकी पढ़ाई में काफी मदद हुई. अब वह जल्द ही एयर इंडिया एक्सप्रेस से जुड़ेंगी. अभाव में बचपन गुजारने के बाद भी गोपिका गोविंद ने कभी हार नहीं मानी और अपने सपने को पूरा ही नहीं, बल्कि केरल की पहली एसटी एयर होस्टेस बनकर प्रेरणा की मिसाल पेश की है.

और भी हैं कई लक्ष्य जिन्हें करना है पूरा

अपने अथक प्रयास और सरकार की मदद से गोपिका 12 साल बाद अपने सपने को पूरा करने में सफल हुईं और एयर होस्टेस बनी हैं. हाल ही में विधानसभा में शासकीय योजना के तहत अध्ययनरत एसटी विद्यार्थियों का प्रमाण पत्र वितरण किया गया. इस कार्यक्रम के बाद गोपिका एयर इंडिया के साथ अपनी ट्रेनिंग पूरी करने के लिए मुंबई पहुंच गयी हैं. वे कहती हैं कि उनके और भी कई सपने व लक्ष्य हैं और जब तक वह उन्हें हासिल नहीं कर लेतीं, तब तक वह लगातार मेहनत करती रहेंगी.

एयर होस्टेस के लिए ये स्किल्स जरूरी

विभिन्न भाषाओं की नॉलेज

प्लीजेंट वॉयस व गुड कम्युनिकेशन स्किल

टीम वर्क और सिस्टेमेटिक अप्रोच

प्रेजेंस ऑफ माइंड

पॉजिटिव एटीट्यूड व सेंस ऑफ ह्यूमर

न्यूज़क्रेडिट: प्रभातखबर

Next Story