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'शराब पीना सेहत के लिए हानिकारक होता है' यह चेतावनी हर जगह पढ़ी ही होगी। शराब के कई प्रकार होते हैं जैसे, हार्डड्रिंक, बीयर, जिन, वोदका आदि। एक्सपर्ट का मानना है कि अगर अल्कोहॉल को सीमित मात्रा में लिया जाए तो सेहत को कुछ फायदे भी हो सकते हैं।
हाल ही में ऑस्ट्रेलियाई शोधकर्ताओं द्वारा की गई एक रिसर्च बीयर पीने वालों के लिए खुशखबरी लेकर आई है। रिसर्च में यह दावा किया गया है कि हर रात बीयर पीने से डिमेंशिया का खतरा कम हो सकता है। हालांकि, इसका मतलब ये नहीं है कि आप जमकर शराब पीना शुरू कर दें क्योंकि शोध में साफ कहा गया है कि बहुत कम मात्रा में बीयर पीने पर ही इसके कुछ फायदे हैं।
आपको बता दे, बीयर में 5 से 12 प्रतिशत तक एल्कोहॉल होता है साथ ही यह टामिन और मिनरल्स का स्रोत है, और कुछ में एंटीऑक्सिडेंट भी होते हैं।
शोधकर्ताओं ने 60 साल से अधिक उम्र के 25,000 लोगों के पीने की आदतों को देखा और उस पर रिसर्च किया। वैज्ञानिकों ने रिसर्च में पाया कि जो लोग एक दिन में 946 मिली (दो पिंट) बीयर पीते थे, उनमें मेमोरी लॉस की तुलना एक तिहाई कम थी। रिसर्च में यह बात सामने आई है कि बीयर ना पीने वाले लोगों में पीने वाले लोगों की तुलना में डिमेंशिया का खतरा पांच गुना अधिक पाया गया है। रिसर्चर्स ने कहा कि जो लोग शराब नहीं पीते हैं, उन लोगों में डिमेंशिया से बचे रहने का कोई लक्षण नहीं था। हालांकि यह रिसर्च मीडियम पीने वाले लोगों पर ही सकारात्मक रिजल्ट देती है लेकिन जो लोग अधिक पीते हैं, उनकी सेहत को खतरा बताया है।
न्यू साउथ वेल्स यूनिवर्सिटी की टीम ने 15 पुरानी रिसर्च से डेटा कलेक्ट किया और उसमें शराब पीने वाले और डिमेंशिया से पीड़ित 24,478 से अधिक लोगों का डेटा शामिल था।
इन लोगों को कम, मीडियम और अधिक पीने वालों की कैटेगरी में बांटा गया था। इसमें इथेनॉल कंपाउंड के बारे में जानकारी जुटाई गई थी कि कौन व्यक्ति कितनी मात्रा में इथेनॉल ले रहा है।
उदाहरण के लिए 473 मिली बीयर में लगभग 16 ग्राम इथेनॉल और मीडियम साइज की वाइन में लगभग 18 ग्राम इथेनॉल होता है। रिसर्चर्स ने पाया कि प्रति दिन 40 ग्राम इथेनॉल पीना डिमेंशिया के खतरे को कम कर सकता है। रिसर्च में ऐसे लोग शामिल थे जो पिछले 40 सालों से शराब पी रहे थे।
जर्नल एडिक्शन में पब्लिश हुए निष्कर्षों के आधार पर कहा जा सकता है कि उनमें से सिर्फ 2,124 लोगों को डिमेंशिया की शिकायत थी। जमकर शराब पीने वालों की तुलना में कभी-कभार या सीमित मात्रा में पीने वाले लोगों को डिमेंशिया होने की संभावना 22% कम थी और जो लोग दिन में 1.18 लीटर (ढाई पिंट) तक पीते हैं, उनमें शराब ना पीने वालों की तुलना में डिमेंशिया का खतरा 38% कम था।
वैज्ञानिकों का कहना है कि मीडियम मात्रा में पी गई शराब मस्तिष्क में प्लाक बनने से रोकती है जो कई बीमारियों का कारण है। बिल्कुल शराब ना पीने वालों की तुलना में अधिक पीने वालों में भी में डिमेंशिया होने का जोखिम 19% कम था।
30 सालों में तीन गुना हुई डिमेंशिया की बीमारी
डॉ लुईस मेवटन और उनके सहयोगियों के मुताबिक, 'डिमेंशिया का जोखिम पिछले 30 सालों में तीन गुना हो चुका है। पहले अनुमान लगाया था कि अगर जोखिम वाले कारणों को खत्म कर दिया जाए तो दुनिया भर में 10 में से चार डिमेंशिया के मामलों को रोका जा सकता है। मोटापा भी डिमेंशिया के सबसे बड़े जोखिम कारकों में से एक है।'
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Kajal Dubey
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