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हेल्थ : वर्ल्ड बाइपोलर डे हर साल 30 मार्च को महान चित्रकार विन्सेंट वैन के जन्मदिन के मौके पर मनाया जाता है। अंतरराष्ट्रीय बाइपोलर फाउंडेशन के अनुसार, विश्व बाइपोलर दिवस का लक्ष्य है दुनिया में इस बीमारी से जुड़े कलंक को खत्म करना। राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य सर्वेक्षण के अनुसार, 150 में से हर एक व्यक्ति बाइपोलर डिसऑर्डर से पीड़ित है, जिसमें से 70 प्रतिशत का इलाज भी नहीं हो पाता है।
मनस्थली की संस्थापक-निदेशक और वरिष्ठ मनोचिकित्सक, डॉ. ज्योति कपूर ने बताया कि बाइपोलर डिसऑर्डर को पहले मैनिऐक डिप्रेशन के नाम से जाना जाता है। यह एक मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी स्थिति है, जिसमें एक व्यक्ति का मूड, एनर्जी और काम करने की क्षमता में तेजी से बदलाव आता है। बाइपोलर परिवार में भी चल सकता है। अगर मां-बाप दोनों को बाइपोलर है, तो बच्चों में इस स्थिति के खतरा 40 प्रतिशत बढ़ जाता है। ट्रॉमा, तीव्र तनाव या फिर नशे की लत बाइपोलर का जोखिम बढ़ाते हैं। इसलिए अगर कोई भी इन रिस्क फैक्टर्स से गुजरा है और नींद न आना, आत्महत्या के ख्याल आना, अचानक वजन बढ़ना या कम होना जैसे लक्षण महसूस करता है, तो उसे फौरन हेल्थ एक्सपर्ट से सलाह लेनी चाहिए।
मनसा ग्लोबल फाउंडेशन फॉर मेंटल हेल्थ की फाउंडर और क्लिनिकल साइकोलॉजिस्ट डॉ. श्वेता शर्मा ने बताया कि बाइपोलर कई लोगों के जीवन की एक सच्ची तस्वीर पेश करता है, जो जिंदगी में हर चीज को एक एक्सट्रीम में मानते हैं, यानी ब्लैक एंड व्हाइट। यही वजह है कि ब्लैक एंड वाइट धारियों वाले रिब्बन को वर्ल्ड बाइपोलर डे के सिम्बल के तौर पर इस्तेमाल किया जाता है। इस स्थिति में व्यक्ति में दो तरह के चरण देखे जाते हैं, डिप्रेशन और मेनिया। डिप्रेशन होने पर व्यक्ति दुखी हो जाता है और मेनिया में जरूरत से ज्यादा खुश। इस दिन को मनाकर हम लोगों को उनके परिवेश के बारे में जागरूक करते हैं और उन्हें इन दो चरम सीमाओं के बीच ग्रे देखने में मदद करते हैं।