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जब आंखों के हेल्दी रखने की बात आती है
जब आंखों के हेल्दी रखने की बात आती है, तो ज्यादातर लोगों का मानना होता है कि समय-समय पर आई टेस्ट (आंखों की जांच) कराना काफी होता है। लेकिन सिर्फ इतना करना काफी नहीं। जांच के साथ ही अच्छा खानपान, स्क्रीन टाइम कम करना जैसी चीज़ें भी आंखों को हेल्दी रखने में अहम भूमिका निभाते हैं। वहीं अगर आप चश्मा या कॉन्टैक्ट लेंस पहनते हैं, तो कुछ और चीज़ों का भी ध्यान रखना पड़ता है। तो आइए जानते आंखों को हेल्दी बनाए रखने के लिए किन आदतों को अपनाना है जरूरी।
हेल्दी डाइट लें
आंखों को हेल्दी बनाए रखने के लिए डाइट में ओमेगा -3 फैटी एसिड, जिंक, विटामिन सी (C) और ई (E) रिच फूड्स को शामिल करें। इसके अलावा हरी सब्जियां, सैल्मन फिश, अंडे, साबुत अनाज, चिकन और खट्टे फलों में भी आंखों के लिए जरूरी पोषक तत्व मौजूद होते हैं।
आंखों को धूप से बचाएं
सूरज की अल्ट्रावायोलेट (UV) किरणें हमारी त्वचा को ही नहीं बल्कि आंखों को भी नुकसान पहुंचा सकती हैं। इसलिए, जब धूप होती है या जब आप बहुत अधिक चकाचौंध वाली जगह पर होते हैं, जैसे कि बर्फ या पानी के पास, धूप का चश्मा (सनग्लासेस) पहनें। 100% यूवी (UV) संरक्षण वाले ऐसे धूप के चश्मे में(सनग्लासेस) अपने बैग में जरूर रखें।
स्क्रीन स्मार्ट बनें
हालांकि लैपटॉप पर काम करना आपकी आंखों को नुकसान नहीं पहुंचाएगा, लेकिन स्क्रीन पर लगातार देखना स्क्रीन थकान (स्क्रीन फटीग) का कारण बन सकती है, जिसमें गले में खराश, खुजली, या थकी हुई आंखें, सिरदर्द और थोड़ी देर के लिए धुंधला दिखाई देना शामिल है। स्क्रीन पर काम करते समय 20 -20 -20 का रूल अपनाएं। हर 20 मिनट में, अपनी दृष्टि को 20 सेकंड के लिए, अपने सामने 20 फीट की दुरी तक ले जाएं। यह आंखों के तनाव को कम करने में मदद कर सकता है।
कान्टैक्ट लेंस केयर
यदि आप कान्टैक्ट लेंसेस पहनते हैं, तो सुनिश्चित करें कि आप उनकी अच्छी देखभाल कर रहे हैं। इंफेक्शन के खतरे को कम करने के लिए, अपने कान्टैक्ट लेंसेस डालने या हटाने से पहले हमेशा अपने हाथ धोएं। कभी भी अपने लेंस पहनकर न नहाएं, न सोएं और न ही स्वीमिंग क्योंकि इससे इंफेक्शन के साथ ही आंखों की रोशनी जाने का भी खतरा हो सकता है।
धूम्रपान छोड़ें
धूम्रपान आपके फेफड़ों के लिए जितना हानिकारक है, उतना ही आपकी आंखों के लिए भी। अध्ययनों ने साबित कर दिया है कि धूम्रपान उम्र से संबंधित धब्बेदार विकृति (मैकुलर डीजनरेशन), मोतियाबिंद, और ऑप्टिक तंत्रिका को नुकसान पहुंचाने का जोखिम बढ़ाता है, ये सभी आंखों की रोशनी जाने की वजह बन सकते हैं।
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Apurva Srivastav
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