लाइफ स्टाइल

ऑफ़िस में फ़ॉलो करें ये अच्छी आदतें

Kajal Dubey
29 April 2023 6:11 PM GMT
ऑफ़िस में फ़ॉलो करें ये अच्छी आदतें
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इन आदतों के बारे में हो सकता है आपसे कोई कुछ कहे न, लेकिन ये आपकी प्रोफ़ेशनल विश्वसनीयता पर सवाल खड़ा करती हैं. हम आपको कुछ ऐसी ही बातों के बारे में बता रहे हैं, जिनसे दूरी बनाकर आप अपनी लक्ष्य से नज़दीकी बढ़ा सकती हैं.
आप करियर की सीढ़ियों पर उतनी तेज़ गति से नहीं चढ़ पा रही हैं, जितनी तेज़ी से आपने उम्मीद की थी? तो हो सकता है कि आप कुछ ऐसे ख़राब व्यवहारों के चंगुल में फंस गई हों, जो आपको अपने लक्ष्य से दूर रख रहे हों. इन ख़राब आदतों से छुटकारा पाकर आप एक नई शुरुआत करें और फिर देखें किस तरह आपकी ग्रोथ की गाड़ी फर्राटे से आगे बढ़ती है. हमने कुछ उम्दा टिप्स इकट्ठे किए हैं, जो आपकों अपनी क्षमता पहचानने में मदद करेंगे.
हमेशा ही देर से आना
डेडलाइन्स मिस करना या मीटिंग्स में समय पर न पहुंच पाना, आपका मैनेजमेंट इन बातों को ज़रूर नोट कर रहा होगा. “दूसरों के समय का सम्मान न करना, फिर चाहे बात कलीग्स, क्लाइंट्स या बाहरी वेंडर्स की हो, यह आपके वर्क एथिक्स पर बुरा प्रभाव डालता है. जो एम्प्लॉईज़ समय पर अपनी रिपोर्ट्स नहीं देते या ज़रूरी जानकारी नहीं भरते, उनकी वजह से पूरी टीम की प्रोडक्टिविटी प्रभावित होती है,” कहती हैं डॉ गायत्री वासुदेवन, को-फ़ाउंडर और सीईओ, लेबरनेट सर्विसेस इंडिया, सुविधाहीनों को रोज़गार मुहैया करानेवाली सामाजिक संस्था.
क्या करें आप: अपने प्लैनर में हर मीटिंग का वक़्त तय समय के 15 मिनट पहले का शेड्यूल करें. इससे आपको समय पर पहुंचने के लिए 15 मिनट का बफ़र टाइम मिलेगा. यदि तब भी आप देर से ऑफ़िस पहुंच रही हैं और इसकी वजह काम में आपकी रुचि की कमी है तो अपनी मुख्य समस्याओं को मैनेजर या काउंसलर की मदद से दुरुस्त करने या सुलझाने की कोशिश करें.
लंबे ब्रेक्स लेना
वर्ष 2014 में salary.com द्वारा कराए गए वेस्टिंग टाइम वर्क सर्वे के अनुसार, 89 प्रतिशत लोग ऑफ़िस में अपना वक़्त बर्बाद करते हैं. जहां 31 प्रतिशत लोग हर दिन 30 मिनट तक वक़्त ज़ाया करते हैं, वहीं 31 प्रतिशत लोग तक़रीबन एक घंटा. तेजा गुडलुरु, सीईओ और फ़ाउंडर, यूडूज़, एक ऐप जो उपभोक्ताओं को विभिन्न विषयों पर एक्स्पर्ट सलूशन मुहैया कराता है, का कहना है,“औसतन एम्प्लॉईज़ इंटरनल चैट्स, जैसे ढेरों नॉन-प्रोडक्टिव टास्क्स पर अपना बहुत सारा वक़्त बर्बाद करते हैं.” सोशल मीडिया पर ऑनलाइन होना, बहुत बड़े पैमाने पर काम से आपका ध्यान खींचता है और आपके वर्क एथिक्स को बुरी तरह प्रभावित करता है. इसमें कोई दोराय नहीं कि ऐसे एम्प्लाईज़ कभी स्टार परफ़ॉर्मर्स की सूची में नहीं शामिल हो पाते. दिनभर निजी कॉल्स पर लगे रहना, दोस्तों के साथ लंच के लिए लंबे समय तक बाहर रहना और शॉपिंग के लिए बाहर जाना या ऑफ़िस टाइम पर अपने निजी काम करना, जैसी बातें आपके ख़िलाफ़ काम करती हैं.
क्या करें आप: मोनिदीपा जी, कंटेंट डेवलपर ने ऑफ़िस में अपने इंटरनेट यूज़ेज़ में कटौती की. “मैंने पूरी कोशिश की, कि जब मैं किसी काम में लगी रहूं तो किसी भी ईमेल के आते ही काम के बीच ही तुरत-फुरत उसका जवाब न देने लगूं. मैंने एक समय तय किया है, जब मैं काम की वरीयता के मुताबिक़ उनका रिप्लाई करती हूं.” स्टेफ़ोकस्ड और लीचब्लॉक या स्पेसेस, डेस्कटॉप्स और पोमोडोरो जैसे ऐप्स ध्यान भटकानेवाली चीज़ों को ब्लॉक कर आपका पूरा ध्यान काम पर बनाए रखने में मदद कर सकते हैं. दोस्तों और परिवार वालों को कहें कि आपका ऑफ़िस का समय बहुत महत्वपूर्ण है, इसलिए जब तक बहुत अहम् काम न हो, तब तक फ़ोन न करें. और यदि तब भी आपका ब्राउज़िंग करने का मन करे, तो याद रखें, जो एम्प्लॉई ग़ैरभरोसेमंद होते हैं, कंपनी उन्हें अलविदा कहने में गुरेज़ नहीं करती.
दूरदर्शिता की कमी
बुरी प्लैनिंग और चीज़ों को अंतिम समय तक लटकाए रखना बिल्कुल ग़लत है, क्योंकि लंबे समय में इसका बुरा असर पूरी टीम की प्रोडक्टिविटी पर पड़ता है. “योजनाओं के अभाव में पूरी की पूरी टीम प्रभावित हो सकती है. उदाहरण के लिए यदि मैनेजर शॉर्ट-टर्म और लॉन्ग-टर्म लक्ष्य, समय सीमा के साथ तय नहीं करता तो वह अपने कलीग्स को दिशा-निर्देश कैसे देगा?” पूछती हैं डॉ वासुदेवन.
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