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क्या ज़्यादा पसीने का मतलब होता है, ज़्यादा फ़ैट लॉस

Kajal Dubey
28 April 2023 12:11 PM GMT
क्या ज़्यादा पसीने का मतलब होता है, ज़्यादा फ़ैट लॉस
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वज़न का बोझ हमारे शरीर से ज़्यादा हमारे दिमाग़ पर होता है. हर वह व्यक्ति, जिसका वज़न उसके शरीर के आदर्श वज़न से कुछ किलो अधिक होता है, वह अपना वज़न कम करने की जुगत में लगा रहता है. वज़न कम करने के लिए घरेलू नुस्ख़ों से लेकर, क्रैश डायट तक भी आज़मा चुका होता है. और इन सभी से निराश होने के बाद बढ़ता है, व्यायाम की तरफ़. जिम में जाकर इंस्ट्रक्टर के निर्देश पर घंटों पसीना बहाता है. आमतौर पर जिम में ट्रेनर 10 मिनट ट्रेडमिल, 20 मिनट साइकिलिंग और 10 मिनट क्रॉस ट्रेनर पर बिताने की सलाह देते हैं. इतनी मेहनत के बाद हम पसीने से भीग जाते हैं. हमें लगता है कि हमने बहुत सारा फ़ैट बर्न कर लिया है. हम छरहरे दिखने लगेंगे, पर काफ़ी दिनों बाद भी कुछ ख़ास फ़र्क़ नज़र नहीं आता. हम कारण नहीं समझ पाते और लगातार ऐसा होते रहने के बाद हमारा जिम पर से भी विश्वास डगमगा जाता है. अगर आपके साथ भी ऐसा ही हो रहा है तो निराश होने या जिमिंग बंद करने से पहले पसीने और फ़ैट बर्न के नाते को समझ लें. और उसके बाद फ़िटनेस की अपनी यात्रा को दोबारा शुरू करें.
क्या है ज़्यादा पसीने का मतलब?
एक्सरसाइज़ के बाद हम जिस पसीने से भीगे रहते हैं, वह हमारे शरीर में कोई विज़िबल चेंन नहीं लाता तो इतना थक कर क्या मतलब? ज़ाहिर है यह सवाल हमारे मन में आएगा ही. देखिए यहां गड़बड़ी हमारी सोच में है, पसीने का फ़ैट कम करने से कोई नाता नहीं है. विज्ञान की दृष्टि से देखें तो पसीना हमारे शरीर को ठंडा रखने के लिए बनाया गया तरीक़ा है. जब आप जमकर एक्सरसाइज़ करते हैं, तब आप पसीने से डूब जाते हैं. ऐसा इसलिए होता है क्योंकि एक्सरसाइज़ करने से आपका शरीर गर्म हो जाता है. शरीर अपने तापमान को सामान्य पर लाने के लिए ढेर सारा पसीना निकालता है. हम ढेर सारे पसीने को फ़ैट लॉस मान लेते हैं, जबकि होता यह है कि भले ही शरीर के गर्म होने से आपकी कैलोरी बर्न हो रही है, पर शरीर ऊर्जा के लिए पहले स्टोर फ़ैट को एनर्जी के स्रोत के तौर पर यूज़ करता है. इसलिए हर बार एक्सरसाइज़ के बाद जब आप पसीने से भीग जाते हैं तब कैलोरी बर्न से वेट लॉस होता है, फ़ैट लॉस नहीं.
क्या फ़र्क़ है फ़ैट लॉस और वेट लॉस में?
वेट लॉस का संबंध शरीर के कुल वज़न में आने वाली कमी से है, मसलन-मसल, वॉट और फ़ैट लॉस मिलाकर वेट लॉस होता है. वहीं फ़ैट लॉस का मतलब होता है, शरीर के विभिन्न हिस्सों में जमा फ़ैट यानी वसा का कम होना. यह लॉस संपूर्ण शरीर से न होकर, स्पेसिफ़िक जगहों पर होता है. वेट लॉस की जगह फ़ैट लॉस करके फ़िटनेस हासिल करना एक सेहतमंद तरीक़ा है. पर टेक्निकली हममें से ज़्यादातर लोग फ़ैट लॉस और वेट लॉस के बीच के फ़र्क़ को नहीं समझ पाते. सिम्पल शब्दों में कहें तो फ़ैट लॉस का मतलब है इंचेस कम होना और वेट लॉस का मतलब है वज़न कम होना.
फ़ैट लॉस का विज्ञान
अगर आप अपने शरीर का एनालसिस करेंगे तो पाएंगे कि शरीर में तीन तरह के फ़ैट्स होते हैं. पहला प्रकार है सबक्यूटैनियस फ़ैट का, जो हमारी त्वचा के ठीक नीचे होता है. दूसरा प्रकार है विसरल, जो बॉडी कैविटी में होता है. और तीसरे प्रकार का फ़ैट है इंट्रा मस्कुलर. इस तरह के फ़ैट की थोड़ी-सी मात्रा हमारे मसल्स में होती है.
हमें यह बात समझनी होगी कि अगर इन तीनों तरह के फ़ैट्स पर लंबे समय तक ध्यान नहीं दिया गया तो वे ज़िद्दी बन जाते हैं यानी उन्हें बर्न करना बहुत मुश्क़िल हो जाता है. आमतौर पर हम फ़ैट्स को कम करने के लिए क्रैश डायट का सहारा लेते हैं, पर इससे शरीर में इन तीनों तरह के फ़ैट्स के जमा होने की मात्रा बढ़ जाती है. कारण यह है कि हमारा शरीर बुरे दिनों के लिए शरीर में फ़ैट्स को संग्रहित करके रखता है. जब क्रैश डायट के बाद आप खाते हैं, तब शरीर झटपट फ़ैट्स को जमा कर लेता है.
क्यों ज़्यादा पसीने का मतलब फ़ैट लॉस नहीं है?
जब आप जिम में एक्सरसाइज़ करते हैं या घंटों सौना में बैठे-बैठे पसीना बहाते हैं तो भले ही आपको लग रहा हो कि फ़ैट लॉस कर रहे हैं, पर असल में ऐसा हो नहीं रहा होता. आपका शरीर कैलोरी बर्न करता है, पहले से स्टोर फ़ैट से एनर्जी लेता है, पर जैसे ही आप अगली बार खाते हैं, वह फ़ैट स्टोर को रीफ़िल कर लेता है.
तो फ़ैट लॉस के लिए आप अपने खानपान पर सही ध्यान दें. खाने में प्रोटीन की सही मात्रा शामिल करें. कार्डियो ट्रेनिंग के साथ रेज़िस्टेंट ट्रेनिंग भी अपने वर्कआउट में शामिल करें.
योगा और पिलाटे जैसे व्यायाम पर भरोसा रखें. इनके बारे में आम ग़लतफ़हमी यह है कि चूंकि जिमिंग की तुलना में इस दौरान कम पसीना निकलता है तो फ़ैट बर्न नहीं होता. इस धारणा को बदल दें. देखा जाए तो इन एक्सरसाइज़ेस को करने से हमारा शरीर फ़ंक्शनली अधिक फ़िट होता है. और फ़ैट लॉस भी काफ़ी होता है.
अंतिम सवाल, क्यों हमें फ़ैट लॉस पर फ़ोकस करना चाहिए, वेट लॉस पर नहीं?
ज़्यादातर वेट लॉस प्रोग्राम्स आपको कुछ ही हफ़्तों में ज़्यादा से ज़्यादा वज़न कम कराने की गैरेंटी देते हैं. पर आपको यह समझना होगा कि हमारे शरीर के वज़न कर ज़्यादातर हिस्सा पानी और मसल्स का होता है. आमतौर पर वेट लॉस प्रोग्राम्स में मसल्स और पानी के वज़न को घटाकर वज़न कम दिखाया जाता है. यह बिल्कुल भी हेल्दी तरीक़ा नहीं कहा जा सकता, क्योंकि मसल्स लूज़ करने का मतलब है शरीर के साथ छेड़छाड़ करना. मसल्स शरीर का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं. मसल्स के कई फ़ायदे हैं, जैसे इससे शरीर के ब्लड शुगर को मेंटेन करने में मदद मिलती है, सेहतमंद फ़ैट को भी मसल्स बनाए रखता है. मसल मास बनाए रखने से आप लंबे समय तक जवां दिखते हैं. अगर आपने मसल्स लूज़ करके वेट कम किया है तो इस बात की ज़्यादा संभावना है कि जल्द ही आपका शरीर और ज़्यादा फ़ैट स्टोर कर लेगा. तो यही कारण है कि हमें फ़ैट लॉस पर फ़ोकस करना चाहिए, न कि वेट लॉस पर.
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