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जीन्स पैण्ट पहनने के नुकसान,
1. मूत्रपथ-संक्रमण (मुख्यतया यीस्ट इन्फेक्शन –
कैण्डिडा नामक एक यीस्ट से योनि व अन्य आन्तरिक उपांगों के संक्रमित होने की आशंका बढ़ जाती है, कैण्डिडा से हुए संक्रमण को वैजाइनल थ्रष कहा जाता है। लक्षण स्वरूप चकत्ते, लालिमा, खुजली, सूजन हो सकती हैं क्योंकि वायु-संचार रुकने से पसीना जमता जाता है व त्वचा में यीस्ट आदि पनपने की सम्भावना बन जाती है।
इटली में किये गये एक अनुसंधान में भी पाया गया कि सप्ताह में एक बार जीन्स पैण्ट पहनने वाली स्त्रियों में भी बैक्टीरियल वैजाइनोसिस की आशंका बहुत बढ़ गयी। बैक्टीरियल वैजाइनोसिस की गम्भीर स्थिति में टाक्सिक शाक सिण्ड्राम भी हो सकता है जिसमें उल्टी व बुखार भी सम्भव। स्त्री व पुरुष के गुप्तांगों में कपड़ों की खुरचन भी उन्हें अधिक संक्रमणशील बना देती है। कसे कपड़ों से तापक्रम व नमी बढ़ना भी गुप्तांग-स्वास्थ्य के लिये बड़ा हानिकारक सिद्ध होता है।
2. मूत्राशय कमज़ोर होना –
जीन्स व अन्य सिण्थेटिक व कसावट पूर्ण पैण्ट्स से मूत्राशय पर अतिरिक्त दबाव तो पड़ता ही है एवं इनसे यह मूत्राशय जीवाणुओं का प्रजनन केन्द्र भी बनने लगता है एवं ये जीवाणु शरीर में पुनः प्रवेश भी कर सकते हैं जिससे मूत्रपथ-संक्रमणों को और बढ़ावा मिल जाता है।
3. कम्पार्टमेण्ट सिण्ड्राम –
इसमें पेशियों व तन्त्रिकाओं में रक्तप्रवाह सुचारु न रह पाने से आक्सीजन व अन्य पोषकों की आपूर्ति पर्याप्त नहीं हो पाती, सिण्थेटिक कपड़ों, विशेष रूप से जीन्स पैण्ट्स से यह समस्या जाँघों, कूल्हों व कमर में आने की आशंका बनी ही रहती है। रीढ़ भी इससे प्रभावित हो सकती है। प्रभावित भाग सुन्न पड़ सकता है अथवा सूजन होती है, भीतर ही भीतर पेशियों का नाश होता रह सकता है एवं वृक्कों पर इस पेशीय विघटन का भार बढ़ सकता है; कुछ प्रकरणों में पक्षाघात सम्भव।
4. खून के थक्के जमना –
जीन्स आदि से लगातार दबाव बना रहने से विशेषत: प्रजनन-अंगों में खून के थक्के जम सकते हैं।
5. मेराल्जिया पॅरेस्थेटिका –
यह एक तन्त्रिका-क्षति (नर्व-डैमेज) है जो लेटरल क्यूटेनियस नर्व (जाँघ की इस तन्त्रिका को लेटरल फ़ीमोरल क्यूटेनियस नर्व भी कहते हैं) दबने से होती है, इसमें पैर के ऊपरी हिस्से में बाहरी जाँघ पर सुन्नता अथवा झुनझुनी अनुभव हो सकती है।
6. वेनस इन्सफ़िशियन्सी सिण्ड्रोम –
यह मुख्यतः दो प्रकार का होता है – वेरिकोज़ वैन्स एवं तेलंगीएक्टेशिया (स्पाइडर वैन्स)। वेरिकोज़ वैन्स में प्रभावित अंग की शिराएँ सूजन युक्त व ऐंठी हुई हो जाती हैं जो नीली अथवा गहरी बैंगनी लग सकती हैं। शिराओ में ख़राब कपाटों से निकलकर रुधिर ग़लत दिशा में जा सकता है।
तेलंगीएक्टेशिया(स्पाइडर वैन्स) में शिराओ पर अत्यधिक दबाव पड़ने से सम्भव है कि ये लाल, बैंगनी अथवा नीले रंग में दिखने लगें, मकड़ी के जाल अथवा पेड़ की शाखाओं की आकृति में ये चेहरे अथवा पैरों पर नज़र आ सकती हैं। यह समस्या पुरुषों की अपेक्षा स्त्रियों में अधिक होती है, वह भी पेट दर्द के साथ सम्भव।
7. पेटदर्द –
स्त्रियों व पुरुषों दोनों में जीन्स से पेट के निचले भाग के दबने से मूत्राशय पर दबाव पड़ने लगता है इससे भी जलन अथवा मूत्र संक्रमण की आशंका बढ़ती है।
8. पीठ व कमर दर्द –
पीठ व कमर की पेशियों में दबाव पड़ने से एवं कूल्हे की हड्डी में रक्त प्रवाह कम हो जाने से मेरु व रीढ़ की हड्डी में तनाव बन जाता है।
9. थकावट –
पुरुषों की अपेक्षा स्त्रियों में यह समस्या अधिक दिखती है क्योंकि व्यक्ति को पता ही नहीं चलता कि अब खुलकर साँस नहीं आ रही, दम घुँट रहा है. पसीना, चक्कर व बेहोशी भी सम्भव।
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Apurva Srivastav
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