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जनता से रिश्ता वेबडेस्क। पीरियड्स का अनुभव हर किसी के लिए अलग होता है. किसी को दर्द का सामना करना पड़ता है, तो कोई मूड स्विंग से गुजरता है. टीनएज में पीरियड्स की शुरुआत होती है. इस एज में तेजी से शारीरिक और मानसिक बदलाव होते हैं, जिसे समझने में काफी समय लगता है. पीरियड्स की वजह से बच्चियों के इमोशंस भी बदलते हैं, जिसे संभालना पैरेंट्स के लिए काफी चुनौतीभरा होता है. इमोशंस में बदलाव हार्मोनल चेंजेस के कारण होते हैं. इस वजह से बॉडी पेन, पिंपल्स, गुस्सा और मूड स्विंग जैसी समस्याओं का भी सामना करना पड़ता है. ऐसे में जरूरी है कि पैरेंट्स बच्चे के बदलते इमोशंस को समझें और उन्हें बेहतर ढंग से संभालने का प्रयास करें.
मूड स्विंग्स को करें कंट्रोल
वेरीवैल फैमिली के अनुसार टीनएज में मूड स्विंग की समस्या अधिक होती है. ऐसे में बच्चियों को बुरे मूड से बाहर निकलने के लिए प्रोत्साहित करना बेहद जरूरी होता है. वास्तव में उसे क्या चीज परेशान करती हैं, इसके बारे में बात करें और उनकी समस्या सुलझाने का प्रयास करें.
बच्चे के इंट्रेस्ट को जगाएं
टीनएज में बच्चे कई बार हॉबीज को नजरअंदाज करने लगते हैं. ऐसे समय में लड़कियों की हॉबीज को प्रोत्साहित करें और उनका इंट्रेस्ट जगाएं. पीरियड्स के दौरान यदि वहकिसी काम में बिजी रहती हैं तो उन्हें दर्द और परेशानी कम महसूस हो सकती है.
Tara Tandi
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