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कई छोटी-छोटी चीजों का सेवन भी आपको हेल्दी रख सकता है। जैसे सर्दियों में हल्दी, अदरक, लहसुन, काली मिर्च का सेवन करने से भी सेहत को फायदा मिलता है।
गुलाब, केसर या कमल जैसे फूलों का प्रयोग सालों से भारतीय व्यंजनों में होता आ रहा है। जी हां, प्रकृति की सबसे सुंदर रचना यानी फूल का सेवन करके भी लोग फिट रह सकते हैं।
ये बात आयुर्वेद भी मानता है कि फूलों में खुशबू के साथ कई गुण भी होते हैं, जो इंसान को अलग-अलग तरह से फिट बनाते हैं।
लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि आप पौधे से तोड़कर फूलों का सीधा सेवन शुरू कर दें। दरअसल, प्रकृति ने कुछ फूलों को ये गुण दिया हुआ है कि उनका सेवन से कुछ शारीरिक समस्याओं में राहत मिल सकती है।
आइए जानते हैं कुछ ऐसे ही फूलों के बारे में जिनके सेवन से शारीरिक बीमारियों से छुटकारा पाया जा सकता है और फिट / स्वस्थ रहा जा सकता है।1. गुलाब (Rose)
दुनिया में गुलाब की करीब 150 प्रजातियां पाई जाती हैं। इनमें से हर प्रजाति को खाया जा सकता है और इनका टेस्ट भी काफी अच्छा होता है।
गुलाब की छोटी प्रजातियों का प्रयोग आइसक्रीम और डेजर्ट को गार्निश करने में होता है। उनकी पंखुड़ियों को मिठाई या सलाद पर भी छिड़का जा सकता है।
गुलाब की पंखुड़ियों में काफी खुशबू होती है। गुलाब की ताजा पंखुड़ियों को पिघलाकर गुलाब-जलयुक्त पेय (Rose-Infused Beverages), जेम या जेली (jams and jellie) भी बनाई जा सकती है।
स्टडी के मुताबिक किसी भी गुलाब का सेवन करने से एंग्जाइटी कम (reducing anxiety) होती है और रिलेक्शेसन में बढ़ोतरी (Promoting Relaxation) होती है। (1)
2. गुड़हल (Hibiscus)
जवाकुसुम फैमिली के पौधे के फूल को आम बोलचाल में गुड़हल या जासोन कहते हैं। इसका वैज्ञानिक नाम हीबीस्कस रोजा साइनेन्सिस (Hibiscus rosa-sinensis) है।
दुनियाभर में इसकी 200 से भी ज्यादा प्रजातियां पाई जाती हैं। इसके फूल में 5 से अधिक पंखुड़ियां होती हैं, जो मुख्यत: सफेद, गुलाबी, लाल, पीला या बैंगनी रंग की हो सकती हैं।
इसका टेस्ट खट्टे ओवरटोन के साथ क्रैनबेरी जैसा होता है। इसका प्रयोग सलाद या गार्निश के रूप में थोड़ा अम्लीय टेस्ट के लिए किया जाता है।
हिबिस्कस के फूल को औषधीय अनुप्रयोगों (medicinal applications) के लिए भी जाना जाता है। पौधे से सीधे इस फूल को तोड़कर खा सकते हैं, लेकिन आमतौर पर औषधीय गुणों के कारण इसका उपयोग चाय, जूस, जैम या सलाद के लिए किया जाता है। (2)
कुछ स्टडीज से पता चलता है कि गुड़हल के फूल के सेवन से ब्लड प्रेशर (blood pressure) और कोलेस्ट्रॉल लेवल (cholesterol level) कम करने में मदद मिलती है।
3. लैवेंडर (Lavender)
लैवेंडर का फूल पुदीना परिवार का है। इसका वैज्ञानिक नाम लैवेनड्युला (Lavandula) है। यह गीली, रेतीली या पथरीली मिट्टी में होता है।
इसके फूलों से मधुमक्खियां अच्छी क्वालिटी का शहद भी बनाती हैं। इससे बनने वाले मोनोफ्लोरल शहद का प्रयोग मिठाई, केक आदि व्यंजनों में होता है।
लैवेंडर का फ्लोरल हर्ब विटामिन ए (Vitamin A) प्रदान करता है, जो आंखों और त्वचा के स्वास्थ्य के लिए आवश्यक है। साथ ही यह शरीर के लिए कैल्शियम और आयरन जैसे आवश्यक पोषक तत्वों को पूरा करता है।
इसके सेवन से ऑस्टियोपोरोसिस को रोकने में मदद मिल सकती है और प्रीमेंस्ट्रुअल सिंड्रोम (premenstrual syndrom) के लक्षणों को कम किया जा सकता है। ये फूल अपने प्राकृतिक शांत गुणों के कारण चिंता और डिप्रेशन / अवसाद (anxiety and depression) को कम करने में भी मदद कर सकता है। (3)
4. फीवरफ्यू (Feverfew)
फीवरफ्यू फूल का वैज्ञानिक नाम तानेसेटम पार्थेनियम (Tanacetum parthenium) है, यह डेजी फैमिली (daisy family) से है।
यह पारंपरिक ट्रेडिशनल मेडिक्लिनल हर्ब है, जिसका उपयोग माइग्रेन (migraine) या हैडेक (headaches) में होता है।
इसका पौधा करीब 70 cm लंबा और सफेद पत्तियों वाला होता है। इसके फूल में पीले रंग के पराग होते हैं। अलग-अलग किस्म के हिसाब से इसका रंग बदल भी सकता है।
इस फूल का प्रयोग हर्बल टी (herbal tea) बनाने के लिए किया जाता है। इसकी एंटी -इन्फलामेट्री पत्तियों (Anti-inflammatory leaves) और फूलों के सिर (flowering heads) की वजह से मांसपेशियों में तनाव (muscle tension), बुखार (fever), गठिया और गठिया सहित अन्य समस्याओं (arthritis and rheumatism) का इलाज करने के लिए उपयोग किया जाता है।
टिंचर के रूप में इसका प्रयोग करने से यह यह चोट के निशान को भी ठीक कर सकता है। इसके अलावा दिन में कुछ पत्ते चबाने से माइग्रेन की प्रॉब्लम में राहत मिल सकती है।
5. कैमोमाइल (Chamomile)
अमेरिकी भाषा में कैमोमाइल को Chamomile और ब्रिटिश में camomile कहते हैं। यह भी डेजी फैमिली का फूल होता है। यह दिखने में फीवरफ्यू फूल जैसा ही होता है। आमतौर पर पारंपरिक चिकित्सा में संक्रमण रोकने के लिए इस फूल का उपयोग किया जाता है।
इसका अधिकतर प्रयोग चाय बनाने में किया जाता है। एक्सपर्ट ग्रीन टी और लेमन टी के अलावा कैमोमाइल टी पीने की भी सलाह देते हैं। यह एंग्जाइटी और स्लीपिंग क्वालिटी में सुधार करती है। (4)
कैमोमाइल में एंटीऑक्सिडेंट होते हैं। यह कैंसर, हृदय रोग और पाचन में सहायता के जोखिम को कम करने में सक्षम हो सकता है।
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Kajal Dubey
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