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मेटाबॉलिज्म खराब होने से यूरिक एसिड की समस्या बढ़ जाती है। दरअसल जब शरीर में प्रोटीन का मेटाबॉलिज्म धीमा होता है तो शरीर प्यूरीन को पचाने में असमर्थ हो जाता है। तब यूरिक एसिड शरीर में जमा होने लगता है और इसके क्रिस्टल हड्डियों के बीच गैप पैदा कर गाउट की समस्या पैदा कर देते हैं।दर्द से राहत के लिए खसखस एक आजमाया और परखा हुआ विकल्प रहा है। ऐसे में गठिया के दर्द को कम करने के लिए खसखस के बीजों को गर्म पानी में मिलाकर बनाया गया रस आपको अच्छा महसूस करा सकता है। यह एंटी-इंफ्लेमेटरी भी है जो पैरों में सूजन को कम करने में मदद कर सकता है।
खसखस का सेवन कई मामलों में प्यूरीन को पचाने में मददगार हो सकता है। दरअसल, खसखस का जूस अपने साथ प्यूरीन के कणों को पेट में बांधकर मल और पेशाब के जरिए बाहर निकालने में मदद करता है। इस तरह यह शरीर से प्यूरीन को बाहर निकाल देता है और यूरिक एसिड की समस्या को जन्म देता है।
खसखस का सेवन प्रोटीन मेटाबोलिज्म को तेज करने में सहायक होता है। खसखस आहार फाइबर से भरपूर होने के कारण पाचन में मदद करता है और सूजन को रोकता है। यह प्रोटीन को पचाने वाले एंजाइम को बढ़ावा देता है, पेट को ठंडा करता है और फिर यूरिक एसिड की समस्या को नियंत्रित करने में मदद करता है।
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Apurva Srivastav
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