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क्या डायट की मदद से मेनोपॉज़ को स्लो डाउन किया जा सकता है
महिलाएं लगभग सभी ज़िम्मेदारियों को बड़ी शिद्दत से निभाती हैं और जा वह नहीं निभाती हैं या यों कह लें कि निभाने का समय ही नहीं मिल पाता है, वह है उनकी अपने प्रति की ज़िम्मेदारी! दिन-भर और कभी-कभी रातभर की भाग-दौड़ में वह अपने स्वास्थ्य को बहुत पीछे छोड़ आती हैं. महिलाओं को यह समझना होगा कि अपनी सेहत के लिए आपको बहुत सजग होने की ज़रूत होती है, क्योंकि अन्य परेशानियों के साथ मेनोपॉज़ को भी संभालना है.
आपको बता दें कि मेनोपॉज़ की वजह से केवल रंग, बाल त्वचा में ही बदलाव नहीं आता; बल्कि मूड स्विंग्स, हॉट फ़्लैशेस और पीरियड्स में अनियमितता भी आ जाती है. वैसे तो मेनोपॉज़ के लक्षणों की लिस्ट काफ़ी लंबी है, जो हर महिला में अलग-अलग तरह से दिखाई देता है और यह लक्षण मेनोपॉज़ आने के सालभर पहले से ही दिखाई देने लगते हैं.
हेल्थ एक्सपर्ट्स की माने तो आमतौर पर मेनोपॉज़ की उम्र के पचांवें दशक में होता है, लेकिन कई महिलाओं को यह 40 के दशक में भी शुरू हो जाता है. इस उम्र में मेनोपॉज़ का मतलब होता है कि महिलाएं कई तरह की बीमारियों से घीर जाती हैं. इसलिए आपको अपने मेनोपॉज़ और उसके लक्षणों पर ध्यान देना चाहिए और उसे स्लोडाउन करने के प्रयास करने चाहिए.
हो सकता है आप महिलाएं मेनोपॉज़ को स्लो डाउन करने की प्रक्रिया को मिथक मान रही हों, लेकिन आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि मेनोपॉज़ को सही उम्र तक ले जाने के लिए खानपान सबसे अधिक मददगार होते हैं. मेनोपॉज़ की देरी से आपके आंतरिक स्वास्थ्य को कोई नुक़सान नहीं पहुंचेगा; बल्कि यह उन स्वास्थ्य समस्याओं की रोकथाम करेगा, जो मेनोपॉज़ की वजह से होती हैं.