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शरीर को हष्ट पुष्ट बनाने के टिप्स

Admin2
1 July 2023 3:27 PM GMT
शरीर को हष्ट पुष्ट बनाने के टिप्स
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न व्यक्तियों का वजन आयु के अनुसार उचित मात्रा में नहीं होता अथवा उनके शरीर में मांस और चर्बी का अभाव होता है, उन्हें दुर्बल कहा जाता है। इसके अनेक कारण हो सकते हैं, लेकिन यह स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से ठीक नहीं माना जाता। ऐसे दुबले-पतले लोगों को अपने आहार-विहार में परिवर्तन करना चाहिए तथा उचित योगासन या व्यायाम करना चाहिए। निम्नलिखित निर्देशों का पालन करके दुबले-पतले व्यक्ति भी हृष्ट पुष्ट बन सकते हैं।
प्रोटीन्स की कमी से शरीर की पेशियां कमजोर बनी रहती हैं अर्थात्ï शरीर पर मांस नहीं चढ़ता, इसलिए भोजन में दूध, दही, मांस, मछली और अंडा जरूर शामिल करना चाहिए। यदि आप दोनों समय दाल-रोटी या दाल-चावल खाते हैं और दिन में तीन-चार प्याली चाय पीते हैं, तो यह हानिकारक होगा। आप हृष्ट-पुष्ट बन पाएंगे।
यदि आप मांस, मछली या अंडा नहीं खा सकते तो सोयाबीन को अपने आहार में शामिल करें। इसमें किसी भी अनाज, दाल और फलियों से अधिक प्रोटीन्स होते हैं।
रात को जल्दी सोने और सुबह जल्दी उठने से भोजन का पाचन अच्छी तरह होता है तथा पेट साफ हो जाता है। इससे शरीर में कोई रोग नहीं होता और शरीर हृष्ट पुष्ट बनता है।
प्रतिदिन प्रात:काल भ्रमण करें अथवा कोई उचित व्यायाम या योगासन करें। इससे भी शरीर हृष्ट पुष्ट बनता है।
नाश्ते में मिले-जुले सूखे मेवों-बादाम, अखरोट, काजू, किशमिश, पका नारियल और भुनी हुई मूंगफलियां आदि खाएं और ऊपर से एक प्याला दूध पीएं। इन पदार्थों से शरीर को मुख्यत: प्रोटीन्स और उचित मात्रा में चर्बी-तत्त्व मिलेगा, जिससे दुबले-पतले लोगों का वजन बढ़ता है। इस नाश्ते के बाद दोपहर का भोजन चार घंटे के बाद लें।
दोपहर के भोजन में कच्ची सब्जियां-प्याज, टमाटर, गाजर, मूली सलाद के पत्ते, ककड़ी, खीरा आदि पर्याप्त मात्रा में लें। चाहे रोटी, दाल और चावल की मात्रा थोड़ी कम कर देनी पड़े। ताजे मौसमी फल- आम, खरबूजा, केला, अमरूद और पपीता आदि भी खाएं। दही भी प्रोटीन्स, विटामिन्स एवं चर्बी तत्त्व प्राप्त करने की दृष्टि से उत्तम खाद्य है।
दुबले-पतले लोगों को शरीर में भराव लाने के लिए घी और मक्खन का अधिक प्रयोग करना चाहिए।
सर्दी के मौसम में भोजन के साथ थोड़े गुड़ का सेवन करना बहुत लाभदायक होता है। गुड़ में विटामिन बी, आयरन और शर्करा (चीनी) आदि होने से रक्त बनता है, खुलकर भूख लगती है और शरीर में शक्ति का संचार होता है।
दुबले-पतले लोगों को दोपहर के भोजन के चार घंटे बाद और रात्रि के भोजन से पहले अल्पाहार अवश्य करना चाहिए अर्थात्ï मौसम के ताजा गूदे वाले फल-केला, आम, अमरूद, सेब, अंगूर, चीकू, नाशपाती, अनानास, खरबूजा, तरबूज, शकरकंद, बेर, शहतूत, आलूचा, आलूबुखारा, अंजीर आदि खाना चाहिए।
गर्मी के मौसम में बेल खाना या उसका शरबत पीना अच्छा होता है। बेल से पाचन दोष दूर होकर शरीर स्वस्थ बनता है, भूख लगती है और शरीर में भराव आने लगता है।
चौबीस घंटे पानी में भीगे हुए 25 ग्राम गेहूं को सिलबट्टे पर बारीक पीस लें। फिर कड़ाही में थोड़ा सा घी डालकर पिसे हुए गेहूं को अच्छी तरह भूनें। जब हल्की सी लाली आ जाए, तो उसमें 250 ग्राम उबला हुआ दूध और आवश्यकतानुसार खांड या चीनी मिला दें। इसे प्रात:काल नाश्ते में लेने से दुबला-पुतला शरीर पुष्ट होता है। यह लंबी बीमारी से उठने के बाद, प्रसव अथवा बड़े ऑपरेशन के बाद अतिशीघ्र शक्ति प्रदान करता है और दुबले-पतले शरीर में भराव लाता है। इसके माध्यम से उत्तम श्रेणी के प्रोटीन्स, चर्बी एवं कार्बोहाइड्रेट्स तत्त्व मिलते हैं।
रात में सोते समय पीए जाने वाले दूध में चार बड़े साइज के छुआरे और आठ दस मुनक्के डालकर पका लें। पहले मुनक्के और छुआरों को पानी में धोकर उनका मैल-मिट्टी साफ कर दें और मुनक्का के बीज एवं छुआरों की गुठलियां निकाल दें, फिर उनके टुकड़े करके दूध के साथ पकने दें। दूध में एक उबाल आ जाने पर नीचे उतार लें। पहले मुनक्का और छुआरे निकालकर अच्छी तरह चबाकर खाएं, फिर उपर से दूध पी लें। इस पौष्टिक दूध से शक्ति आती है, शरीर भरता है और प्रात: शौच साफ होकर कब्ज दूर होता है।
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