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जामुन और उसके बीज का सेवन करने के फायदे

Teja
1 July 2022 5:35 PM GMT
जामुन और उसके बीज का सेवन करने के फायदे
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जनता से रिश्ता वेब डेस्क न्यूज़ :-मौसमी फलों के स्वाद का अपना ही अलग मजा होता है और मौसमी फलों के स्वाद के साथ-साथ यदि हमें बेहतर सेहत भी मिल जाए तो इससे बेहतर क्या बात हो। मौसम के बदलाव के साथ छोटी मोटी सेहत समस्याएं आती ही रहती हैं और प्रकृति इन समस्याओं के समाधान भी लेकर आ जाती है। मौसमी फल और सब्जियां अब गर्मियों का टाटा बाय-बाय हो रहा है और बारिश की फुहारें चौखट पर आने को तैयार हैं।

सर्दी खांसी, बुखार, दस्त, त्वचा रोग, एलर्जी और पेट की समस्याएं खूब होंगी, साइंटिस्ट और हर्बल मेडिसिन एक्सपर्ट दीपक आचार्य के मुताबिक इन समस्याओं से बचने का सटीक उपाय है जामुन। बाजार में जामुन मिलने लगी है, गाँव-देहातों में जामुन पेड़ों पर खूब लद चुका है और अगले 15 दिन आप भी जामुन जरूर खाएं, और जामुन क्यों खाना है? ये भी जान लीजिये।

जामुन के फायदे
जामुन के फल में आयरन और फास्फोरस जैसे तत्व प्रचुरता से पाए जाते हैं। जामुन के फलों के साथ-साथ इसके बीजों (गुठली), पत्तियों, छाल और अन्य अंगों के भी जबरदस्त औषधीय गुण हैं और आदिवासी जामुन के तमाम अंगों को विभिन्न हर्बल नुस्खों के तौर पर रोगनिवारण के लिए इन्हें खूब आजमाते भी हैं। गाँव देहातों के हर्बल जानकार मानते हैं कि भोजन के बाद 100 ग्राम जामुन फल का सेवन मौसमी बदलाव से जुड़े कई विकारों में बहुत फायदेमंद साबित होता है। एनीमिया (खून की कमी) को दूर करने में और खून में हीमोग्लोबिन बढ़ाने के लिए जामुन एकदम सॉलिड है। डाँग- गुजरात के आदिवासी हर्बल जानकार बताते हैं कि जामुन और आंवले के फलों का रस समान मात्रा में मिलाकर पीने से शरीर में हीमोग्लोबिन का स्तर बढ़ता है और जिन्हें एनीमिया है उन्हे काफी फायदा होता है।
एनीमिया दूर करता है जामुन
हर्बल जानकारों के फार्मूले बताते हैं कि 15 दिन तक लगातार 100-150 ग्राम जामुन चबाने से खून साफ होता है और एनीमिया में भी फायदा होता है, ये स्किन इन्फेक्शन में भी फायदा करता है। जामुन के फलों को आदिवासी आंखों की बेहतर रोशनी और शारीरिक ताकत के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण मानते हैं। आदिवासी पके हुए जामुन को हाथ से रगड़कर बीजों को अलग करके रख देते हैं, प्राप्त हुए पल्प में स्वादानुसार मात्रा में गुड़ मिला दिया जाता है और सेवन किया जाता है। वैसे मॉडर्न साइंस की नज़रों से ये एक लॉजिकल फॉर्मूला है, इतना समझ लीजिये कि फलों में प्रचुर मात्रा में कैरोटिन और लौह तत्व पाए जाते हैं और गुड़ में आयरन काफी होता है। मान्यता है कि जामुन का फल गर्भवती महिलाओं को देने से आयरन की कमी नहीं होती है।
जामुन के बीज का दंत मंजन
मध्यप्रदेश के बालाघाट के लांजी क्षेत्र में तो लोग सूखे बीजों के पाउडर को बतौर दंत मंजन भी इस्तमाल करते हैं। कहते हैं कि जामुन के बीज मुंह की बदबू, हानिकारक सूक्ष्जीवों को मारता तो है ही, मसूड़ों को मजबूत भी बनाता है। इसके दातून से दांत भी साफ किया जाता है। जामुन की छाल भी मसूड़ों के लिए लाभदायक है। जामुन की छाल का चूर्ण (एक चम्मच) लगभग एक कप पानी में डालकर खौलाया जाए और ठंडा होने पर इससे कुल्ला किया जाए तो मसूड़ों की सूजन, दांत दर्द और मसूड़ों से खून आने की समस्या में काफी आराम मिलता है।
गठिया रोग में फायदेमंद है जामुन
जामुन की छाल को बारीक पीसकर इसकी 2 चम्मच मात्रा को पानी के साथ गाढ़ा पेस्ट बनाकर जोड़ दर्द वाले हिस्सों और घुटनों पर दिन में 3 से 4 बार लगाने से गठिया के दर्द से आराम मिलने लगता है। जामुन के फल खाने से भी जोड़ दर्द आराम मिलता है, ये भी तो एन्टीइंफ्लेमेटरी होते हैं। जामुन की गुठली को किडनी की सेहत के लिए भी खास माना जाता है। जामुन की गुठली के चूर्ण (4 ग्राम) को एक कप दही के साथ मिलाकर रोज खाने से पथरी में फायदा होता है। लिवर के लिए जामुन का प्रयोग बहुत फायदेमंद होता है। कब्ज और पेट के रोगों के लिए जामुन का फल बहुत फायदेमंद होता है।




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