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हार को जिंदगी का हिस्सा नहीं मानेंगे तो ये हार आपको सिर्फ तनाव और दिक्कत ही देगी। हार को स्वीकार कर लेना हमेशा फायदे का सौदा होता है, क्यों जानिए-
1.हार गए तो क्या
जब आप हार को स्वीकार कर लेते हैं तो आप खुद से यही कहते हैं कि हार गए तो क्या। फिर से काम करेंगे और मेहनत करेंगे और जीतेंगे। बस हार को स्वीकारने के बाद यही सकारात्मकता जिंदगी को आसान बना देती है।
आप सारी चिंताएं छोड़कर और बेहतर करने के लिए खुद को तैयार कर लेते हैं। जब ये वाली सोच मन में बैठ जाती है तो फिर लोग स्ट्रेस नहीं लेते हैं सिर्फ काम करते हैं वो भी रिजल्ट की चिंता किए बिना।
2.सही क्या, गलत क्या
हार को हार नहीं गलत सही निर्णय के तौर पर देखें। आपने निर्णय गलत लिया था और आप हार गए। अब आपको पता है कि गलत क्या है तो अब आप सही रास्ते पर ही आगे बढ़ेंगे, है न। लेकिन ये तब ही होगा जब आप हार को निराशा का दूसरा रूप न बनाएं बल्कि इसे स्वीकारें और इसकी समीक्षा करें।
3.दृढ़ निश्चय के लिए तैयार करती है हार
पिछली बार हार गए थे तो कोई कमी रह गई होगी। लेकिन अब वो कमी नहीं होगी। आप जीतेंगे। यकीन मानिए जब हार को इस तरह से देखेंगे तो आप जीतने के लिए और दृढ़ संकल्प हो जाएंगे।
आप समझ पाएंगे कि अब उतनी मेहनत से काम नहीं चलेगा मैं और जोर लगाऊंगा। लेकिन अगर हार को हार मान लेंगे तो फिर इसी में अटके रहा जाएंगे। आगे बढ़ने के बारे में सोचेंगे भी नहीं।
4.फीलिंग को पहचाने
हार को हार नहीं मानना है तो सबसे पहले अपनी भावनाओं को समझें। मतलब अगर गुस्सा आ रहा है तो क्यों आ रहा है? रोना आ रहा है तो क्यों आ रहा है? अगर ये सारी फीलिंग बेवजह की बात से आ रही है तो आप खुद ही इन निगेटिव फीलिंग को खुद से दूर कर लेंगे।
जैसे आपका गुस्सा खुद से ज्यादा अपेक्षा करने की वजह से आ रहा था तो या तो आप अपेक्षाएं पूरी करने के लिए ज्यादा मेहनत करेंगे या अपनी क्षमता के हिसाब से अपेक्षाएं तय करेंगे।
5.पहले की सफलताएं देखिए
जब आप हार जाते हैं तो अक्सर मन में ये आता है कि अब आप जीत ही नहीं पाएंगे। लेकिन यहीं पर आपको अपनी पिछली सफलताओं से सीख लेनी है।
याद कीजिए जब आप सबको पीछे छोड़कर बेस्ट स्टूडेंट बने थे। या फिर कैंपस सेलेक्शन में सबसे पहले आपको नौकरी मिली थी। ये सारे किस्से आपको फिर से जोश से भर जाने में मदद करेंगे।
6.आपकी जिम्मेदारी को माने
हार हमेशा किसी न किसी गलती की वजह से ही होती है। लेकिन इस वक्त अपनी जिम्मेदारी को मानना भी आपका दिल हल्का कर देगा।
आप जब अपनी जिम्मेदारी मान लेंगे तो आगे क्या करना है इसको लेकर और बेहतर तरीके से सोच पाएंगे। जैसे आपको कोई टेस्ट देना था। इसकी तैयारी के लिए आपने मेहनत भी की लेकिन किसी एक्सपर्ट से सीखने की बजाए आपने ऑनलाइन पढ़ाई का ही सहारा लिया।
अब जब सेलेक्शन नहीं हुआ है तो आपको गलती पता है। इसकी जिम्मेदारी लीजिए और सही तरीके से पढ़ाई शुरू कीजिए।
7.सिर्फ आप अकेले नहीं है
याद रखिए बहुत से बड़े नाम हैं जो बड़े बनने से पहले हारे थे। खूब हारे थे और इतना हारे थे कि कभी आगे बढ़ने के बारे में सोच ही नहीं सकते थे। लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया।
जब सफलता को किसी से सीख सकते हैं तो हार को भी उनसे सीखिए। उनसे सीखिए कि हार को कैसे स्वीकार किया जाता है और आगे बढ़ा जाता है। दरअसल सफल लोग हमेशा से सफल नहीं थे बल्कि वो हार-हार कर जीत का रास्ता समझ पाए थे।
8. निगेटिव हो कैसे हो पॉजिटिव
हार से मिलने वाले निगेटिव विचार पॉजिटिव हो सकते हैं। लेकिन तब ही जब आप इन्हें इस तरह से देखें। आम तौर पर लोग शॉपिंग या मनपसन्द खाने में पॉजिटिविटी तलाशते हैं लेकिन ये आपको पक्का वाला सुकून नहीं देता है। इसके लिए तो आपको निराशा छोड़कर असल वाली पॉजिटिविटी यानी प्लान ऑफ़ एक्शन पर समय देना होगा।
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