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दीवाली पर जलाए गए पटाखों का धुआं और फसल काटाई के बाद बची हुई पराली को जलाने से होने वाला प्रदूषण हवा में ज़हर घोल देता है।
जनता से रिश्ता वेबडेस्क | दीवाली पर जलाए गए पटाखों का धुआं और फसल काटाई के बाद बची हुई पराली को जलाने से होने वाला प्रदूषण हवा में ज़हर घोल देता है। यही वजह है कि नवंबर और दिसंबर के महीने में दिल्ली-एनसीआर सहित देश के कई बड़े शहरों में प्रदूषण का स्तर इतना खराब होता है कि खुली हवा में सांस लेना भी दूभर हो जाता है। खासकर 'अस्थमा' के मरीज या सांस से जुड़ी किसी भी समस्या से जूझ रहे लोगों के लिए ये समय मुश्किलों भरा होता है। ऐसे में लंग्स की कैपेसिटी को बढ़ाकर और कुछ घरेलू उपायों को अपनाकर आप आसानी से अपना बचाव कर सकते हैं। स्वामी रामदेव से ऐसे टिप्स जिन्हें फॉलो करने से अस्थमा के मरीज दीवाली-पराली के धुएं से अपने आप को बचा सकते हैं।
अस्थमा मरीज प्रदूषण से बचने के लिए फॉलो करें ये आसान टिप्स
स्वामी रामदेव से अनुसार अस्थमा के मरीजों को सबसे पहले ठंड से अपना बचाव करना चाहिए। इसके लिए गर्म कपड़े पहनकर रखना और नियमित रूप से योगाभ्यास करना बेहद जरूरी है। साथ ही अपने खानपान और दिनचर्या का खास ख्याल रखने से भी सेहत अच्छी बनी रहेगी। इसके अलावा लंग्स की कैपेसिटी को मजबूत बनाने से फेफड़ों पर प्रदूषण का असर कम होगा और फेफड़ों में ऑक्सीजन की सप्लाई भी अच्छे से होगी।
अस्थमा के मरीज इन बातों का रखें विशेष ध्यान
दीवाली पर अस्थमा के मरीजों की परेशानी अक्सर घर से ही शुरू हो जाती है। घर में चल रही साफ-सफाई या फिर रंग-रोगन की वजह से अगर उन्हें दिक्कत हो रही है तो उन्हें वहां से दूर रखें। घर में भी मास्क का इस्तेमाल करें।
बिना मास्क के घर से बाहर निकला घातक साबित हो सकता है। इसलिए त्योहार पर घर से बाहर निकलते समय मास्क का प्रयोग जरूर करें। साथ ही अपनी दवाईयां और इनहेलर को पास रखें।
रोज़ाना गर्म पानी से भांप लें। ऐसा करने से आपके फेफड़े खुलेंगे और सांस लेने में आसानी होगी। अगर भांप नहीं ले पा रहे हैं तो गर्म पानी की बोतल से सीने और पीठ की सिकाई करें।
कोशिश करें कि जितना हो सके घर के अंदर ही रहें और दीवाली पर पटाखे न जलाएं। पटाखों के जलने से कार्बन डाईऑक्साइड, कार्बन मोनोऑक्साइड और सल्फर ऑक्साइड जैसी गैसें निकलती हैं जो अस्थमा मरीजों के लिए जानलेवा साबित हो सकती हैं।
Ritisha Jaiswal
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