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कोरोना के बाद दुनिया पर मंडराता मंकीपॉक्स का खतरा, पढ़ें क्या है ये

Shiddhant Shriwas
21 May 2022 10:49 AM GMT
कोरोना के बाद दुनिया पर मंडराता मंकीपॉक्स का खतरा, पढ़ें क्या है ये
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जनता से रिश्ता वेबडेस्क। कोरोना से उबरने की जद्दोजहद में लगी दुनिया के सामने मंकी पॉक्स एक चुनौती के रूप में उभरा है. यूरोपीय और अमेरिकी स्वास्थ्य अधिकारियों ने हाल के दिनों में मंकीपॉक्स के कई मामलों की पहचान की है.

मंकीपॉक्स के केस युवा पुरुषों में अधिक देखे जा रहे हैं. अफ्रीका के बाहर यह बीमारी पहली बार इतनी बड़ी संख्या में रिपोर्ट की जा रही है. भारत सहित दुनिया भर के स्वास्थ्य अधिकारी इसके मामलों पर नजर रख रहे हैं और इस चुनौती से निपटने की तैयारी भी की जा रही है.
क्या है मंकीपॉक्स?
मंकीपॉक्स एक वायरस है जो कि आम तौर पर जंगली जानवरों में पाया जाता है. लेकिन इसके कुछ केस मध्य और पश्चिमी अफ्रीका के लोगों में भी देखे गए हैं. पहली बार इस बीमारी की पहचान 1958 में हुई थी. उस वक्त रिसर्च करने वाले बंदरों में चेचक जैसी बीमारी हुई थी इसीलिए इसे मंकीपॉक्स कहा जाता है. पहली बार इंसानों में इसका संक्रमण 1970 में कांगों में एक 9 साल के लड़के को हुआ था. मंकीपॉक्स किसी संक्रमित जानवर के काटने या उसके खून या फिर उसके फर को छूने से हो सकता है. ऐसा माना जाता है कि यह चूहों और गिलहरियों द्वारा फैलता है.
मंकीपॉक्स के लक्षण
मंकीपॉक्स चेचक वायरस परिवार से संबंधित है. अधिकतर मरीज बुखार, शरीर में दर्द, ठंड लगना और थकान जैसे लक्षण का अनुभव करते हैं. अधिक गंभीर बीमारियों वाले लोगों के चेहरे और हाथों पर दाने और घाव हो सकते हैं जो कि शरीर के अन्य भागों में भी फैल सकते हैं. यह आमतौर पर 5 से 20 दिनों के बीच ठीक हो जाता है. अधिकतर लोगों को इसके लिए हॉस्पिटल में भर्ती होने की जरूरत नहीं होती है.
मंकीपॉक्स 10 में से एक व्यक्ति के लिए घातक हो सकता है और बच्चों में इसे गंभीर माना जाता है. चेचक के टीकों का मंकीपॉक्स पर भी प्रभाव रहता है. मंकीपॉक्स को लेकर अब एंटीवायरल दवाएं भी विकसित की जा रही हैं.
आपको बता दें कि मंकी पॉक्स को लेकर CDC की रिपोर्ट सामने आयी है जिसमें कहा गया है कि चेचक की वैक्सीन भी मंकी पॉक्स (Monkey Pox vaccine) में कारगर है. ऐसे में इसे इस्तेमाल किया जा सकता है. अमेरिका के फूड एंड ड्रग एसोसिएशन की तरफ से साल 2019 में Jynneos वैक्सीन को मंजूरी मिली थी. लेकिन इस वैक्सीन को 18 साल से ज्यादा उम्र के लोगों पर इस्तेमाल नहीं किया जा सकता.
कितने लोग मंकीपॉक्स से प्रभावित होते हैं?
वर्ल्ड हेल्थ आर्गेनाइजेशन की एक रिपोर्ट बताती है कि करीब एक दर्जन अफ्रीकी देश हर साल मंकीपॉक्स से प्रभावित होते हैं. इसमें से सबसे अधिक केस कांगो से रिपोर्ट होते हैं. कांगो में सालाना 6000 केस रिपोर्ट होते हैं. इसके साथ ही नाइजीरिया में सालाना 3000 केस रिपोर्ट होते हैं. समस्या यह है कि यह इस बार ज्यादा देशों में फैल रहा है.
मंकीपॉक्स के अभी आ रहे केस अलग तरह के हैं?
रिपोर्ट्स बताती हैं कि ऐसा पहली बार हो रहा है जब मंकीपॉक्स उन लोगों में फैल रहा है जो अफ्रीका की यात्रा पर नहीं गए थे. यूरोप में ब्रिटेन, इटली, पुर्तगाल, स्पेन, स्वीडन में मंकीपॉक्स के केस आए हैं. आश्चर्य है कि अधिकतर केस में वे पुरुष मंकीपॉक्स से पीड़ित हुए हैं जो समलैंगिक हैं.
भारत को रहना होगा सावधान
हमारे स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं कि हमें मंकीपॉक्स के बारे में अभी बहुत जानकारी नहीं है ऐसे में इसके बारे में अभी हम जानकारी इकट्ठा कर रहे हैं. चूंकि मंकीपॉक्स कई देशों में पहुंच चुकी है ऐसे में हमें सतर्क रहने की जरूरत है.
क्या भारत में हो सकता है खतरा
भारत में अभी इस वायरस का कोई केस नहीं है. देश में एयरपोर्ट्स पर बुखार के मरीजों की स्क्रीनिंग भी की जा रही है. ऐसे में अगर इस वायरस के लक्षण वाला कोई मरीज आता है, तो उसकी पहचान हो जाएगी. इसलिए भारत में खतरा नहीं है. बस जरूरी है कि जिन देशों में मंकी पॉक्स के केस रिपोर्ट हुए हैं, वहां से आने वाले लोगों की खास निगरानी कर सभी जांच की जाए. ऐसा करने से संभावित मरीज की पहचान करके समय पर आइसोलेट किया जा सकेगा और इस वायरस को फैलने से रोका जा सकेगा.
मंकी पॉक्स के लक्षण
मंकी पॉक्स के लक्षणों में बुखार, सिरदर्द, थकान शामिल है. इस वायरस से संक्रमित मरीज के चेहरे, हाथों, पांवों और गर्दन के आसपास दाने निकलने लगते हैं.ये दाने अन्य अंगों तक भी फैल सकते हैं और बाद में चिकन पॉक्स की तरह हो जाते हैं.
बचाव ही है इलाज
मंकी पॉक्स का कोई निर्धारित इलाज नहीं है लेकिन अगर शुरुआती लक्षण दिखने पर ही मरीज का इलाज हो जाए और उसे स्मॉल पॉक्स की वैक्सीन लगा दी जाए, तो इस बीमारी के खतरे को कम किया जा सकता है. लेकिन इसके लिए जरूरी है कि लोग मंकी पॉक्स के लक्षणों को नजरअंदाज न करें. क्योंकि अगर कोई व्यक्ति पहले से ही किसी अन्य बीमारी या वायरस से जूझ रहा है
तो पहले से मौजूद वायरस के संपर्क में आने से मंकी पॉक्स का वायरस खुद के डीएनए में बदलाव कर, तेजी से फैल सकता है. उस स्थिति में एक संक्रमित मरीज से ये वायरस दूसरे इंसान में फैल सकता है. इसलिए एक्सपर्ट्स की सलाह है कि अगर किसी को बुखार


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