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रिसर्च केअनुसार दो सेनोलाइटिक दवाओं को यदि युवावस्था में इंजेक्शन के रूप में दिया जाए, तो बुढ़ापे में डिस्क की समस्या में आती है कमी
जनता से रिश्ता वेबडेस्क| जैसे-जैसे हमारी उम्र बढ़ती है मेरुदंड यानी रीढ़ की हड्डी (Spinal cord) का क्षरण (किसी पदार्थ के कणों का धीरे-धीरे गिरना) भी होने लगता है. डिस्क का जो काम है वो वर्टब्री (कशेरुकी) के बीच कुशन और आधार (सपोर्ट) देने का है. इसलिए अगर इसमें क्षरण हो तो पीठ के निचले हिस्से में काफी दर्द होता है. लेकिन वैज्ञानिकों का दावा है कि इस समस्या का एक कॉकटेल इलाज ढूंढ लिया गया है. जो उम्र के साथ डिस्क का क्षरण कम कर सकता है. दैनिक जागरण में छपी रिपोर्ट के अनुसार चूहों पर की गई ये स्टडी नेचर कम्युनिकेशंस जर्नल में प्रकाशित हुई है.अमेरिका की थॉमस जेफरसन यूनिवर्सिटी (Thomas Jefferson University) के रिसर्चर्स ने पाया है कि दो सेनोलाइटिक (Senolytic) दवा- डैस्टेनिब और क्वेरसेटिन (Dasatinib and Quercetin) को यदि युवावस्था में इंजेक्शन के रूप में दिया जाए, तो बुढ़ापे में डिस्क की इस समस्या में कमी आ सकती ह
ऑर्थोपेडिक सर्जरी के स्पाइनल रिसर्च के प्रोफेसर मकरंद वी. रिसबड (Makarand V. Risbud) का कहना है कि यदि एक बार इंटरवर्टिब्रल (दो कशेरुकियों के बीच) डिस्क का क्षरण हो गया हो तो उसके दोबारा बनने की बहुत ही कम संभावना होती है लेकिन उनका दावा है कि उनकी रिसर्च में पाया गया है कि उम्र के साथ डिस्क के क्षरण (किसी पदार्थ के कणों का धीरे-धीरे गिरना) को कम करना संभव है.
मौजूदा इलाज से बेहतर है विकल्प
रिसर्च के अनुसार, अभी तक सर्जरी या स्टेरॉयड के इंजेक्शन से कमर के निचले हिस्से के दर्द का इलाज किया जाता है, लेकिन अधिकांश रोगी सर्जरी कराने की स्थिति में नहीं होते हैं. जबकि लगातार दर्द निवारक दवाएं लेने से उसकी आदत पड़ जाने का रिस्क होता है. इसलिए अधिकांश रिसर्चर्स ने सेनोलाइटिक्स नामक मॉलिक्यूल का सहारा लिया है.
ये दवाएं उन कोशिकाओं को निशाना बनाती है, जो उम्र के साथ क्षरण की प्रक्रिया, जिसे सनेसन्स (जीर्णता) कहते हैं- में शामिल होती हैं. बढ़ती उम्र के साथ शरीर का हर टिशू सनेसन्स सेल छोड़ता है और उससे विनाशक एंजाइम तथा जलन या सूजन पैदा करने वाले प्रोटीन का स्राव होता है. यह अपने नजदीक के हेल्दी सेल्स को निशाना बनाता है.
कैसे काम करता है यह कॉकटेल?
रिसर्च में दावा किया गया है कि सेनोलाइटिक ड्रग्स उन डिस्ट्रॉयर सेल्स को हटा देते हैं, जिससे उनको नए सेल्स के निर्माण के लिए जगह मिल जाती है. माना जा रहा है कि इन सेल्स को हटाने से टिशूज के कामकाज में सुधार आ सकता है. इसी बात को ध्यान में रखकर वैज्ञानिकों ने यह रिसर्च की.
वैज्ञानिकों ने अधेड़ और बुजुर्ग चूहों को हर सप्ताह सेनोलाइटिक ड्रग्स- डैस्टेनिब और क्वेरसेटिन का कॉकटेल दिया. देखा गया कि जिन युवा और अधेड़ उम्र के चूहों को सेनोलाइटिक ड्रग्स का कॉकटेल दिया गया, उनमें डिस्क का क्षरण और सनेसन्ट सेल की मात्रा उम्र बढ़ने पर कम थी.
युवावस्था में प्रभावी है दवा
रिपोर्ट के मुताबिक प्रोफेसर रिसबड का कहना है कि यह थेरेपी उन चूहों में ज्यादा प्रभावी पाई गई, जिनमें यह सेल बनना शुरू ही हुआ था. यह निष्कर्ष दर्शाता है कि यदि युवा अवस्था में ही सेनोलाइटिक ड्रग्स दिया जाए, तो यह डिस्क के क्षरण को प्रभावी तौर पर थाम सकता है लेकिन इसकी समस्या यह है कि चूहों को ड्रग्स का यह कॉकटेल हर सप्ताह दिया गया और यह क्रम उसके बुजुर्ग होने तक चला. यह समय सेनोलाइटिक ड्रग के इस्तेमाल की सामान्य अवधि से बहुत ज्यादा है. हांलाकि, शोधकर्ताओं को लंबे समय तक इलाज का कोई हानिकारक प्रभाव देखने को नहीं मिला.