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ऑफ़िस टेंशन को दूर करने का ए टू ज़ेड फ़ॉर्मूला

Admin2
14 May 2023 2:57 PM GMT
ऑफ़िस टेंशन को दूर करने का ए टू ज़ेड फ़ॉर्मूला
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आजकल की मल्टीनैशनल वर्क कल्चर और बढ़ते कॉम्पिटिशन ने हमें ज़्यादा सैलरी तो दी है, लेकिन उतना ही ज़्यादा तनाव भी हमारी झोली में डाल दिया है. हर दिन के इस तनाव से निपटने के लिए हम एक्स्पर्ट्स से बात कर आपको कुछ झटपट और आसानी से फ़ॉलो हो सकनेवाले टिप्स दे रहे हैं.
पढ़ाई-लिखाई में अव्वल और खेल-कूद में भी सबसे आगे. गिटार की तारों पर धुन भी छेड़ देती थी और सफ़ेद कैनवास को रंगों से रंग भी देती थी. कुछ इस तरह की पर्सनैलिटी थी रिया की, आज से चार महीने पहले तक. चार महीने पहले ही रिया ने अपनी पहली जॉब जॉइन की थी. पहली जॉब की पहली सैलरी जब हाथ आई, तो वह बहुत ख़ुश हुई. लेकिन, उसकी यह ख़ुशी दिन-ब-दिन कम होने लगी थी. ऑफ़िस में देर तक काम करने और डेडलाइन के प्रेशर ने उसके चेहरे की मुस्कुराहट छीन ली थी. वह अब चिड़चिड़ी होने लगी थी. उसके पास न गिटार बजाने का वक़्त था और न ही अपनी फ़िटनेस पर ध्यान देने का. धीरे-धीरे वह डिप्रेशन की गिरफ़्त में जा रही थी. यह हाल रिया का ही नहीं है, बल्कि कॉर्पोरेट सेक्टर में काम कर रहे कमोबेश हर व्यक्ति का है. वैसे शोध भी इसी बात की गवाही देते हैं. साल 2017 में, डब्ल्यूएचओ ने अपनी एक स्टडी में बताया है कि भारत में 5 करोड़ से ज़्यादा लोग डिप्रेशन के शिकार हैं. वहीं एएसएसओसीएचएएम (द असोसिएटिड चैम्बर्स ऑफ़ कॉमर्स ऐंड इंडस्ट्री ऑफ़ इंडिया) की साल 2018 की एक स्टडी के मुताबिक़, भारत में कॉर्पोरेट सेक्टर के लगभग 46% कर्मचारी डिप्रेशन की गिरफ़्त में हैं. आप इन छोटी-छोटी बातों का ख़्याल रख तनाव की छुट्टी कर सकती हैं.
ख़ुद के लिए वक़्त निकालें
ख़ुद का ध्यान रखना बहुत ज़रूरी है. अगर आप अपना ध्यान नहीं रखेंगे, तो दूसरों का ध्यान कैसे रख पाएंगे. सबसे पहले कोशिश करें कि आपको ऑफ़िस में देर तक न रुकना पड़े. कभी-कभार ऑफ़िस के बाद पार्लर या ग्रूमिंग के लिए जाएं. इससे आपको ख़ुद को वक़्त दे पाने का मलाल भी नहीं रहेगा. ऑफ़िस से आने के बाद अपने पसंदीदा काम करें, मसलन क़िताबें पढ़ना चाहते हैं, तो मोबाइल को किनारे रखकर किताब खोल लें.
सक्रिय रहें
अपने दिन की शुरुआत योग से करें. भले ही आप कितनी ही व्यस्त क्यों न हो. सुबह 10 मिनट योग या वॉक के लिए निकालें और फिर देखें किस तरह आपका दिन सकारात्मकता से भर जाता है. “योग से आपके शरीर के साथ-साथ आपका दिमाग़ भी तनावमुक्त हो जाता है. सुबह उठने के बाद, शुरुआती 5-10 मिनट अपने आपको दें. पीठ सीधी करके बैठें और अपने मन की आंखों से अपने चेहरे को देखने की कोशिश करें. इस दौरान, चेहरे पर एक प्यारी-सी मुस्कुराहट बनाए रखें. यह एक मुस्कुराहट आपको राहत देगी और आपका दिन अच्छा बीतेगा. ऑफ़िस में काम करने के दौरान, अपनी सीट पर बैठे-बैठे आप गर्दन और पीठ से जुड़ी कुछ हल्की एक्सरसाइज़ कर सकते हैं. इससे गर्दन और पीठ की मांसपेशियों का तनाव कम हो जाता है. शाम को भ्रामरी प्राणायाम कर सकते हैं. ऑफ़िस के तनाव को कम करने में योग एक अहम् भूमिका अदा कर सकता है,” कहते हैं कैवल्यधाम योग केंद्र के योग ट्रेनर अमित सरपोतदार. एक शोध के मुताबिक़, कॉर्पोरेट सेक्टर के लगभग 30% कर्मचारी शायद ही कभी एक्सरसाइज़ करते हैं. जिम, योग, साइकिलिंग, फ़ंक्शनल ट्रेनिंग जैसी फ़िज़िकल ऐक्टिविटी करते रहें. ये ऐक्टिविटीज़ न केवल आपके शरीर को चुस्त-दुरुस्त करता है, बल्कि सोचने-समझने की आपकी क्षमता को बेहतर करती हैं.
डांस को साथी बनाएं
सिमबायोसिस स्कूल फ़ॉर लिबरल आर्ट्स में साइकोलॉजी के विज़िटिंग फ़ैकल्टी और सुनेर्जिस इंस्टिट्यूट ऑफ़ ओपन स्कूलिंग में डांस मूवमेंट थेरैपिस्ट तन्मय हल्दर कहते हैं,“शरीर, दिमाग़ और आत्मा एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं. आप किसी एक पर काम करते हैं और फ़ायदा दूसरे को भी पहुंचता है. ऑफ़िस का तनाव आपके दिमाग़ पर असर डालता है. इसलिए दिमाग़ी रूप से तनावमुक्त होना ज़रूरी है. डांस थेरैपी आपकी बॉडी को तो आराम पहुंचाती ही है, साथ ही आपके दिमाग़ को भी राहत मिलती है.” भले ही आपको डांस न आता हो, लेकिन शाम को ऑफ़िस से लौटकर 10 मिनट किसी न किसी म्यूज़िक पर अपने क़दम ज़रूर थिरकाएं, इससे आपके रक्त में फ़ील गुड हार्मोन ऐंडॉर्फ़िन रिलीज़ होता है और आप बेहतर महसूस करते हैं.
शौक़ को मरने न दें
जिस चीज़ को करने से आपको ख़ुशी मिलती है, उसे ज़रूर करें. यह ख़ुशी ही आपके ऑफ़िस तनाव को कम कर सकती है. अपने शौक़ को अपनी रोज़मर्रा की ज़िंदगी में शामिल कर लें. जिस तरह हर सुबह ब्रश करना नहीं भूलते हैं, ठीक उसी तरह अपने शौक़ को भी रोज़ कुछ-न-कुछ वक़्त ज़रूर दिया करें. पेंटिंग, म्यूज़िक, खेलकूद जिसमें भी दिलचस्पी हो, रोज़ उसके लिए वक़्त निकालें. म्यूज़िक का शौक़ है, तो किसी एक इंस्ट्रूमेंट को सीखने के लिए क्लास जॉइन कर लें. कुछ नहीं तो बच्चों की कलरिंग बुक ख़रीद लें और जब ऑफ़िस में तनाव बहुत ज़्यादा हो तो घर आकर उस बुक में रंग भरें. यह करने में भी आसान है और यक़ीन करें इससे आप बहुत हल्का और ख़ुश महसूस करेंगे.
तनाव बांटें
ऑफ़िस की कोई ऐसी बात हो, जो आपको परेशान कर रही हो, तो उसे परिवार के साथ शेयर करें. बात करने से बात बनती है, नहीं करेंगे तो बिगड़ती चली जाएगी. ऑफ़िस की तनाव देनेवाली बातों को परिवार या क़रीबी दोस्तों के साथ बांटें, ताकि आपका मन हल्का हो जाए और आपको अकेलापन महसूस न हो.
पावर नैप लें
हाल ही में एक खुलासा हुआ कि 56% कर्मचारी ऑफ़िस के तनाव भरे माहौल की वजह से रोज़ 6 घंटे से भी कम की नींद पूरी कर पाते हैं. नींद पूरी न होने से आपका दिन ख़राब हो सकता है. इससे आपको ऑफ़िस में नींद आ सकती है और काम भी अच्छे से नहीं हो पाता. आपका एक ख़राब दिन आपके आने वाले दिनों को ख़राब कर सकता है. ऑफ़िस में जब भी नींद लगे, तो 10-15 मिनट का पावर नैप ले लें. इससे ऊर्जा मिलती है और आप तरोताज़ा महसूस करेंगे.
‘ना’ कहना सीखें
कई लोगों की आदत होती है कि वे किसी को ‘ना’ नहीं कह पाते. और इस चक्कर में ख़ुद पर काम का ज़्यादा बोझ ले लेते हैं. शाम को पारिवारिक पार्टी में जाने का मन ना हो तो स्पष्ट शब्दों में ‘ना’ कहें. ‘ना’ कहना सीखें, लेकिन विनम्रता से. चाहे बात निजी ज़िंदगी की हो या ऑफ़िस की, जिस काम को आप नहीं कर सकते, उसे प्यार से मना कर दें. ‘हां’ कहकर एक तो आप काम ढंग से पूरा नहीं कर पाएंगे और दूसरे तनाव के जाल में फंस जाएंगे अलग से. ऑफ़िस से आने के बाद आपने यदि कोई क्लास या ऐक्टिविटी करने का नियम बनाया हो तो उसे किसी भी वजह से मिस न करें.
सुनियोजित रहें
कल की योजना बनाकर चलें, ताकि आपको अचानक से अगले दिन काम देखकर तनाव न हो. सभी के पास हर दिन 24 घंटों का ही वक़्त होता है. यह हम पर निर्भर करता है कि हम अपने इन 24 घंटों का इस्तेमाल कितने सही तरीक़े से करते हैं. हड़बड़ाहट में दिमाग़ पर दबाव बनता है, इसलिए ठंडे दिमाग़ से काम निपटाने के बारे में सोचें.
ऑफ़िस के तनाव को अपनी ज़िंदगी का हिस्सा न बनने दें. सफ़र के दौरान फ़नी, बेबी वीडियोज़ देखें. दिन में कम-से-कम 20 बार स्माइल करने का टार्गेट रखें. यदि आप इस स्थिति से ख़ुद बाहर नहीं आ पा रहे हैं तो एक्स्पर्ट्स की मदद लें.
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