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लाइफ स्टाइल
5 योगासन, जो गले के दर्द और इंफेक्शन से राहत दे सकते हैं
Kajal Dubey
15 May 2023 12:37 PM GMT
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शरीर का इम्यून सिस्टम गले में जुकाम या अन्य कारणों से होने वाले संक्रमण के इलाज में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। गले की समस्याओं को दूर करने वाले योगासन असल में संपूर्ण प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करके काम करते हैं।
मुंह और गले में मौजूद गर्म और नम स्थितियां संक्रमण बढ़ने के लिए आदर्श स्थिति है। ये संक्रमण ज्यादातर रोगाणुओं के कारण होते हैं। ये रोगाणु मुंह के भीतर सांस की हवा या भोजन के माध्यम से पहुंचते हैं।
मजबूत इम्यून सिस्टम के सहारे हम वायरस और बैक्टीरिया से अधिक प्रभावी ढंग से लड़ सकते हैं। ये किसी भी संक्रमण को गले में बेस बनाने से रोकती है। गले में खराश दूर करने वाले योगासन असल में गले के अंदरूनी हिस्से को संक्रमण से साफ रखने में मदद करते हैं।
सांस लेने के व्यायाम के दौरान गले में दबाव के कारण गर्मी बढ़ती है। इससे गले के भीतर का हिस्सा अंदर तक साफ होता है। इनके अभ्यास से हमारे वोकल काॅर्ड भी स्वस्थ रहते हैं और उनमें ब्लड की सप्लाई भी बढ़ती है।
गले के संक्रमण के लिए किए जाने वाले योग में नाक के मार्ग, उसमें मौजूद म्युकस के साथ पाचन तंत्र की सफाई की तकनीकी भी शामिल की जाती है।1. सेतु बंधासन (Setu Bandhasana / Bridge Pose)सेतु बंधासन में हमारा हृदय सिर से ऊपर होता है। इससे रक्त का प्रवाह हमारे सिर की तरफ बढ़ जाता है। ये आसन गले की मांसपेशियों को गजब की मसाज देता है। गले की मांसपेशियों पर जोर पड़ने से ये आसन थायरॉयड ग्रंथि में उत्तेजना बढ़ाता है और मेटाबॉलिज्म को नियमित करता है।
अस्थमा के मरीजों को भी इस आसन को रोज करने की सलाह दी जाती है। साइनोसाइटिस जैसी बीमारियों के मरीजों को भी ये आसन रोज करना चाहिए। सर्दी-जुकाम की समस्या में भी ये आसन बेहतरीन नतीजे देता है।
सेतु बंधासन करने की विधि :
योग मैट पर पीठ के बल लेट जाएं।
सांसो की गति सामान्य रखें।
इसके बाद हाथों को बगल में रख लें।
अब धीरे-धीरे पैरों को घुटनों से मोड़कर हिप्स के पास ले आएं।
हिप्स को जितना हो सके फर्श से ऊपर की तरफ उठाएं।
हाथ जमीन पर ही रहेंगे।
कुछ देर के लिए सांस को रोककर रखें।
इसके बाद सांस छोड़ते हुए वापस जमीन पर आएं।
पैरों को सीधा करें और विश्राम करें।
10-15 सेकेंड तक आराम करने के बाद फिर से शुरू करें।
2. हस्त पादासन (Hasta Padasana/ Hand To Foot Pose)
हस्त पादासन मध्यम कठिनाई वाला विन्यास योग की शैली का आसन है। इसे करने की अवधि 15 से 30 सेकेंड के बीच होनी चाहिए। इसमें किसी दोहराव की आवश्यकता नहीं होती है।
हस्त पादासन के अभ्यास से पूरी पीठ पर खिंचाव आता है। ये सिर से लेकर पैर तक पूरे हिस्से पर प्रभाव डालता है। इस आसन का विस्तार शरीर में पीठ के निचले, मध्य और ऊपरी हिस्से तक है, गर्दन से आसन का प्रभाव सिर तक जाता है, फिर माथे तक, और भौंहों के बीच में समाप्त होता है।
गले में पड़ने वाला दबाव ही इस आसन को इंफेक्शन दूर करने योग्य बना देता है। गले पर दबाव पड़ने से भीतरी मांसपेशियों को मसाज मिलती है और उनकी काम करने की क्षमता में बढ़ोतरी होती है। ये सर्दी-जुकाम और साइनोसाइटिस को दूर करने वाला प्रमुख योगासन भी है।
हस्त पादासन करने की विधि :
योग मैट पर सीधे खड़े हो जाएं और दोनों हाथ हिप्स पर रख लें।
सांस को भीतर खींचते हुए घुटनों को मुलायम बनाएं।
कमर को मोड़ते हुए आगे की तरफ झुकें।
शरीर को संतुलित करने की कोशिश करें।
हिप्स और टेलबोन को हल्का सा पीछे की ओर ले जाएं।
धीरे-धीरे हिप्स को ऊपर की ओर उठाएं और दबाव ऊपरी जांघों पर आने लगेगा।
अपने हाथों को पैर के पंजे के बगल में जमीन पर रखें।
आपके पैर एक-दूसरे के समानांतर रहेंगे।
आपका सीना पैर के ऊपर छूता रहेगा।
सीने की हड्डियों और प्यूबिस के बीच चौड़ा स्पेस रहेगा।
जांघों को भीतर की तरफ दबाएं और शरीर को एड़ी के बल स्थिर बनाए रखें।
सिर को नीचे की तरफ झुकाएं और टांगों के बीच से झांककर देखते रहें।
इसी स्थिति में 15-30 सेकेंड तक स्थिर बने रहें।
जब आप इस स्थिति को छोड़ना चाहें तो पेट और नीचे के अंगों को सिकोड़ें।
सांस को भीतर की ओर खींचें और हाथों को हिप्स पर रखें।
धीरे-धीरे ऊपर की तरफ उठें और सामान्य होकर खड़े हो जाएं।
मत्सयासन में सिर पीछे की तरफ झुकता है और गले पर दबाव बनाता है। ये गले पर दबाव बनाकर थायरॉयड ग्रंथियों को उत्तेजित करता है।
इस आसन के अभ्यास के दौरान गले से गर्म हवा का आवागमन होता है। इसी वजह से ये योगासन गले में इंफेक्शन से जुड़ी हर समस्या को कारगर तरीके से दूर कर पाता है। मत्स्यासन को हर रोज 30 से 60 सेकेंड तक करने की सलाह दी जाती है।
मत्सयासन करने की विधि:
योग मैट पर पीठ के बल लेट जाएं, टांगें जुड़ी रहेंगी।
हाथ आराम से शरीर से जुड़े रहें।
अपनी हथेलियों को हिप्स के नीचे लगाएं, हथेलियां जमीन की तरफ रहेंगी।
अब कोहनियों को एक-दूसरे के करीब लाने की कोशिश करें।
कोहनियों की स्थिति कमर के पास होगी।
अपने पैरों की पालथी मार लें।
जांघें और घुटने फर्श पर सपाट रहेंगे।
सांस खींचते हुए सीने को ऊपर की तरफ उठाएं।
सिर भी ऊपर की तरफ उठाएं।
सिर का ऊपरी हिस्सा जमीन को छूता रहेगा।
शरीर का पूरा वजन कोहनियों पर रहेगा न कि सिर पर।
जैसे-जैसे सीना उठेगा वैसे ही कंधों की मांसपेशियों पर हल्का दबाव पड़ेगा।
इस स्थिति में तभी तक रहें जब तक आप सहज अनुभव करते रहे।
सांसों की गति सामान्य बनाए रहें।
सांस बाहर निकालें और पुरानी स्थिति में वापस लौटें।
सबसे पहले सिर को उठाएं और उसके बाद सीने को जमीन पर वापस लाएं।
टांगों को सीधा करें और विश्राम करें।
4. धनुरासन (Dhanurasana / Bow Pose)धनुरासन, योग विज्ञान में गले, सीने और पीठ में स्ट्रेचिंग या खिंचाव पैदा करने के लिए बताए गए प्रमुख तीन आसनों में एक है। धनुरासन के अभ्यास से हिप्स, पीठ और गले के बीच में आर्च बनता है।
इस आर्च के कारण ही गले की मांसपेशियों को बहुत डीप मसाज मिलती है। ये सर्दी-जुकाम जैसी समस्याओं को दूर करने के लिए मसल्स को मजबूत और एक्टिव बनाता है।
धनुरासन को धनुष आसन या धनुषासन (Bow Pose) भी कहा जाता है। इस आसन को करने के दौरान शरीर धनुष के जैसा आकार बनाता है। धनुरासन को हठ योग के 12 मूल आसनों में से एक माना जाता है।
धनुरासन योग करने की विधि :
योग मैट पर पेट के बल लेट जाएं।
पैरों को सटाकर हाथों को पैरों के पास रखें।
धीरे-धीरे घुटनों को मोड़ें और हाथों से टखने को पकड़ें।
सांस भीतर की ओर खींचें और सीने को उठाएं।
जांघों को जमीन से ऊपर उठाएं। हाथों से पैरों को खीचें।
सामने की तरफ देखें और चेहरे पर मुस्कान बनाए रखें।
अपना ध्यान सांसों की गति पर केंद्रित करने की कोशिश करें।
शरीर धनुष की तरह खिंचा हुआ रहे। जबकि हाथ धनुष की डोरी का काम करेंगे।
तभी तक करें जब तक आप आसानी से आसन कर सकें।
सांसें लंबी और गहरी लेते रहें।
करीब 30 सेकेंड के बाद, सांस छोड़ते हुए सामान्य हो जाएं।
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Kajal Dubey
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