- Home
- /
- लाइफ स्टाइल
- /
- हाई रिस्क प्रेग्नेंसी...
लाइफ स्टाइल
हाई रिस्क प्रेग्नेंसी के दौरान ये 5 बातें हर महिला को पता होनी चाहिए
Manish Sahu
23 July 2023 4:00 PM GMT
x
लाइफस्टाइल: प्रेग्नेंट होना हर महिला की जिंदगी का सुखद एहसास होता है। इस एहसास को और अधिक खूबसूरत बनाने के लिए महिलाएं हर मुमकिन कोशिश करती हैं। कंसीव करने में कई बार कुछ हेल्थ कंडीशन्स की वजह से महिलाओं को मुश्किल होती है। वहीं, कई बार महिलाएं कंसीव तो कर पाती हैं, लेकिन कई कारणों के चलते इसे हाई-रिस्क प्रेग्नेंसी कहा जाता है। इसके पीछे महिलाओं के शरीर मे आयरन की कमी, उम्र और भी कई कारण जिम्मेदार हो सकते हैं। हाई-रिस्क प्रेग्नेंसी में महिलाओं को अपना और अधिक ध्यान रखने की सलाह दी जाती है।
एक्सपर्ट की मानें तो हाई-रिस्क प्रेग्नेंसी में गर्भवती महिला को खास ख्याल रखने की जरूरत होती है। नियमित जांच, अल्ट्रासाउंड, ब्लड टेस्ट के अलावा सही खान-पान, पूरी नींद और स्ट्रेस से दूर रहने पर भी ध्यान देना चाहिए। यह जानकारी डॉ शेफाली त्यागी, सलाहकार प्रसूति एवं स्त्री रोग, मदरहुड हॉस्पिटल, सरजापुर, बेंगलुरु दे रही हैं।
हाई- रिस्क प्रेग्नेंसी को समझें
सबसे पहले आपको यह समझने की जरूरत है कि आपकी प्रेग्नंसी को डॉक्टर हाई-रिस्क प्रेग्नेंसी क्यों बता रहे हैं? इसके पीछे आपकी हेल्थ कंडीशन्स जैसे शरीर में न्यूट्रिशन्स की कमी, ब्लड शुगर, हाई बीपी या ऑटोइम्यून डिजीज हो सकती हैं। वहीं अगर आप ट्विन्स के साथ प्रेग्नेंट हैं, तो यह भी रिस्क की एक वजह हो सकती है। ऐसे में गर्भावस्था के दौरान अधिक देखभाल करनी चाहिए। साथ ही डॉक्टर की बताई हर सलाह पर ध्यान देना चाहिए।
प्रेग्नेंसी में उचित देखभाल
उच्च जोखिम वाली प्रेग्नेंसी में अक्सर ज्यादा नियमित प्रसवपूर्व जांच और विशेष देखभाल की आवश्यकता होती है। डॉक्टर, इस दौरान मां के स्वास्थ्य और अजन्मे बच्चे के विकास दोनों पर कड़ी नजर रखते हैं। किसी भी तरह के जोखिम से बचने के लिए नियमित जांच, अल्ट्रासाउंड, रक्त परीक्षण और डॉक्टर की बताई कोई भी और जांच जरूर करवानी चाहिए।
हाई-रिस्क प्रेग्नेंसी की मुश्किलें
हाई रिस्क प्रेग्नेंसी के दौरान जटिलताओं का मां और गर्भ में पल रहे बच्चे, दोनों पर प्रभाव पड़ने की आशंका रहती है। जन्मजात विकृति, भ्रूण के विकास में बाधा, समय से पहले प्रसव, गर्भकालीन मधुमेह और प्रीक्लेम्पसिया जैसी कई परेशानियों के होने की संभावना बनी रहती है। ऐसे में घबराने की बजाय सही सलाह लें।
लाइफस्टाइल में बदलाव
यूं तो प्रेग्नेंसी में लाइफस्टाइल में कई बदलाव करने की सलाह दी जाती है, लेकिन अगर आप हाई-रिस्क प्रेग्नेंसी में हैं, तो आपको डाइट और लाइफस्टाइल पर अधिक ध्यान देना चाहिए। सही और बैलेंस डाइट, एक्सरसाइज, पूरी नींद, स्ट्रेस से दूर रहना, स्मोकिंग और अल्कोहल से दूरी और डॉक्टर की बताई सभी दवाओं को समय पर लेना, इस चीजों को फॉलो करना चाहिए।
इमोशनल सपोर्ट भी है जरूरी
प्रेग्नेंसी में होने वाले हार्मोनल बदलावों के चलते कई बार महिलाएं ज्यादा इमोशनल हो जाती हैं। वहीं, हाई रिस्क प्रेग्नेंसी के दौरान मन में डर भी बना रहता है। ऐसे में अगर आप किसी भी बात को लेकर चिंता या असहज महसूस कर रही हैं, तो खुलकर बात करें। दिल में बातों को न दबाएं। डॉक्टर से भी किसी तरह के डाउट को क्लियर करने में न झिझकें।
Next Story