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5 समस्याएं, जिनका सामना जुड़वा बच्चे करते हैं

Kajal Dubey
29 April 2023 3:03 PM GMT
5 समस्याएं, जिनका सामना जुड़वा बच्चे करते हैं
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बच्चों के भाई या बहन होना मज़ेदार होता है. आख़िर उनके साथ खेलनेवाला, लड़ने-झगड़ने वाला कोई न कोई होता है. जब यह भाई या बहन ट्विन हो तो मामला मज़ेदार होने के साथ ही थोड़ा-सा कॉम्प्लिकेटेड भी हो जाता है. यहां हम पांच ऐसी समस्याओं के बारे में चर्चा करने जा रहे हैं, जिनका सामना अमूमन जुड़वा बच्चों को करना पड़ता है.
पहली समस्या: पहचान ही सबसे बड़ी समस्या होती है
अगर दोनों जुड़वा बच्चे भाई-भाई या बहन-बहन हों और तो और आइडेंटिकल ट्विन यानी हमशक्ल जुड़वा हों तो यह समस्या भले ही आगे चलकर सुलझ जाए, पर शुरुआती दिनों में तो जुड़वा बच्चे इससे काफ़ी परेशान रहते हैं. अक्सर पैरेंट्स भी इस कन्फ़्यूज़न को बढ़ाने का काम करते हैं, बच्चों की एक जैसी ड्रेसिंग कराकर. वे भले ही अपने बच्चों के बारीक़ भेद से उन्हें पहचान लेते हों, पर बाक़ी लोग तो सीता को गीता और गीता को सीता ही समझने की ग़लती कर जाते हैं. यह आइडेंटिटी क्राइसिस वक़्त के साथ कम होती ज़रूर है, पर पूरी तरह से ख़त्म नहीं हो पाती. कभी-कभी इस तरह की ग़फ़लत हंसने के मौक़े क्रिएट करती है तो ऐसे भी मौक़े कम नहीं होते जब भयंकर गड़बड़ी हो जाती है.
दूसरी समस्या: तुलना, जो स्कूली दिनों से शुरू हो जाती है
ट्विन्स जब स्कूल या कॉलेज में होते हैं, तब उनकी तुलना बेहद स्वाभाविक होती है. फ़र्ज़ कीजिए एक बच्चा पढ़ने में बहुत अच्छा है और दूसरा औसत है तो औसत वाले का छात्र जीवन तुलना के चलते दर्दनाक होना तय है. घर वाले ही नहीं, दोस्त और रिश्तेदार भी पढ़ाई में पीछे रह जानेवाले ट्विन की ज़िंदगी को नर्क बनाने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ते. बार-बार की तुलना से शायद ही किसी बच्चे के ग्रेड इम्प्रूव होते हों. ज़्यादातर बच्चे पढ़ाई में और फिसड्डी हो जाते हैं.
तीसरी समस्या: एक अच्छा और दूसरा बुरा
यह समस्या दूसरी समस्या का ही एक्सटेंशन है. यह इंसानी फ़ितरत है कि वह दो लोगों में से एक को अच्छा और दूसरे को ख़राब घोषित किए बिना रह नहीं सकती. अगर ट्विन हैं तो ज़ाहिर है, कुछ समय बाद लोग एक बच्चे को अच्छा (यहां आदर्श भी पढ़ सकते हैं) घोषित कर देंगे और दूसरे पर बिगड़ैल का ठप्पा लगाने के बाद ही सुकून पाएंगे. आप चाहे जैसे हों, आप आगे वैसे ही बनेंगे, जिसका ठप्पा लोग आप पर जाने-अनजाने लगाते हैं. इस केस में ज़्यादातर बुरा या लापरवाह घोषित बच्चे ज़िद्दी और बाग़ी हो जाते हैं. वहीं अच्छाई का पुतला घोषित किए गए ट्विन स्वभाव से थोड़े घमंडी हो जाते हैं. यानी बच्चों को अच्छा और बुरा घोषित करना बिल्कुल ही बुरा आइडिया है.
चौथी समस्या: जो ट्विन्स को करियर के दोराहे पर परेशान करती है
आमतौर पर ऐसा मान लिया जाता है कि जुड़वा बच्चे दिमाग़ी रूप से, पसंद-नापसंद में भी एक जैसे होते हैं. शुक्र है हमारी फ़िल्मों और टीवी सीरियल्स का, जिसमें एक बहन को चोट लगने पर दूसरी को दर्द होता है. जबकि असल में ऐसा कुछ होता नहीं. हां, तो पैरेंट्स या जान-पहचान के दूसरे लोग यह मानकर चलते हैं कि दोनों बच्चे एक ही फ़ील्ड में जानेवाले हैं. जबकि हक़ीक़त यह है कि ज़्यादातर ट्विन्स कुछ बातों के अलावा एक-दूसरे से पर्याप्त रूप से अलग-अलग होते हैं. जबकि फ़िल्मी दुनिया से प्रभावित लोग दोनों को एक ही क्षेत्र में करियर की संभावनाएं तलाशने की सलाह देते हैं. ऐसे में कई बार ऐसा होता है कि एक बच्चा दूसरे से पीछे रह जाए. और जिसके चलते दोनों के रिश्ते में बिना वजह की खटास आ जाती है. पीछे रह जानेवाला बच्चा अवसाद और कुंठा से भर सकता है.
पांचवीं समस्या: स्कूल-कॉलेज और शादी के बाद रंग बदल लेती है तुलना
हालांकि एक समय के बाद तुलना काफ़ी कम हो जाती है, पर पूरी तरह से शायद ही बंद हो पाती हो. पहले की ‘अच्छा’ या ‘बुरा’ वाली तुलना अपना रूप चेंज कर लेती है. मसलन अब बात होने लगती है कौन ज़्यादा अच्छा दिखता है, कौन ज़्यादा पैसे कमा रहा है या कौन अपनी ज़िंदगी में अच्छे से सेटल हो गया है.
इन सबके बावजूद अच्छी बात यह है कि बड़े होने के बाद ज़्यादातर ट्विन इन बातों को समझते हैं. वे समझदारी के साथ इस तरह की तुलना को हैंडल करते हैं और ख़ुश रहते हैं. उनको ख़ुश देख तुलना करनेवालों की बोलती बंद हो जाती है. यह समझ ‌ट्विन्स जितनी जल्दी विकसित कर लेते हैं, उनके ख़ुश रहने की संभावना उतनी बढ़ जाती है.
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