- Home
- /
- लाइफ स्टाइल
- /
- गर्मी के मौसम में यूं...
x
तापमान बढ़ने के साथ ही हम परेशान होने लगते हैं. जहां गर्मी हमारा जीना मुश्क़िल कर देती है, वहीं हमारे घर के प्लांट्स के लिए भी गर्मी मुसीबत बनकर आती है. हम घरों में रहकर या एसी के टेम्प्रेचर को और नीचे लाकर अपनी सहूलियत का तो ध्यान रख लेते हैं, पर पौधों का क्या? गर्मी के मौसम में आप इन कुछ बातों का ध्यान रखकर अपने पौधों की देखभाल कर सकते हैं.
पानी आपकी ही नहीं, पौधों की भी ज़िंदगानी है
गर्मी से बचने का सबसे मुफ़ीद तरीक़ा है ख़ुद को हाइड्रेटेड रखना यही फ़ॉर्मूला आप अपने पौधों पर भी आज़माएं. ठंडी में भले ही आप कभी-कभार पानी देना स्किप कर दिया करते थे, पर गर्मी में पौधों के साथ यह चांस नहीं ले सकते. आप पौधों को नियमित रूप से पानी दें. सबसे बेहतर यह होता है कि गर्मी के मौसम में पौधों को शाम के समय पानी देना. जब आप ऐसा करते हैं तब पौधे को पानी का इस्तेमाल करने के लिए अधिक समय मिल जाता है. वह रातभर पानी का इस्तेमाल अपनी दैनिक ज़रूरत को पूरी करने के लिए कर सकता है. वहीं अगर आप सुबह पानी डालेंगे तो ज़्यादातर पानी भाप बनकर तुरंत उड़ जाएगा. आपको यह सुनिश्चित करना होगा कि पौधे के आसपास की मिट्टी की नमी बनी रहे. अगर मिट्टी बहुत तेज़ी से सूख रही हो तो आप दिन में स्प्रिंकलर के माध्यम से पानी देने सकते हैं.
पौधों की जड़ों को अच्छे से ढंक दें
पौधे की जड़ों के ठीक ऊपर की मिट्टी को खाद, सूखे पत्ते और टहनियों से ढंक दें. इससे जब आप पौधे को पानी देते हैं, तब पानी का वाष्पीकरण जल्दी नहीं होता. साथ ही ऊपर की ये चीज़ें धीरे-धीरे गलकर मिट्टी की पौष्टिकता बढ़ाने का काम करेंगी. अगर आप अपने पौधों को गर्मी से बचाने के साथ-साथ डेकोरेट भी करना चाहते हैं तो उनकी जड़ों के पास की मिट्टी के ऊपर छोटे-छोटे रंग बिरंगे पत्थर यानी पेबल्स रख दें. ये भी आपके पौधे की नमी को बचाने में अपना योगदान देंगे.
पौधों को गर्मी के मौसम में बचाने का एक कारगर तरीक़ा उनकी नियमित ट्रिमिंग भी है. अगर पौधे बहुत छोटे और नाज़ुक हों तो आप उनके ऊपर कपड़े का शेड लगा सकते हैं. इससे वे सूरज की तीखी किरणों के डायरेक्ट संपर्क में आने से बचेंगे. अगर शेड की व्यवस्था ऐसी हो कि उसे शाम को हटाया जा सके तो बेहतर होगा. आप सुबह की हल्की धूप के बाद शेड लगा दें और शाम होते ही हटा दें. इसके साथ ही हफ़्ते में एक बार पत्तों की सूखी पत्तियों और टहनियों की कटाई-छंटाई कर दें. चिलचिलाती गर्मी के बावजूद आपको पौधों की अच्छी ग्रोथ होगी.
धूप की व्यवस्था कैसे करें?
सूर्य प्रकाश किसी भी पौधे की वृद्धि के लिए कितना ज़रूरी होता है यह हम स्कूली दिनों से पढ़ते आ रहे हैं. पौधे सूर्य प्रकाश की मौजूदगी में फ़ोटो सिंथेसिस नामक प्रोसेस से अपना भोजन बनाते हैं. यह सामान्य विज्ञान की शुरुआती किताबों में पढ़ाया जाता है. अब इनडोर प्लांट्स की बात करें तो कमरे के भीतर लगातार रहने से इन पौधों की पत्तियां पीली पड़ने लगती हैं. डंडियां पतली और लंबी हो जाती हैं. कमरे में रखा पौधा खिड़की से आनेवाले प्रकाश की दिशा में बढ़ने लगता है. इसीलिए किसी भी पौधे को लम्बे समय तक कमरे के भीतर नहीं रखना चाहिए. तीन-चार दिन बाद पौधे को धूप दिखाने बाहर ले जाना चाहिए. कमरे में भी कोशिश यह होनी चाहिए कि पौधा खिड़की के पास रहे.
बरामदे में रखे पौधे के गमले को सप्ताह में एक बार घुमा दें ताकि उसे चारों ओर से समान रूप से प्रकाश मिलता रहे और वह चारों ओर से समान रूप से विकसित हो. जिन लोगों के पास खुली छत हो, उनके पौधों को धूप की कमी का सामना नहीं करना पठ़ता. पर याद रखें आपके पौधे अत्यधिक धूप से झुलस सकते हैं. नाज़ुक पत्तियों वाले पौधों को दोपहर की कड़ी धूप से बचाएं. इसलिए उन्हें रखने के लिए ऐसी जगह का चुनाव करें, जहां दोपहर की तीखी धूप न आती हो.
पौधों को पानी कितना दें?
पौधों को पानी की ज़रूरत मौसम के अनुसार कम और ज़्यादा होती रहती है. जहां गर्मियों में ख़ूब पानी चाहिए होता है, वहीं सर्दी में अपेक्षाकृत कम और बरसात में और भी कम. ज़्यादातर लोग अपने पौधों को नियम से रोज़ पानी देते हैं. पर बाग़वानी का गोल्डन रूल है यह देखकर पानी देना कि पौधे को ज़रूरत है भी या नहीं. फ़र्न, डीफ़ेनबाकिया, मरांटा, कोलियम जैसे सदाबहार पौधों को गर्मी में रोज़ पानी देना पड़ता है. वहीं सर्दियों में बस इतना ही पानी देना होता है कि पौधे की मिट्टी सूखने न पाए. पर्याप्त नमी बनी रहे. वहीं कैक्टस जैसे इनडोर प्लांट्स को बारिश में बिल्कुल भी पानी नहीं देना होता और सर्दियों में भी बहुत कम पानी चाहिए होता है.
पानी देने के पीछे लोगों की यह धारणा है कि पौधों के बेहतर ग्रोथ के लिए उन्हें रोज़ पानी देना चाहिए, पर यह धारणा ग़लत है. पानी की मात्रा वाष्पीकरण पर निर्भर करती है. इनडोर पौधों का वाष्पीकरण अधिक नहीं होता, इसलिए उनमें ज़्यादा पानी नहीं डालना चाहिए. अधिक पानी देने से पौधे की जड़ें सड़ने लगती हैं. यदि गमले में पानी देने के बाद कीचड़ बने या पानी नीचे तक न जाए तो गमले की मिट्टी को चेंज करें. कई बार गमले के नीचे के छिद्र बंद हो जाने से ऐसा होता है. यदि छिद्र बंद हो गया और पानी ठीक से
बाहर नहीं निकल रहा है तो पौधा मर जाएगा.
हवा की कितनी ज़रूरत होती है?
इनडोर प्लांट्स के लिए हवा का प्रबंध देखना बहुत ज़रूरी है. पौधों को ताज़ी हवा चाहिए होती है. जब आप कमरे के अंदर पौधा लगाएं तो यह सुनिश्चित करें कि उसे रोज़ ताज़ी हवा ज़रूर मिले. इसके लिए आप सुबह-शाम खिड़की खोल दें. खिड़की खोलने से न केवल ताज़ी हवा बल्कि सूरज की किरणें भी घर में आएंगी. ताज़ी हवा का मतलब तेज़ हवा से न निकालें. पौधों को तेज़ हवा के पास एकदम से नहीं रखना चाहिए. तेज़ हवा के झोंकों से पौधों को असुविधा होती है. जब कभी आपको बाहर जाना हो तो पौधे को निकालकर बाहर बरामदे में रख जाएं, ताकि उसे धूप और हवा मिलती रहे.
गमले में पौधे लगाने के लिए मिट्टी और खाद का सही अनुपात में होना बहुत ही आवश्यक है. यूं तो हर पौधे की खाद की ज़रूरत अलग-अलग होती है. फिर भी पौधे की मिट्टी और खाद के अनुपात का सामान्य सूत्र नीचे बताया जा रहा है. आपके गमले में होना चाहिए…
* गोबर की अच्छी पुरानी खाद एक भाग
* नदी की बालू या बजरी एक भाग
* गमलों की पुरानी मिट्टी एक भाग
* पत्ती की खाद एक भाग
* दो चम्मच सरसों अथवा नीम की खली
यदि आपको फ़र्न अथवा दूसरे सदाबहार पौधों के लिए खाद तैयार करनी हो तो एक भाग गोबर की पुरानी खाद, दो पत्ती की खाद और एक भाग नदी की बालू या बजरी डालें. उसके साथ एक चम्मच हड्डी का चूरा, दो चम्मच सरसों अथवा नीम की खली और आधी मुठ्ठी लकड़ी का कोयला मिला लेना चाहिए.
अगर आपको अपने पौधे की मिट्टी बदलनी हो तो
जिस गमले की मिट्टी बदलनी हो, उस गमले में दो दिन पहले ही पानी डालना बंद कर दें. उसके बाद गमले को किसी तिपाई या जमीन पर तिरछा लेटा कर उसकी पेंदी में खुरपी की मूठ से तीन-चार बार चोट करें, इससे पौधा पूरा का पूरा मिट्टी समेत बाहर आ जाएगा. आप देखेंगे कि पौधे की जड़ों का बहुत सख़्त जाल सा बुना गया है. आप फालतू जाल एवं धागे जैसी पतली-पतली जड़ों को काट दें. तने के पास छोड़कर शेष मिट्टी झाड़ दें. अब गमले को अंदर एवं बाहर से अच्छी तरह साफ़ करके धो लें. नीचे के छिद्र में कम से कम
दो-तीन तह मिट्टी के ठीकरा या गमले के टूटे टुकड़ों की तह बिछा दें.
अब गमलों को तैयार खाद से आधा भर दें और पौधे को बीच में रखकर शेष मिट्टी चारों ओर भर दें. इस मिट्टी को पौधे के चारों ओर अच्छी तरह ठोंक दें, ताकि पौधा हिलने न पाए और गमले में ख़ाली जगह न रहे. गमले में मिट्टी उसके किनारे से एक इंच नीचा रखें, ताकि पानी भरने पर पानी बाहर न आए. अब भरपूर पानी से भर दें.
Next Story