Jharkhand : जेल आईजी के आदेश के बाद पूर्व विधायक संजीव सिंह को बेहतर इलाज के लिए दिल्ली एम्स भेजा जाएगा
रांची : धनबाद जेल में बंद झरिया के पूर्व विधायक संजीव सिंह को बेहतर इलाज के लिए दिल्ली स्थित एम्स भेजा जाएगा. इसे लेकर जेल महानिरीक्षक की तरफ से धनबाद जेल को आदेश जारी किया गया है. जिसमें कहा गया है कि संजीव सिंह को बेहतर इलाज के लिए दिल्ली एम्स भेजा जाए. आगे यह …
रांची : धनबाद जेल में बंद झरिया के पूर्व विधायक संजीव सिंह को बेहतर इलाज के लिए दिल्ली स्थित एम्स भेजा जाएगा. इसे लेकर जेल महानिरीक्षक की तरफ से धनबाद जेल को आदेश जारी किया गया है. जिसमें कहा गया है कि संजीव सिंह को बेहतर इलाज के लिए दिल्ली एम्स भेजा जाए. आगे यह भी कहा गया है कि अगर एम्स में भर्ती कराने के लिए जगह ना मिलें तो उसे तिहाड़ जेल में रखकर ही बेहतर इलाज की सुविधा उपलब्ध करायी जाए. वहीं पिछले साल 30 नवंबर कोर्ट के सख्त आदेश के बाद जेल प्रशासन हरकत दिखी है.
बता दें, संजीव सिंह झरिया के पूर्व विधायक है जिनपर धनबाद जिला के पूर्व उपमेयर नीरज सिंह समेत चार लोगों की हत्या का आरोप है और इस मामले में वे धनबाद जेल में बंद है. आपको बता दें, मामले में 30 नवंबर 2023 को धनबाद जिला एंव सत्र न्यायाधीश अखिलेश कुमार की अदालत में सुनवाई हुई थी जिसमें संजीव सिंह की तरफ से अधिवक्ता मोहम्मद जावेद ने कोर्ट में याचिका दायर करते करते हुए जेल अधीक्षक और जेल आईजी के खिलाफ अवमानना की कार्यवाही शुरू करने की मांग रखी थी. उन्होंने कोर्ट को बताया कि संजीव सिंह 7 प्रकार के कई विभिन्न बीमारियों से ग्रसित है उनका इलाज रांची रिम्स और धनबाद में नहीं हो पा रहा है.
अधिवक्ता मोहम्मद जावेद ने कहा कि 11 जुलाई 23 को जेल प्रशासन ने एसएनएमसीएच में संजीव सिंह को भर्ती कराया था वहीं 11 अगस्त 2023 को मेडिकल बोर्ड की रिपोर्ट के आधार पर उन्हें रिम्स में इलाज के लिए ले जाया गया था जहां बेहतर इलाज के लिए रिम्स की 8 सदस्यी बोर्ड ने उन्हें 14 अगस्त 2023 को दिल्ली एम्स भेजने की अनुशंसा की थी. इस पर जेल प्रशासन को कोर्ट ने उचित प्रबंध करने का निर्देश भी दिया था लेकिन इसके बावजूद उन्हें बेहतर इलाज के लिए दिल्ली एम्स नहीं भेजा गया था. जिसके कारण उनकी तबीयत और बिगड़ते चला जा रहा है. वहीं कोर्ट ने इस सारी दलीलें सुनने के बाद धनबाद जेल प्रशासन को रिपोर्ट सबमिट करने के सख्त आदेश दिए साथ ही जेल प्रशासन से सवाल पूछे कि उन्होंने कोर्ट के आदेशों का पालन अबतक क्यों नहीं किया है. ऐसे में उनके खिलाफ कोर्ट अवमानना की कार्रवाई क्यों ना करें.