बजट जारी होने के बाद भी शुरू नहीं हुआ काम, पहले चरण में खर्च होंगे 22 करोड़
शिमला। हिमाचल में 15 डे-बोर्डिंग स्कूलों के लिए बजट मिलने के बाद भी अभी तक इस पर काम शुरू नहीं हो पाया है। अब नए साल में डे बोर्डिंग स्कूलों पर काम शुरू होने की उम्मीद है। प्रदेश सरकार ने इसके लिए 75 करोड़ का बजट मंजूर कर दिया है। इसमें पहले चरण में 15 डे-बोर्डिंग …
शिमला। हिमाचल में 15 डे-बोर्डिंग स्कूलों के लिए बजट मिलने के बाद भी अभी तक इस पर काम शुरू नहीं हो पाया है। अब नए साल में डे बोर्डिंग स्कूलों पर काम शुरू होने की उम्मीद है। प्रदेश सरकार ने इसके लिए 75 करोड़ का बजट मंजूर कर दिया है। इसमें पहले चरण में 15 डे-बोर्डिंग स्कूल बनेंने हैं और इन स्कूलों के निर्माण कार्य पर पहले चरण में 22 करोड़ 50 हजार रुपए खर्च किए जाएंगे। प्रत्येक स्कूल को फिलहाल डेढ़-डेढ़ करोड़ का बजट जारी किया गया है, लेकिन काम को अभी तक भी शुरू नहीं किया गया है। ये स्कूल पूरी तरह से प्राइवेट स्कूलों की तर्ज पर बनेंगे, जहां बच्चों को हर प्रकार की आधुनिक सुविधाएं मिलेंगी।
इसमें घुमारवीं, नादौन, बड़सर, पालमपुर, जयसिंहपुर, शाहपुर, नगरोटा बगवां, परागपुर, जुब्ब्ल कोटखाई, किन्नौर, हरोली, गगरेट, ज्वालामुखी और फतेहपुर शामिल हैं। गौर रहे कि दिल्ली, मुंबई जैसे महानगरों के स्कूलों की तर्ज पर हिमाचल में भी डे-बोर्डिंग स्कूल बनेंगे। इसके साथ ही स्कूलों में अंग्रेजी व हिंदी दोनों माध्यमों में पढ़ाई करवाई जाएगी। स्कूल के निर्माण कार्य के लिए 25-30 बीघा जमीन की आवश्यकता है। प्रदेश के लगभग सभी जिलों ने इसको लेकर अपनी रिपोर्ट दे दी है और अब इसका निर्माण शुरू हो जाएगा।
हिमाचल में अभी डे-बोर्डिंग स्कूल की व्यवस्था नहीं है। कामकाजी लोगों के लिए यह सबसे बेहतर है। हिमाचल में स्कूल सुबह दस से चार या फिर नौ से तीन बजे तक लगते हैं। छुट्टी के बाद बच्चों को घर जाना पड़ता है, जो लोग नौकरीपेशा होते हैं, उन्हें अपने बच्चों को उस वक्त घर ले जाने में दिक्कत पेश आती है। ऐसे में उन्हें अलग से बच्चों के लिए गाड़ी हायर करनी पड़ती है। डे-बोर्डिंग स्कूलों में कुछ घंटे तक बच्चे वहीं रह सकेंगे और अभिभावक अपने द तर से छुट्टी होने के बाद उन्हें अपने साथ ले जा सकेंगे। इसके अलावा स्कूल में हर्बल व बाटेनिकल गार्डन, स्वीमिंग पूल, रिसेप्शन हाल, इनडोर गे स के लिए अलग स्टेडियम होगा। रेन हार्वेस्टिंग टैंक और वाटर स्टोरेज टैंक, प्रधानाचार्य के आवास के अलावा चौकीदार के लिए भी अलग आवास होगा।