परवाणू। औद्योगिक नगरी परवाणू में पिछले 15 से भी अधिक सालों से पशु चिकित्सालय महज कागजों में चल रहा है। पशु चिकित्सालय के लिए जगह न मिलने के चलते इसका लोगो को कोई फायदा नहीं मिल रहा। यहां पशु चिकित्सालय के लिए स्टाफ की व्यवस्था भी की जाती है, लेकिन ऑफिस के लिए जगह न …
परवाणू। औद्योगिक नगरी परवाणू में पिछले 15 से भी अधिक सालों से पशु चिकित्सालय महज कागजों में चल रहा है। पशु चिकित्सालय के लिए जगह न मिलने के चलते इसका लोगो को कोई फायदा नहीं मिल रहा। यहां पशु चिकित्सालय के लिए स्टाफ की व्यवस्था भी की जाती है, लेकिन ऑफिस के लिए जगह न मिलने के कारण जल्द ही स्टाफ का इधर-उधर ट्रांसफर कर दिया जाता है। हैरान कर देने वाली बात यह है की पशु चिकित्सालय बारे जनता को पता ही नहीं है, क्यूंकि कार्यालय न होने के चलते कभी पशु चिकित्सालय वास्तविक तौर पर काम ही नहीं कर पाया है, ऐसे में सुविधा होने के बावजूद लोगों को कोई सुविधा नहीं मिल पा रही है। बता दें की परवाणू नगर परिषद के अंतर्गत लोगों की सुविधा के लिए एक पशु चिकित्सालय पिछले 15 से भी अधिक वर्षो से कार्यरत है।
यह पशु चिकित्सालय कहां काम कर रहा है, इसकी जानकारी किसी को नहीं है। इस दौरान कई सरकारे आई गई, लेकिन पशु चिकित्सालय के लिए जगह की व्यवस्था नहीं हो पाई। इसके चलते परवाणू नगर परिषद के अंतर्गत चल रही गौशाला में गौवंश के स्वास्थ्य की जिम्मेवारी भी साथ लगती ग्राम पंचायत में कार्यरत एक फार्मासिस्ट पर है। पंचायत के कार्यभार के अतिरिक्त नगर परिषद का कार्य भी करने के चलते उक्त फार्मासिस्ट पर भी काम का अतिरिक्त बोझ है। गौरतलब है की यह मुद्दा पिछली भाजपा सरकार के दौरान आयोजित जन मंच में तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री डा. राजीव सैजल की उपस्थिति में भी खूब उठा था। उस समय मौजूद नगर परिषद परवाणू के तत्कालीन अध्यक्ष व उपाध्यक्ष ने परवाणू के सेक्टर एक में स्थापित गौशाला के ऊपर पशु चिकित्सालय के लिए कमरा बनाने की सार्वजनिक मंच पर हामी भरी थी, लेकिन इसके बावजूद अभी तक पशु चिकित्सालय के लिए कार्यालय का प्रबंध नहीं हो पाया है। परवाणू में लोगों की सुविधा के लिए खोला गया पशु चिकित्सालय महज सफेद हाथी बन कर रह गया है।