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प्रदेश को सैलरी-पेंशन के लिए चाहिए 5000 करोड़

12 Feb 2024 6:26 AM GMT
प्रदेश को सैलरी-पेंशन के लिए चाहिए 5000 करोड़
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शिमला। वित्तीय लड़ाई में केरल के साथ उलझी केंद्र की मोदी सरकार हिमाचल को भूल गई है। ऐसा इसलिए लग रहा है, क्योंकि फरवरी का महीना भी आधा बीत जाने के बाद जनवरी से मार्च की आखिरी तिमाही के लिए हिमाचल को लोन की अनुमति तक नहीं मिली है। पिछले साल जनवरी में 6000 करोड़ की …

शिमला। वित्तीय लड़ाई में केरल के साथ उलझी केंद्र की मोदी सरकार हिमाचल को भूल गई है। ऐसा इसलिए लग रहा है, क्योंकि फरवरी का महीना भी आधा बीत जाने के बाद जनवरी से मार्च की आखिरी तिमाही के लिए हिमाचल को लोन की अनुमति तक नहीं मिली है। पिछले साल जनवरी में 6000 करोड़ की ऑथराइजेशन मिली थी। इसके लिए पूर्व की जयराम सरकार ने आवेदन किया था। इस बार अनुमति लेट होने के कारण मुख्य सचिव प्रबोध सक्सेना जब दिल्ली बात कर आए थे, तो केंद्रीय वित्त मंत्रालय ने हिमाचल से उधारी का कैलेंडर मांगा था। इसके बाद कुछ सर्टिफिकेट मांगे गए, लेकिन लोन की अनुमति नहीं दी। इसके बाद वित्त विभाग के अधिकारी भेजे गए। अब केंद्रीय वित्त मंत्रालय का तर्क है कि केरल के साथ सुप्रीम कोर्ट में चल रहे केस की सुनवाई 13 फरवरी को है और सभी उसी में व्यस्त हैं। 13 फरवरी के बाद अगले सप्ताह में हिमाचल के मामले पर भी फैसला हो जाएगा। इसलिए राज्य के पास अभी इंतजार करने के सिवा कोई चारा नहीं है। 17 फरवरी को मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू अपना बजट पेश कर रहे हैं।

उम्मीद है कि उससे पहले लोन पर स्थिति साफ हो जाएगी। केरल सरकार वित्तीय मजबूरी के कारण केंद्र सरकार के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में चली गई है। केरल ने संवैधानिक व्यवस्था का हवाला देते हुए राज्य की वित्तीय स्वतंत्रता के लिए कानूनी लड़ाई का रास्ता चुना है। हालांकि केरल की तैयारी वर्ष 2017 से ही थी। उन्होंने अपना एफआरबीएम एक्ट भी उसी अनुसार बनाया है, लेकिन हिमाचल का मामला इससे एकदम अलग है। हिमाचल सामान्य तौर पर एफआरबीएम एक्ट का पालन करता रहा है। इसीलिए हिमाचल को 5000 करोड़ आखिरी तिमाही के लिए लोन चाहिए। राज्य में ओल्ड पेंशन स्कीम लागू होने से भी लोन लिमिट करीब 1700 करोड़ सालाना कम हो गई है। हिमाचल में पिछले वित्त वर्ष में दो राज्य सरकारें थी। दिसंबर तक का समय जयराम सरकार का था, जबकि जनवरी से मार्च की आखिरी तिमाही वर्तमान कांग्रेस सरकार की थी। इस साल सबसे ज्यादा 14000 करोड़ लोन राज्य ने लिया था, लेकिन वर्तमान वित्त वर्ष के लिए दिसंबर तक की अवधि में राज्य सरकार को सिर्फ 6608 करोड़ लोन लेने की अनुमति मिली थी। इसमें से 6300 करोड़ शुद्ध लोन लिया जा चुका है। राज्य सरकार अब तक 10000 करोड़ का कुल ऋण उठा चुकी है। अब जनवरी से मार्च की आखिरी तिमाही के लिए 5000 करोड़ लोन लिमिट मांगी जा रही है।

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