शिमला। हिमाचल में प्रशासनिक ट्रिब्यूनल में नियुक्तियां की प्रक्रिया शुरू हो गई है। हिमाचल हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस से अनुमति मिलने के बाद अध्यक्ष के एक पद और मेंबर्स के तीन पदों के लिए आवेदन मांग लिए गए है। आवेदन के लिए 30 दिन का वक्त दिया है। सभी पदों के लिए पात्रता भी …
शिमला। हिमाचल में प्रशासनिक ट्रिब्यूनल में नियुक्तियां की प्रक्रिया शुरू हो गई है। हिमाचल हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस से अनुमति मिलने के बाद अध्यक्ष के एक पद और मेंबर्स के तीन पदों के लिए आवेदन मांग लिए गए है। आवेदन के लिए 30 दिन का वक्त दिया है। सभी पदों के लिए पात्रता भी अलग-अलग है। हिमाचल सरकार ने सरकारी कर्मचारियों से संबंधित विवादों के निपटारे के लिए अलग से एडमिनिस्ट्रेटिव ट्रिब्यूनल खोलने का फैसला किया था। हालांकि इससे पहले तीन बार प्रशासनिक ट्रिब्यूनल खोलने के बाद बंद भी हो चुका है। केंद्र सरकार के कार्मिक मंत्रालय से सैद्धांतिक तौर पर अनुमति मिलने के बाद हिमाचल में यह प्रक्रिया शुरू हुई। ट्रिब्यूनल में एक अध्यक्ष और तीन मेंबर्स की नियुक्ति की जा रही है, जिनमें से एक मेंबर ज्यूडिशियल और दो प्रशासनिक होंगे। इन पदों के लिए चयन चीफ जस्टिस की अध्यक्षता वाली सर्च एंड सिलेक्शन कमेटी करेगी।
अध्यक्ष पद के लिए हाई कोर्ट से रिटायर न्यायाधीश पात्र होंगे, जबकि ज्यूडिशियल मेंबर के लिए एडिशनल सेक्रेटरी लॉ रैंक के अधिकारी पात्र है। प्रशासनिक मेंबर के लिए भारत सरकार के एडिशनल सेक्रेटरी या हिमाचल सरकार के प्रिंसीपल सेक्रेटरी रैंक के अधिकारी पात्रता रखते है। एडमिनिस्ट्रेटिव ट्रिब्यूनल एक्ट 1985 के तहत इस प्राधिकरण को बनाया जा रहा है। सर्च एंड सिलेक्शन कमेटी का अध्यक्ष हिमाचल हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस है और राज्य सरकार के मुख्य सचिव प्रबोध सक्सेना तथा लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष रामेश्वर सिंह ठाकुर कमेटी में सदस्य होंगे। चीफ जस्टिस चाहे तो वह किसी अन्य न्यायाधीश को भी सदस्य ले सकते है, लेकिन नई बात यह है कि सामान्य प्रशासन विभाग के सचिव की जगह कार्मिक विभाग के सचिव इस बार मेंबर सेक्रेटरी होंगे। राज्य सरकार की रिक्वेस्ट पर इस बात को चीफ जस्टिस ने मान लिया है। अब इन पदों पर आवेदन के लिए 30 दिन का वक्त दिया जाएगा। इसके बाद कुल आवेदक को की स्क्रीनिंग और सिलेक्शन चीफ जस्टिस की कमेटी ही करेगी। यह कमेटी एक पैनल बनाकर देगी, जो भारत सरकार को जाएगा और वहां से अध्यक्ष और मेंबर्स की नियुक्ति होगी। इसके बाद सरकारी कर्मचारियों से संबंधित सभी मामले ट्रिब्यूनल को भेज दिए जाएंगे। ट्रिब्यूनल के फंक्शनल होने के बाद हाई कोर्ट का विकल्प सेकंड स्टेज का होगा।