जवाली। सिविल अस्पताल जवाली में हर वर्ष रोगी कल्याण समिति से लाखों रुपए खर्च किए जाते हैं लेकिन इसके बावजूद भी नाकामियां दिखाई देती हैं। अस्पताल भवन की खिड़कियां गल चुकी हैं, शीशे टूट चुके हैं तथा दीवारों में सीलन ही सीलन है। मरीजों के कमरों में लगाए गए फ्लाई किलर खराब पड़े हैं। खिड़कियों …
जवाली। सिविल अस्पताल जवाली में हर वर्ष रोगी कल्याण समिति से लाखों रुपए खर्च किए जाते हैं लेकिन इसके बावजूद भी नाकामियां दिखाई देती हैं। अस्पताल भवन की खिड़कियां गल चुकी हैं, शीशे टूट चुके हैं तथा दीवारों में सीलन ही सीलन है। मरीजों के कमरों में लगाए गए फ्लाई किलर खराब पड़े हैं। खिड़कियों पर टीन की चादर को बांधकर डाला गया है जोकि अगर हवा से नीचे गिरती है तो नीचे से गुजर रहे किसी भी मरीज-तीमारदार या कर्मी को चोटिल कर सकती है और किसी की जान भी जा सकती है। सरकारी खजाने से लाखों रुपए खर्च करने के बाद भी कोई सुविधा दिखाई नहीं देती है। विशेषज्ञों को बैठने के लिए पर्याप्त कमरे नहीं हैं। विशेषज्ञों को पुराने भवन की तीसरी मंजिल पर बैठाया गया है।
मरीजों का उनके पास चिकित्सा सुविधा लेने के लिए पहुंचना मुश्किल हो जाता है। नए भवन में डाक्टरों के तीन कमरे हैं जिनमें से दो कमरे एसएमओ ने अपने लिए रखे हुए हैं जबकि एक ही कमरा डाक्टर को दिया गया है। ड्यूटी चार्ट पर भी कुछ नहीं दर्शाया जाता है तथा मरीज विशेषज्ञों से मिलने के लिए इधर-उधर भटकते रहते हैं। चतुर्थ श्रेणी कर्मी को रात्रि ड्यूटी में कोई कमरा नहीं है तथा उसे सर्दी-गर्मी व बारिश में बाहर बैंच पर बैठकर ही ड्यूटी निभानी पड़ती है। अस्पताल का परिसर कच्चा पड़ा है तथा बारिश होने पर यह लबालब पानी से भर जाता है जिससे मरीजों का अस्पताल में पहुंचना मुश्किल हो जाता है। बुद्धिजीवियों ने कहा कि विशेषज्ञों को नए भवन में बैठाया जाए तथा खिड़कियों के शीशे व खिड़कियां लगाई जाएं।