रिकांगपिओ। दो दिन पूर्व शिल्टी संपर्क सडक़ हादसे में पांच युवकों की मौत की घटना ने दस किलो मीटर लंबे इस सडक़ मार्ग की दुर्दशा पर कई सवाल खड़े कर दिए हंै। यदि इस सडक़ मार्ग पर वाहनों की आवाजाही से पूर्व सुरक्षा कारणों को ध्यान में रखा गया होता तो उन पांच युवाओं को …
रिकांगपिओ। दो दिन पूर्व शिल्टी संपर्क सडक़ हादसे में पांच युवकों की मौत की घटना ने दस किलो मीटर लंबे इस सडक़ मार्ग की दुर्दशा पर कई सवाल खड़े कर दिए हंै। यदि इस सडक़ मार्ग पर वाहनों की आवाजाही से पूर्व सुरक्षा कारणों को ध्यान में रखा गया होता तो उन पांच युवाओं को अपनी जान न गंवानी पड़ती। उद्घाटन के कई वर्ष बीतने के बाद भी इस सडक़ मार्ग की न तो प्रॉपर चौड़ाई है, न ही सभी स्थानों पर क्रैश बेरियर स्थापित हैं। इस मार्ग पर कुछ एक प्वाइंट तो ऐसे हंै कि किसी भी वाहन चालक की थोड़ी सी भी सावधानी हटी, वहीं दुर्घटना घटी। किन्नौर जिला से संबंध रखने वाले एक वयोवृद्ध नागरिक 81 वर्षीय रामानंद नेगी ऊराचारस ने बताया कि करीब दस किलो मीटर लंबे शिल्टी सडक़ मार्ग का निर्माण कार्य वर्ष 1950 के दौरान शुरू हुआ था।
जब मेरी आयु 6 या 7 वर्ष हुआ करती थी। एक अनुमान के अनुसार इस सडक़ मार्ग के निर्माण में कई करोड़ों रुपए खर्च हुए हंै। दस किलो मीटर लंबे इस सडक़ का निर्माण औसतन 7 साल में एक किलोमीटर तब ही बन पाया है। गत वर्ष 2023 से इस सडक़ मार्ग पर वाहनों की आवाजाही तो शुरू कर दी गई, लेकिन इस सडक़ की दुर्दशा अब भी किसी से छिपी नहीं है। यहां सुरक्षा के सभी मापदंडों को दरकिनार करते हुए सभी स्थानों पर क्रैश बैरियर भी स्थापित नहीं किए गए। श्री नेगी ने सरकार से मांग की है कि ऐसी अनहोनी घटनाओं को रोकने के लिए शिल्टी सडक़ मार्ग की प्रॉपर वाइंडिंग करने के साथ-साथ सुरक्षा के सभी मापदंडों को स्थापित किया जाए, ताकि इस सडक़ मार्ग पर अनहोनी घटनाओं को रोका जा सके।