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OTT Vs Bollywood: हिंदी फिल्म इंडस्ट्री, जिसने बरसों तक दर्शकों को हंसाया, रुलाया वो आज ऐसे दौर से गुजर रही है, जो उसने कभी नहीं देखा. ये ऐसा संकट है, जिसने पूरे बॉलीवुड के हिलाकर रख दिया है. इसी को लेकर भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) की रिसर्च टीम ने एक स्टडी की है. चीफ इकोनॉमिक एडवाइजर सौम्या कांति घोष ने इस मुद्दे पर कुछ कारणों और सुझावों का जिक्र किया है. बॉलीवुड इंडस्ट्री को भारत के विचारों का 'सॉफ्ट पावर' माना जाता है.
शुक्रवार की ब्लॉकबस्टर बॉलीवुड रिलीज़ के दिनों की याद ताजा करते हुए: क्या हम नए भारत के दर्शकों के मानस में व्यवहारिक बदलाव देख रहे हैं?क्यों साउथ इंडस्ट्री के आगे पिटता जा रहा है बॉलीवुड?नाम की रिपोर्ट में 4 ऐसे मुद्दों का जिक्र किया गया है, जिससे इस वक्त हिंदी मूवी इंडस्ट्री जूझ रही है.
कोविड से बंद हो गए थे सिनेमा हॉल्स
रिपोर्ट में कहा गया कि महामारी के बाद हिंदी फिल्मों में कंटेंट एक दोधारी तलवार लगता है जो कमाई को प्रभावित कर रहा है. कोविड-19 ने वो काम कर दिया, जो दो विश्वयुद्ध नहीं कर पाए. उसने सिनेमा को बंद कर दिया. महामारी से पहले, हिंदी भाषा में 70-80 फिल्में हर साल रिलीज होती थीं और 3000-5000 करोड़ की कमाई करती थीं. लेकिन जनवरी 2021 से अगस्त 2022 तक हिंदी भाषा में (ओरिजनल+साउथ/इंग्लिश से हिंदी में डब्ड फिल्में) 61 फिल्में रिलीज हुई हैं. इनसे कुल कमाई 3200 करोड़ रुपये की हुई. इस कलेक्शन का 48 प्रतिशत हिस्सा डब की हुई फिल्मों से आया. रिपोर्ट में कहा गया, 'ओरिजनल हिंदी फिल्मों की स्थिति असंतोषजनक है.' जनवरी 2021 से 43 हिंदी फिल्मों की औसत रेटिंग 5.9 है. जबकि हिंदी में डब 18 फिल्मों की रेटिंग 7.3 है.
रिसर्च में कहा गया, 'किसी मूवी की रेटिंग एक अहम टूल है, जिससे कंटेंट के असर को मापा जाता है और आम तौर पर यह माना जाता है कि सभी अच्छी फिल्मों को अच्छी रेटिंग और अच्छा कलेक्शन मिलेगा.' एसबीआई रिसर्च ने यह संकेत दिया कि IMDB रेटिंग में अगर एक अतिरिक्त पॉइंट भी मिलता है तो इससे 17 करोड़ का बॉक्स ऑफिस कलेक्शन मिलता है. रिसर्च में यह भी कहा गया कि एक ही समय में सिंगल स्क्रीन थियेटर में गिरावट और मल्टीप्लेक्स की संख्या में इजाफे के कारण भी हिंदी मूवी इंडस्ट्री को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.
दक्षिण भारत में ज्यादा सिंगल स्क्रीन थियेटर्स
रिपोर्ट में कहा गया, "एक मल्टीप्लेक्स में टिकट की कीमत सिंगल स्क्रीन थियेटर्स की तुलना में तीन से चार गुना होती है. टिकट इसलिए भी महंगी होती हैं, क्योंकि उन पर ज्यादा एंटरटेनमेंट टैक्स लगता है. दिलचस्प बात है कि 62 प्रतिशत सिंगल स्क्रीन थियेटर्स दक्षिण भारत में हैं. जबकि नॉर्थ इंडिया में 16 प्रतिशत और पश्चिमी भारत में इनकी संख्या 10 प्रतिशत है.'' यह भी एक कारण हो सकता है कि क्यों दक्षिण भारत की फिल्में बॉलीवुड फिल्मों से ज्यादा कमाई कर रही हैं.
ओटीटी ने लगाया बट्टा
इसके अलावा विभिन्न राज्यों में जनसांख्यिकीय प्रोफाइल भी असर डाल रहा है क्योंकि ऑनलाइन प्लेटफॉर्म अलग अलग तरह की फिल्म लाने लगे हैं जैसे-एक्शन, हॉरर, ड्रामा, थ्रिलर और कॉमेडी. युवा अब ज्यादातर ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर हैं और अपनी पसंद की फिल्में देखते हैं. दक्षिण भारत में बुजुर्गों की संख्या उत्तर भारत के मुकाबले ज्यादा है और वे लोग बड़ी स्क्रीन पर फिल्में देखना पसंद करते हैं, ना कि ओटीटी पर.
ओटीटी की बढ़ती लोकप्रियता ने भी बॉलीवुड इंडस्ट्री के लिए मुश्किलें पैदा कर दी हैं. ओटीटी का शेयर 7-9 प्रतिशत के बीच है और यह लगातार बढ़ता जा रहा है. इस वक्त विभिन्न भाषाओं में 40 ऐसे प्लेयर्स हैं, जो ओरिजनल मीडिया कंटेंट दे रहे हैं. रिपोर्ट्स के मुताबिक भारत में 45 करोड़ ओटीटी सब्सक्राइबर्स हैं और 2023 तक यह बढ़कर 50 करोड़ हो जाएंगे. माना जा रहा है कि सिनेमा प्रेमी और मुनाफा ओटीटी की ओर शिफ्ट हो जाएंगे क्योंकि करीब 50 प्रतिशत लोग एक महीने में 5 घंटे में ओटीटी इस्तेमाल करते हैं.
Teja
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