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उत्पल दत्त को फिल्मों में पहला ब्रेक संघर्ष से नहीं, बल्कि संजोग से मिला था, जाने

Bhumika Sahu
19 Aug 2021 3:40 AM GMT
उत्पल दत्त को  फिल्मों में पहला ब्रेक संघर्ष से नहीं, बल्कि संजोग से मिला था, जाने
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Utpal Dutt Death Anniversary : उत्पल दत्त का अभिनय इतना दमदार था कि बड़े-बड़े फिल्मकारों ने उन्हें अपनी फिल्मों में काम करने का आगे से ऑफर दिया. उत्पल दत्त को अपनी पहली फिल्म भी कड़े संघर्ष के बाद नहीं, बल्कि संजोग से मिली थी. वो कैसे? चलिए जानते हैं.

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। आज उस कलाकार की पुण्यतिथि है, जो एक फायरब्रांड था. हिंदी सिनेमा में अगर उनकी सक्रियता को लेकर उन्हें परखा जाए तो यह बहुत बड़ी भूल होगी. वह एक ऐसे कलाकार थे, जिन्होंने अपनी आदाकारी से इतर राजनीति तक, अपने विचारों को सामने लाने से खुदको नहीं रोका. भले ही इसका अंजाम जेल ही क्यों न हो. हम बात कर रहे हैं अपने दौर के वर्सेटाइल एक्टर रहे उत्पल दत्त (Utpal Dutt) की. उत्पल दत्त आज भले ही हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन तत्कालीन सरकार पर किए गए उनके सरकास्टिक कमेंट्स और उनका अभिनय, हमेशा लोगों के दिलों में जिंदा रहेगा.

उत्पल दत्त एक शानदार अभिनेता, निर्देशक, पॉलिटिकल एक्टिविस्ट और कमाल के प्ले राइटर थे. उत्पल दत्त रंगमंच पर और हिंदी सिनेमा, दोनों में सबसे महान अभिनेताओं में से एक थे. उन्हें मृणाल सेन की भुवन शोम और सत्यजीत रे की आगंतुक में उनकी शीर्ष भूमिकाओं के लिए सबसे ज्यादा याद किया जाता है. हिंदी भाषी दर्शक उन्हें 1970 और 1980 के दशक की फिल्मों में उनकी कॉमेडी या खलनायक भूमिकाओं के लिए अधिक याद करते हैं. उत्पल दत्त की लोकप्रिय हिंदी फिल्मों में गुड्डी, गोल माल, नरम गरम, पसंद अपनी-अपनी, रंग बिरंगी, शौकीन शामिल हैं.
बचपन से ही था थिएटर की तरफ झुकाव
जब भी सिनेमा के कलाकारों की बात की जाती है, तो उनके संघर्षों को लेकर जरूर बात होती है कि कैसे उन्हें बड़ा ब्रेक मिला और बड़े ब्रेक के लिए उन्होंने कितने पापड़ बेले. हालांकि, उत्पल दत्त के साथ ऐसा कुछ नहीं था. उन्होंने फिल्म इंडस्ट्री में काम पाने के लिए कभी कोई संघर्ष नहीं किया, क्योंकि उनका अभिनय और काम इतना दमदार था कि बड़े-बड़े फिल्मकारों ने उन्हें अपनी फिल्मों में काम करने का आगे से ऑफर दिया. उत्पल दत्त को अपनी पहली फिल्म भी कड़े संघर्ष के बाद नहीं, बल्कि संजोग से मिली थी. वो कैसे? चलिए जानते हैं.
जानी मानी फिल्म पत्रकार और पद्म श्री से सम्मानित भावना सौमाया ने एक बार अपने शो में उत्पल दत्त की फिल्मी यात्रा को लेकर बात की थी. भावना सौमाया ने बताया था कि उत्पल दत्त स्कूल में एक छात्र के तौर पर बहुत ही होशियार हुआ करते थे. उन्होंने शिलॉन्ग से अपनी स्कूली पढ़ाई की. इसके बाद उन्होंने 1945 में अपनी दसवीं पूरी की सेंट जेवियर स्कूल से. सेंट जेवियर स्कूल के छात्र ज्यादातर सेंट जेवियर कॉलेज में ही एडमिशन लिया करते थे. उत्पल दत्त ने भी अपनी आगे की पढ़ाई सेंट जेवियर कॉलेज से पूरी की.
उत्पल दत्त की थिएटर को लेकर रही रुचि पर बात करते हुए भावना सौमाया ने कहा था कि उन्हें बचपन से ही थिएटर से लगाव था. यह लगाव उनका स्कूल के दिनों से ही था. वह स्कूल और कॉलेज के समय से ही थिएटर के प्ले में हिस्सा लिया करते थे. 1947 में उन्होंने शेक्सपियराना ग्रुप जॉइन किया. वह एक प्ले किया करते थे, जिसमें उनका बहुत ही अच्छा किरदार होता था. उस किरदार का नाम था रिचर्ड थ्री. एक बार प्ले देखने के लिए जॉफ्रे केंडल और लौरा थिएटर पहुंचे. आपको बता दें कि जॉफ्रे और लौरा, जेनिफर कपूर के माता-पिता थे, जो हिंदी सिनेमा के दिग्गज अभिनेता शशि कपूर की पत्नी थीं.
जब लौरा और जॉफ्रे ने उत्पल दत्त के अभिनय को देखा तो वह उनसे काफी प्रभावित हुए. उन्होंने उत्पल दत्त को अपने साथ एक इंटर्न के तौर पर रख लिया था. जॉफ्रे उन्हें लेकर टूर पर जाया करते थे. पाकिस्तान समेत कई देशों में वह अपना रंगमंच का कार्यक्रम पेश किया करते थे. वह शेक्सपियर के फेमस कैरेक्टर ओथेलो के भी शो किया करते थे. यह सिलसिला 1947 से लेकर 1949 तक चला. इसके बाद कुछ समय का उत्पल दत्त ने ब्रेक लिया और फिर 1953 में उन्होंने जॉफ्रे को एक बार फिर से जॉइन किया. एक साल तक उन्होंने टूर करके अपने शोज पेश किए. लोगों को उत्पल दत्त का ओथेलो काफी पसंद आया करता था.
कैसे मिला पहला फिल्मी ब्रेक?
उनका पहला प्यार रंगमच रहा, इसमें कोई दोराय नहीं है. हालांकि, फिल्मों में उनके आने की शुरुआत जल्द ही होने वाली थी. शेक्सपियराना ग्रुप छोड़ने के बाद उन्होंने अपना खुद का थिएटर ग्रुप शुरू किया. इस ग्रुप का नाम था- लिटिल थिएटर ग्रुप. यह ग्रुप ज्यादातर बंगाली साहित्य को लेकर प्रदर्शन करता था. एक दिन हुआ यूं कि उत्पल दत्त अपने फेमस कैरेक्टर ओथेलो परफॉर्म कर रहे थे. उसी दौरान वहां जाने माने फिल्मकार मधु बोस जा पहुंचे. उन्हें उत्पल दत्त की परफॉर्मेंस ने इतना प्रभावित किया कि मधु बोस ने उसी दौरान उत्पल दत्त को अपनी आगामी फिल्म में एक क्रांतिकारी कवि की भूमिका ऑफर कर डाली. इस फिल्म का नाम था- माइकल मधुसूदन. यह एक बंगाली फिल्म थी, जो काफी हिट रही थी.
बंगाली सिनेमा के बाद उत्पल दत्त ने हिंदी सिनेमा में कदम रखा. हिंदी सिनेमा में उन्हें लाने का श्रेय मशहूर फिल्मकार मृणाल सेन को जाता है. 1969 में उत्पल दत्त ने अपने करियर की पहली हिंदी फिल्म की, जिसका नाम था- भुवन शोम. इसी साल उन्होंने एक और फिल्म की थी, जिसका नाम था- सात हिंदुस्तानी, जो सदी के महानायक अमिताभ बच्चन की डेब्यू फिल्म थी. आपको यह जानकार हैरानी होगी कि उत्पल दत्त केवल अमिताभ बच्चन की डेब्यू फिल्म का ही हिस्सा नहीं थे, बल्कि उन्होंने जया बच्चन की डेब्यू फिल्म गुड्डी में भी दमदार भूमिका निभाई थी.


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