राघवन ने बताया कैसे फिल्म में आए आयुष्मान, तब्बू ने भी किया खुलासा
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। हिंदी सिनेमा की छवि बदलने की कोशिशों में लगे निर्देशक श्रीराम राघवन की ट्रेंडसेटर फिल्म 'अंधाधुन' को रिलीज हुए तीन साल पूरे हो रहे हैं। कम लोग ही जानते हैं कि, इस फिल्म में हीरो का रोल पहले वरुण धवन को ऑफर किया गया था। लेकिन कुछ समय पहले ही वरुण धवन की फिल्म 'बदलापुर' रिलीज हुई थी और इसे दर्शकों द्वारा अच्छा रिस्पॉन्स भी मिला था। ऐसे में वरुण ने श्रीराम राघवन की इस फिल्म को ठुकरा दिया था। हालांकि, आयुष्मान खुराना इस फिल्म को करना चाहते थे। इसी वजह से जैसे ही अभिनेता को ये जानकारी मिली कि, वरुण धवन ने फिल्म 'अंधाधुन' को करने से इनकार कर दिया है, तो उन्होंने श्रीराम के मोबाइल पर एक संदेश भेजकर इस रोल के लिए अपने ऑडीशन की गुजारिश की थी।
श्रीराम राघवन ने 'अमर उजाला' को एक इंटरव्यू दिया है। इस खास बातचीत में श्रीराम बताते हैं, 'आयुष्मान का मेरे पास संदेश आया तो मुझे सुखद आश्चर्य तो हुआ ही, मुझे ये भी लगा कि ये अभिनेता कामयाबी के बाद भी अपने पैर जमीन से जोड़े हुए हैं। आयुष्मान ने इस किरदार के लिए बहुत मेहनत की थी। पियानो के साथ वाले उनके जितने सीन फिल्म में हैं, उन सबमें आयुष्मान खुद पियानो बजा रहे हैं।'
दूसरी तरफ आयुष्मान खुराना भी इस फिल्म के लिए में मौका मिलने पर श्रीराम राघवन का अहसान मानते हैं। वह कहते हैं, 'फिल्म 'अंधाधुन' में एक ताजगी भरी, अनूठी और एक पाथब्रेकिंग फिल्म थी। श्रीराम राघवन हमारे देश के सर्वश्रेष्ठ निर्देशकों में गिने जाते हैं और मैं भाग्यशाली रहा हूं कि, मुझे उनके साथ रचनात्मक रूप से जुड़ने का अवसर मिला। मैंने उनके विजन और उनकी महारत के सामने हथियार डाल दिए थे और मुझे गर्व है कि 'अंधाधुन' मेरी फिल्मोग्राफी का हिस्सा बनी।'
आयुष्मान स्वीकार करते हैं, 'मैं पूरी तरह से डायरेक्टर का एक्टर हूं और 'अंधाधुन' ने मुझे पहले से बेहतर एक्टर बना दिया है। इसने मुझे एक कलाकार के रूप में हमेशा खुद को चुनौती देना और रचनात्मक रूप से एक बेचैन आत्मा बनना सिखाया। 'अंधाधुन' मेरे लिए रचनात्मक रूप से सर्वाधिक संतुष्टि देने वाली फिल्म रही है और मुझसे मेरा ही अनजान पक्ष परदे पर उतरवा लेने का पूरा क्रेडिट श्रीराम सर को जाता है।'
वहीं, इस फिल्म चर्चा पर तब्बू कहती हैं, 'मैं हमेशा से श्रीराम राघवन के साथ काम करना चाहती थी। ये फिल्म और इसके सारे किरदार एक अच्छा संयोग बना। मैंने कभी सोचा नहीं था कि ये फिल्म इतनी कामयाब होगी। लोग कहते हैं कि, यह हिंदी सिनेमा का टर्निंग प्वाइंट है, ये भी मैंने कभी नहीं सोचा था। श्रीराम का कहानी कहने का ढंग अलग है। ये बहुत ही ऑर्गेनिक फिल्म है। कहीं से नकली नहीं दिखती। कोई जबरदस्ती का घुमाव या साजिश नहीं है।'
इसके आगे तब्बू ने कहा, 'थ्रिल या डराने के लिए कोई चीज जानबूझकर अलग से नहीं डाली गई। फिल्म का हर दृश्य अपने आप कहानी को आगे बढ़ाता जा रहा है। ध्यान से देखेंगे तो फिल्म के किरदारों को ये भी नहीं पता होता कि अगले पल क्या होने वाला है। फिल्म में पूरे समय सिमी खुद को हालात के हिसाब से बदलती रहती है। मेरे हिसाब से दर्शकों को यही बात पसंद आई।' बता दें कि आयुष्मान को इस फिल्म के लिए बेस्ट एक्टर का नेशनल फिल्म अवार्ड भी मिल चुका है।