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सिर्फ ऐसे पोस्टर से फिल्म चलती नहीं है।'
स्मिता पाटिल का 67वां जन्मदिन और उनके फिल्मी दुनिया का एक अजीब किस्सा। बात करीब 41 साल पहले की है जब उनकी एक फिल्म रिलीज हुई थी- चक्र। इसमें स्मिता पाटिल, नसीरुद्दीन शाह और कुलभूषण खरबंदा ने अहम भूमिका निभाई थी। इसे रबिंद्र धर्मराज ने डायरेक्ट किया था। इसकी कहानी इसके नाम के ही इर्द-गिर्द घूमती है कि 'जिंदगी में जो जहां से शुरू होता है, वहीं खत्म होता है।' खैर। कहानी की बात बाद में करेंगे, पहले आपको ये बता दें कि इस मूवी का जब पोस्टर रिलीज हुआ था, तब पूरे देश में बवाल मचा था। स्मिता पाटिल को पोस्टर में आधे नंगे बदन में पूरी बस्ती के सामने नहाते हुए दिखाया था। इसको लेकर खूब बवाल कटा था। बाद में स्मिता ने भी माना था कि अगर उनके हाथ में होता तो वो इस पोस्टर को रिलीज ही नहीं होने देतीं।
'चक्र' फिल्म के पोस्टर को लेकर स्मिता पाटिल (Smita Patil) ने एक इंटरव्यू में कहा था, 'देखिए, अगर मेरे हाथ में वो बात होती तो मैं बिल्कुल ऐसा नहीं होने देती। लेकिन फिल्म अच्छी चली। अच्छी फिल्म थी। लेकिन औरत जो झुग्गी-झोपड़ी में रहती है, उसका नहाना ये बहुत रोज की बात है। लेकिन आप रास्ते में रुकेंगे नहीं। आप ये भी नहीं सोचेंगे कि इनको रहने की जगह नहीं है तो नहाने के लिए जगह कहां से मिलेगी। लेकिन जब आप फिल्म बनाते हैं और जब ये फिल्म कमर्शियल सर्किट में बिकती है तो पब्लिसिटी की बात हमेशा डिस्ट्रिब्यूटर्स के हाथ में होती है। ऐसा मान लिया जाता है कि देखिए इस फिल्म में सेक्स है, इसमें तो औरतों के आधे नंगे शरीर है तो आप फिल्म देखने आइये। ये एक ऐसा एटिट्यूड बन गया है, जो बहुत गलत है। फिल्म अगर चलनी है तो फिल्म में जो है, सच्चे दिल से बात कह रही है तो वो फिल्म चलेगी। सिर्फ ऐसे पोस्टर से फिल्म चलती नहीं है।'
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